तुष्यन्ति भोजने विप्रा मयूरा का अर्थ (शब्दार्थ भावार्थ)
तुष्यन्ति भोजने विप्रा मयूरा पनगर्जिते ।
साधवः परसम्पत्तौ खलः परविपत्तिषु ॥ ॥ अध्याय-7 श्लोक- 91
शब्दार्थ-
ब्राह्मण और भरपेट भोजन मिलने पर सन्तुष्ट होते हैं, मोर बादलों के गर्जने पर प्रसन्न होकर नाचने लगते हैं, सज्जन लोग दूसरे को धन-धान्य से सम्पन्न देखकर प्रसन्न होते हैं और दुष्ट लोग दूसरों की विपत्ति में प्रसन्न होते हैं ।
भावार्थ-
ब्राह्मण भरपेट भोजन मिलने पर, मोर बादलों के गर्जने पर, सज्जन दूसरों की सम्पत्ति में और दुष्ट दूसरों की विपत्ति में प्रसन्न होते हैं ।
विमर्श - खल दूसरों की विपत्ति में प्रसन्न होता है ।