चाणक्य के अनुसार मनुष्य को इन परिस्थियों में स्नान कर लेना चाहिए | Chankya Niti in Hindi - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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रविवार, 28 अगस्त 2022

चाणक्य के अनुसार मनुष्य को इन परिस्थियों में स्नान कर लेना चाहिए | Chankya Niti in Hindi

चाणक्य के अनुसार मनुष्य को इन परिस्थियों में स्नान कर लेना चाहिए

चाणक्य के अनुसार मनुष्य को इन परिस्थियों में स्नान कर लेना चाहिए | Chankya Niti in Hindi



 तैलाभ्यंगे चिताधूमे मैथुने क्षौरकर्मणि । 
तावद्भवति चाण्डालो यावत्स्नानं न चाऽचरेत्॥ ॥ अध्याय-8 श्लोक - 61

 

शब्दार्थ - 

तेल की मालिश करने परचिता के धूम का स्पर्श होने परस्त्री के साथ सम्भोग करने के पश्चात् और हजामत बनवाने के पश्चात् मनुष्य जब तक स्नान नहीं कर लेता तब तक चाण्डाल होता है।

 

भावार्थ-

शरीर में तेल की मालिश करने के पश्चात् श्मशान में जाने परस्त्री के साथ मैथुन करने और हजामत बनवाने के पश्चात् मनुष्य जब तक स्नान नहीं कर लेता तब तक वह चाण्डाल होता है । 

विमर्श-

उपरोक्त श्लोक में बतायी गई परिस्थितियों में व्यक्ति जब तक स्नान नहीं कर लेतातब तक वह चाण्डाल (अपवित्र) ही रहता है ।