अनुलोमेन बलिनं प्रतिलोमेन दुर्जनम् का अर्थ (शब्दार्थ,भावार्थ) | चाणक्य के अनुसार शत्रु से कैसा व्यवहार करना चाहिए | Chankya Niti For Enemy - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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सोमवार, 22 अगस्त 2022

अनुलोमेन बलिनं प्रतिलोमेन दुर्जनम् का अर्थ (शब्दार्थ,भावार्थ) | चाणक्य के अनुसार शत्रु से कैसा व्यवहार करना चाहिए | Chankya Niti For Enemy


 अनुलोमेन बलिनं प्रतिलोमेन दुर्जनम् । 
आत्मतुल्यबलं शत्रुं विनयेन बलेन वा ॥ ॥ अध्याय 7 श्लोक 101
अनुलोमेन बलिनं प्रतिलोमेन दुर्जनम् का अर्थ (शब्दार्थ,भावार्थ) | चाणक्य के अनुसार शत्रु से कैसा व्यवहार करना चाहिए | Chankya Niti For Enemy

 

चाणक्य के अनुसार शत्रु से कैसा व्यवहार करना चाहिए 

शब्दार्थ- 

वलवान् शत्रु को उसके अनुकूल व्यवहार करकेदुष्ट शत्रु को उसके प्रतिकूल व्यवहार करके वश में करना चाहिए और अपने समान बल वाले शत्रु को विनय से अथवा बल से जीतेवश में करे ।

 

भावार्थ-

बलवान् शत्रु को उसके अनुकूल व्यवहार करकेदुष्ट शत्रु को उसके प्रतिकूल व्यवहार करके तथा अपने समान बल वाले शत्रु को विनय अथवा बल से जीतना या वश में करना चाहिए।

 

विमर्श - 

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो जिस प्रवृत्ति का हो उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए ।