"श्री महाकाल लोक" : महत्व उदेश्य
"श्री महाकाल लोक" : महत्व उदेश्य
शिव सर्वगत अचल आत्मा है, शिव की आराधना शक्ति की आराधना है। शिव अव्यक्त है, उनके सहस्त्रों रूप है। भारत की विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत को "श्री महाकाल लोक" में जिस सुंदर ढंग से प्रदर्शित किया गया है वह अतुलनीय है। यहाँ शांति और निश्चिन्तता के साकार रूप शिव ही शिव है। "श्री महाकाल लोक" सनातन संस्कृति की पौराणिकता,ऐतिहासिकता और गौरवशाली परम्परा का अद्भुत संगम और अद्वितीय नूतन रूप है। इसे जिस भव्यता और सुंदरता से प्रदर्शित किया गया है, वह चमत्कृत कर देता है।
श्री महाकाल लोक परिकल्पना
दरअसल प्राचीन पुण्य सलिला माँ क्षिप्रा के तट
पर बसी प्राचीनतम नगरी उज्जैन का "श्री महाकाल लोक" भगवान शिव के भक्तों
के स्वागत के लिए तैयार है। महाकाल मंदिर के नवनिर्मित कॉरिडोर को 108 स्तंभ पर
बनाया गया है, 910 मीटर का ये पूरा महाकाल मंदिर इन स्तंभों पर टिका होगा।
महाकवि कालिदास के महाकाव्य मेघदूत में महाकाल वन की परिकल्पना को जिस सुंदर ढंग
से प्रस्तुत किया गया था, सैकड़ों वर्षों के बाद उसे साकार रूप दे दिया
गया है। दुनिया भर से उज्जैन आने वाले शिव भक्तों के लिए यह शिव महिमा का सम्पूर्ण
अनुभव देने का अनूठा और अद्भुत प्रयास है।
"श्री
महाकाल लोक" आधुनिक व्यवस्थाओं और संसाधनों से भी परिपूर्ण बनाया गया है।
इसकी व्यवस्था इतनी उत्कृष्ट है कि भक्तों और पर्यटकों को अभिभूत कर देगी। मंदिरों
के साथ ही पूजा सामग्री और हार-फूल की दुकानों को भी विशिष्ट तरीके से लाल पत्थर
से बनाया गया है,जिन पर सुंदर नक्काशी की गई है। "श्री
महाकाल लोक" के निर्माण से भगवान शिव की जिन कथाओं का महाभारत, वेदों तथा स्कंद
पुराण के अवंती खंड में उल्लेख है, उनका जीवंत अनुभव
शिव भक्त धर्मनगरी उज्जैन में कर पाएंगे। महाकाल ज्योतिर्लिंग एक मात्र
ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। सनातन धर्म में महाकाल के दर्शन जीवन का एक
महत्वपूर्ण और आवश्यक भाग माना जाता है, जिससे शांति
मिलती है। इसलिए लाखों भक्त नित्य इस देव स्थान पर आते हैं। "श्री महाकाल
लोक" के जरिए शिव के सभी स्वरूप एक स्थान पर लाना मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार
का ऐसा दुर्लभ कार्य है जिसकी और कोई मिसाल नहीं हो सकती।
शिव मंगल, शुभ और
सौभाग्यसूचक देव है, वे सदाशिव है, जो ब्रह्मा से
सृष्टि रचवाते है, विष्णु से उसका पालन करवाते है तथा रूद्र से
उसका नाश करवाते है। "श्री महाकाल लोक" में शिव, शम्भू, शशिशेखर के
सहस्त्रों रूप और उनकी महिमा को सुंदर ढंग से उकेरा गया है। शिवलिंग सार्वभौमिक
रूप से सृजन का प्रतीक है और "श्री महाकाल लोक" भारतीय सांस्कृतिक
विरासत को साक्षात् प्रतिबिम्बित कर रहा है। यहाँ शिव का मृत्युंजय रूप भी है, जिसकी उपासना से
मृत्यु को भी मात दी जा सकती है। यहाँ महादेव भी है जिसकी उपासना से हर ग्रह
नियंत्रित रहता है।
मुख्यमंत्री श्री
शिवराज सिंह चौहान स्वयं शिव भक्त है, वे सावन माह की
शाही सवारी में कई वर्षों से शामिल होते रहे है। उनके कार्यकाल में वर्ष 2016 में
उज्जैन में ऐतिहासिक सिंहस्थ सम्पन्न हुआ था। व्यवस्थाओं और संसाधनों की दृष्टि से
इसे भारत का अब तक का सबसे सफलतम धार्मिक आयोजन माना जाता है। वे उज्जैन को
धार्मिक पर्यटन नगरी के रूप में उभारने को लेकर प्रतिबद्ध रहे और इसी के दृष्टिगत
सिंहस्थ के ठीक बाद वर्ष 2017 में "श्री महाकाल लोक" की योजना बनी। यह
करोड़ों भारतीयों का सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी शिव भक्त है
और उनके नेतृत्व में देश भर में आध्यात्मिक और धार्मिक स्थानों का निरंतर कायाकल्प
हो रहा है। इस प्रकार प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता तथा मुख्यमंत्री श्री शिवराज
सिंह चौहान की कार्यकुशलता से ही "श्री महाकाल लोक" का सपना साकार हो
सका है।
हम सभी जानते हैं
कि महाकाल दर्शन का बड़ा धार्मिक महत्व है। इसे मोक्ष प्रदान करने वाला स्थल माना
जाता है। स्कंदपुराण के अनुसार इसे मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान माना जाता है।
उज्जैन का इतिहास अनादि काल से माना जाता है और राजनीतिक, आध्यात्मिक और
साहित्यिक दृष्टि से भी इसे उत्कृष्ट स्थान माना जाता है। भारत की पौराणिक और
धार्मिक महत्व की सात प्रसिद्ध पुरियों या नगरियों में उज्जैन प्रमुख स्थान रखता
है बल्कि यहाँ साक्षात दैवीय शक्तियों का आज भी वास है। उज्जयिनी को विशाला, प्रतिकल्पा, कुमुदवती, स्वर्णश्रंगा और
अमरावती के नाम से भी जाना जाता है तथा यहाँ स्थित महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह
ज्योतिर्लिंगों में से एक है। पुराणों, महाभारत और
कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है।
उज्जैन में "श्री महाकाल लोक" के निर्माण का फायदा
उज्जैन में "श्री महाकाल लोक" के निर्माण का फायदा न केवल शिव भक्तों को मिलेगा बल्कि रोजगार और पर्यटन की दृष्टि से भी यह फलदायी होगा। "श्री महाकाल लोक" में लाखों लोग एक साथ भ्रमण कर सकते हैं और रुकने की दृष्टि से भी इसे सर्व सुविधायुक्त बनाया गया है। अब शिव भक्त यहाँ महाकाल के दर्शन के लिए आएंगे भी और आराम से वे रुक भी सकेंगे। ऐसे में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उज्जैन के पास मंदसौर का प्रसिद्ध पशुपतिनाथ का मंदिर, मांडू और ओंकारेश्वर भी है। अत: मध्य प्रदेश में मालवा का यह सम्पूर्ण क्षेत्र धार्मिक कॉरिडोर के रूप में पहचान बनाने में निश्चित ही सफल होगा। मालवा के क्षेत्र को शांत और मौसम के लिहाज से उत्कृष्ट माना जाता है, अब "श्री महाकाल लोक" की लोकप्रियता और आकर्षण से इस क्षेत्र में नये-नये उद्योग भी बढ़ेंगे। बहरहाल उज्जैन में नवनिर्मित "श्री महाकाल लोक" भारत के धार्मिक और आध्यात्मिक स्थानों के लिए उत्कृष्ट उदाहरण बनने जा रहा है। सांस्कृतिक विरासत,रोजगार और पर्यटन के अदभुत केंद्र के रूप में दुनिया भर में अपना विशिष्ट स्थान बनाने में यह सफल होगा, इसकी स्वर्णिम संभावनाएं है।