गुणो भूषयते रूपं शीलं अर्थ शब्दार्थ भावार्थ
गुणो भूषयते रूपं शीलं अर्थ शब्दार्थ भावार्थ
गुणो भूषयते रूपं शीलं भूषयते कुलम् ।सिद्धिर्भूषयते विद्यां भीगो भूषयते धनम् ॥
शब्दार्थ-
गुण मनुष्य के रूप-सौन्दर्य को शोभायमान बना देता है, शील कुल को अलंकृत कर देता है, सिद्धि, अलौकिक शक्तियों की प्राप्ति, मुक्ति, बुद्धि विद्या को भूषित करती है और भोग धन को सुभूषित बना देता है; अर्थात् भोग के बिना धन व्यर्थ है ।
भावार्थ- गुणों से रूप सुन्दर लगता है, शील कुल को चार चाँद लगा देता है, सिद्धि से विद्या सुशोभित होती है और भोग धन को अलंकृत कर देता है।
विमर्श -
मनुष्य को सदा दया, दाक्षिण्य आदि गुणों की प्राप्ति में प्रयत्न करना चाहिए, क्योंकि गुणी दरिद्र भी गुणहीन धनिकों से श्रेष्ठ होता है।