संसद के बजट सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
नमस्कार
साथियों।
2023 का वर्ष आज
बजट सत्र का प्रारंभ हो रहा है और प्रारंभ में ही अर्थ जगत के जिनकी आवाज को मान्यता
होती है वैसी आवाज चारों तरफ से सकारात्मक संदेश लेकर के आ रही है, आशा की किरण लेकर
के आ रही है, उमंग का आगाज लेकर के आ रही है। आज एक महत्वपूर्ण अवसर है।
भारत के वर्तमान राष्ट्रपति जी की आज पहली ही संयुक्त सदन को वो संबोधित करने जा
रही है। राष्ट्रपति जी का भाषण भारत के संविधान का गौरव है, भारत की संसदीय
प्रणाली का गौरव है और विशेष रूप से आज नारी सम्मान का भी अवसर है और दूर-सुदूर
जंगलों में जीवन बसर करने वाले हमारे देश के महान आदिवासी परंपरा के सम्मान का भी
अवसर है। न सिर्फ सांसदों को लेकिन आज पूरे देश के लिए गौरव का पल है की भारत के
वर्तमान राष्ट्रपति जी का आज पहला उदृबोधन हो रहा है। और हमारे संसदीय कार्य में
छह सात दशक से जो परंपराऐं विकसित हुई है उन परंपराओं में देखा गया है कि अगर कोई
भी नया सांसद जो पहली बार सदन में बोलने के लिए में खड़ा होता है तो किसी भी दल का
क्यों न हो जो वो पहली बार बोलता है तो पूरा सदन उनको सम्मानित करता है, उनका आत्मविश्वास
बढ़े उस प्रकार से एक सहानूकूल वातावरण तैयार करता है। एक उज्जवल और उत्तम
परंपरा है। आज राष्ट्रपति जी का उदृबोधन भी पहला उदृबोधन है सभी सांसदों की तरफ
से उमंग, उत्साह और ऊर्जा से भरा हुआ आज का ये पल हो ये हम सबका
दायित्व है। मुझे विश्वास है हम सभी सांसद इस कसौटी पर खरे उतरेंगे। हमारे देश
की वित्त मंत्री भी महिला है वे कल और एक बजट लेकर के देश के सामने आ रही है। आज
की वैश्विक परिस्थिति में भारत के बजट की तरफ न सिर्फ भारत का लेकिन पूरे विश्व
का ध्यान है। डामाडोल विश्व की आर्थिक परिस्थिति में भारत का बजट भारत के
सामान्य मानवी की आशा-आकाक्षों को तो पूरा करने का प्रयास करेगा ही लेकिन विश्व
जो आशा की किरण देख रहा है उसे वो और अधिक प्रकाशमान नजर आए। मुझे पूरा भरोसा है
निर्मला जी इन अपेक्षाओं को पूर्ण करने के लिए भरपूर प्रयास करेगी। भारतीय जनता
पार्टी के नेतृत्व में एनडीए सरकार उसका एक ही मकसद रहा है, एक ही मोटो रहा
है, एक ही लक्ष्य रहा है और हमारी कार्य संस्कृति के केंद्र
बिंदु में भी एक ही विचार रहा है ‘India First Citizen First’ सबसे पहले देश, सबसे पहले
देशवासी। उसी भावना को आगे बढाते हुए ये बजट सत्र में भी तकरार भी रहेगी लेकिन
तकरीर भी तो होनी चाहिए और मुझे विश्वास है कि हमारे विपक्ष के सभी साथी बड़ी
तैयारी के साथ बहुत बारीकी से अध्ययन करके सदन में अपनी बात रखेंगे। सदन देश के
नीति-निर्धारण में बहुत ही अच्छी तरह से चर्चा करके अमृत निकालेगा जो देश का काम
आएगा। मैं फिर एक बार आप सबका स्वागत करता हूं।
बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। धन्यवाद।