वृद्धकाले मृता भार्या अर्थ (शब्दार्थ भावार्थ) | चाणक्य के अनुसार वृद्धावस्था में कौन सी दुखदायी होती है| Chankya Niti in Hindi - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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मंगलवार, 30 अगस्त 2022

वृद्धकाले मृता भार्या अर्थ (शब्दार्थ भावार्थ) | चाणक्य के अनुसार वृद्धावस्था में कौन सी दुखदायी होती है| Chankya Niti in Hindi

वृद्धकाले मृता भार्या अर्थ (शब्दार्थ भावार्थ)

वृद्धकाले मृता भार्या अर्थ (शब्दार्थ भावार्थ) | चाणक्य के अनुसार वृद्धावस्था में कौन सी दुखदायी होती है| Chankya Niti in Hindi


 

वृद्धकाले मृता भार्या अर्थ (शब्दार्थ भावार्थ)


वृद्धकाले मृता भार्या बन्धुहस्ते गतं धनम् । 
भोजनं च पराधीनं तिस्रः पुंसां विडम्बनाः ॥ ॥अध्याय-8 श्लोक -9

 

 शब्दार्थ- वृद्धावस्थाबुढ़ापे में मरी हुई पत्नीबन्धु बान्धवोंयार-दोस्तों के हाथ में गया हुआ धन और दूसरे के अधीन भोजन-ये तीन बातें पुरुषों की विडम्बना हैंमृत्यु के समान दुःख देने वाली हैं।

 

भावार्थ- वृद्धावस्था में पत्नी का देहान्त हो जानाअपने धन का भाई-बन्धुओं के हाथ में चला जाना और भोजन के लिए दूसरों का मुंह तकना-ये तीनों बातें मनुष्यों के लिए मृत्यु के समान दुःख देने वाली हैं ।

 

विमर्श - वृद्धावस्था में तीन चीजें अत्यंत दुःखदायी होती हैं - 1. पत्नी की मृत्यु, 2. अपनों द्वारा धन हड़प लेना, 3. दूसरों के अधीन रहना ।