भू-चुंबकीय तूफान किसे कहते हैं (Geomagnetic Storm Details in Hindi)
भू-चुंबकीय तूफान किसे कहते हैं
सौर तूफान सूर्य के
धब्बों (सूर्य पर 'अंधेरे' क्षेत्र जो आसपास के
फोटोस्फीयर - सौर वातावरण की सबसे निचली परत की तुलना में ठंडे होते हैं) से जुड़ी
चुंबकीय ऊर्जा के निकलने के दौरान उत्पन्न होते हैं और कुछ मिनटों या घंटों तक रह
सकते हैं।
भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी
के चुंबकीय क्षेत्र की अनियमितता से संबंधित हैं जो तब आते हैं जब सौर पवन से पृथ्वी
के आसपास के अंतरिक्ष वातावरण में ऊर्जा का कुशल आदान-प्रदान होता है।
मैग्नेटोस्फीयर हमारे
ग्रह को हानिकारक सौर एवं ब्रह्मांडीय कण विकिरण से बचाता है, साथ ही यह पृथ्वी
को ‘सोलर विंड’- सूर्य से प्रवाहित होने वाले आवेशित कणों के निरंतर प्रवाह से भी
सुरक्षा प्रदान करता है।
ये तूफान ‘सोलर विंड’ में
भिन्नता के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं, जो पृथ्वी के
मैग्नेटोस्फीयर के प्रवाह, प्लाज़्मा और इसके वातावरण में बड़े बदलाव लाते
हैं।
भू-चुंबकीय तूफान का
निर्माण करने वाली सौर पवनें [मुख्य रूप से मैग्नेटोस्फीयर में दक्षिण दिशा में
प्रवाहित होने वाली सौर पवनें (पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा के विपरीत)] उच्च गति से
काफी लंबी अवधि (कई घंटों तक) तक प्रवाहित होती हैं।
यह स्थिति ‘सोलर विंड’ से
ऊर्जा को पृथ्वी के चुंबकीय मंडल में स्थानांतरित करने हेतु प्रभावी है।
इन स्थितियों के
परिणामस्वरूप आने वाले सबसे बड़े तूफान सौर कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) से जुड़े होते
हैं, जिसके तहत सूर्य से एक अरब टन या उससे अधिक प्लाज़्मा इसके
एम्बेडेड चुंबकीय क्षेत्र के साथ पृथ्वी पर आता है।
CMEs का आशय प्लाज़्मा
एवं मैग्नेटिक फील्ड के व्यापक इजेक्शन से है, जो सूर्य के कोरोना (सबसे
बाहरी परत) से उत्पन्न होते हैं।