कदयः किं न पश्यन्ति किं न कुर्वन्ति योषितः का अर्थ
कदयः किं न पश्यन्ति किं न कुर्वन्ति योषितः का अर्थ
कदयः किं न पश्यन्ति किं न कुर्वन्ति योषितः ।
मद्यपाः किं न जल्पन्ति किं न भक्षन्ति वायसाः ॥
शब्दार्थ - कवि लोग क्या नहीं देखते हैं? स्त्रियां क्या नहीं कर सकती हैं? शरावी लोग शराब के नशे में क्या नहीं बकते हैं? (अनाप-शनाप कभी कुछ बकते हैं) और कौए क्या नहीं खाते हैं?
भावार्थ- कवि लोग क्या नहीं देखने? स्त्रियां क्या नहीं कर सकतीं ? शराबी क्या नहीं वकते और कौए क्या नहीं खाते ?
विमर्श - कौआ कमल- तन्तुओं का त्याग करता है और नरक (नरक के समान गन्दे द्रयों के ढेर का भक्षण करता है परन्तु इसमें तुम्हें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए