चाण्डालानां सहस्त्रे च का अर्थ (शब्दार्थ भावार्थ)
चाण्डालानां सहस्त्रे च सूरिभिस्तत्त्वदर्शिभिः । एको हि यवनः प्रोक्तो न नीचो यवनात् परः॥ ॥ अध्याय-8 श्लोक - 511
शब्दार्थ -
तत्वदर्शी विद्वानों के द्वारा कहा गया है कि एक सहस्र चाण्डालों के समान एक यवन ही होता है, यवन से बढ़कर दूसरा कोई नीच नहीं है ।
भावार्थ-
तत्वदर्शी विद्वानों का कथन है कि एक यवन का सहस्र चाण्डालों के समान होता है, यवन से बढ़कर नीच कोई नहीं होता ।
विमर्श-
यवन से बढ़कर संसार में कोई और बड़ा नीच नहीं ।