वृद्धकाले मृता भार्या अर्थ (शब्दार्थ भावार्थ)
वृद्धकाले मृता भार्या अर्थ (शब्दार्थ भावार्थ)
वृद्धकाले मृता भार्या बन्धुहस्ते गतं धनम् ।
भोजनं च पराधीनं तिस्रः पुंसां विडम्बनाः ॥ ॥अध्याय-8 श्लोक -9॥
शब्दार्थ- वृद्धावस्था, बुढ़ापे में मरी हुई पत्नी, बन्धु बान्धवों, यार-दोस्तों के हाथ में गया हुआ धन और दूसरे के अधीन भोजन-ये तीन बातें पुरुषों की विडम्बना हैं, मृत्यु के समान दुःख देने वाली हैं।
भावार्थ- वृद्धावस्था में पत्नी का देहान्त हो जाना, अपने धन का भाई-बन्धुओं के हाथ में चला जाना और भोजन के लिए दूसरों का मुंह तकना-ये तीनों बातें मनुष्यों के लिए मृत्यु के समान दुःख देने वाली हैं ।
विमर्श - वृद्धावस्था में तीन चीजें अत्यंत दुःखदायी होती हैं - 1. पत्नी की मृत्यु, 2. अपनों द्वारा धन हड़प लेना, 3. दूसरों के अधीन रहना ।