अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 इतिहास एवं महत्व | Yoga Day History in Hindi - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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मंगलवार, 20 जून 2023

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 इतिहास एवं महत्व | Yoga Day History in Hindi

 अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 इतिहास एवं महत्व

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 इतिहास एवं महत्व | Yoga Day  History in Hindi



अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 इतिहास एवं महत्व

21 जून को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा योग की महत्ता को विश्व में ख्याति दिलाने के उद्देश्य से इस दिवस को 2014 में UN में प्रस्तावित किया गया। जिसके उपरान्त दिसंबर 2014 में वैश्विक स्वास्थ्य और विदेश नीतिकी कार्यसूची के तहत UN में सर्वसम्मति से 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गयी।

 

इस दिवस के लिए 21 जून की तारीख का चयन इसलिए किया गया क्योंकि यह दिन उत्तरी गोलार्द्ध (ग्रीष्मकालीन संक्रांति) का सबसे लंबा दिन होता है जिसका दुनिया के कई हिस्सों में विशेष महत्त्व है, साथ ही आध्यात्मिक कार्यों के लिए भी यह दिन विशेष महत्त्व रखता है। दरअसल भारतीय मान्यता के अनुसार आदि योगी शिव ने इसी दिन मनुष्य जाति को योग विज्ञान की शिक्षा देनी शुरू की थी, जिसके बाद वे आदि गुरू बने। स्मरणीय हो कि विश्व का पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (आईवाईडी) 21 जून 2015 को मनाया गया था।

 

योग का परिचय

योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के युजशब्द से हुई है, जिसका मतलब जोड़ना, एकीकरण करना या बांधना होता है। आध्यात्मिक स्तर पर जुड़ने का अर्थ है आत्मा का सार्वभौमिक चेतना से मिलन होना वहीं व्यावहारिक स्तर पर योग को शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने तथा तालमेल बनाने का एक साधन माना जाता है।

 

ज्ञातव्य है कि भारत में तो योग की शुरूआत करीब दस हजार साल पहले ही हो गई थी। वैदिक संहिताओं के अनुसार सप्तऋषियों में से एक अगस्त्य मुनि ने भारत में योग को जनजीवन का हिस्सा बनाने की दिशा में काम किया। ईसा पूर्व दूसरी सदी में भारतीय महर्षि पतंजलि ने पतंजलि योग सूत्र पुस्तक लिखी। यह आधुनिक योग विज्ञान की अति महत्वपूर्ण रचना मानी जाती है।

 

आधुनिक समय की बात करें तो 1893 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म संसद को स्वामी विवेकानंद ने संबोधित किया था, जिसमें उन्होंने उस समय के आधुनिक युग में पश्चिमी दुनिया को योग से परिचय करवाया था। वहीं परमहंस योगानंद ने 1920 में बोस्टन में क्रिया योग सिखाया था। उसके बाद कई गुरुओं और योगियों ने दुनियाभर में योग का प्रसार किया और बड़े पैमाने पर लोगों ने इसको स्वीकार करना शुरू किया। यहां तक की योग को एक विषय के रूप में भी अध्ययन किया जाने लगा।

 

योग के विविध आयाम

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से यूरोप, अमेरिका, एशिया आदि महाद्वीपों में योग पद्धतियों के बारे में जागरूकता एवं लोकप्रियता बढ़ी। अगर देखा जाए तो इसकी वजह योग का व्यक्ति से जुड़कर उसे शारीरिक व मानसिक स्तर पर स्वस्थ रखना है। सामान्यतः योग किसी व्यक्ति के शरीर, मन, संवेदना, संवेग के स्तर पर काम करता है। ऐसे में मोटे तौर पर योग के चार वर्गीकरण हुए हैं-

 

कर्म योग: इसमें शरीर का उपयोग होता है।

ज्ञान योग: इसमें बुद्धि का उपयोग किया जाता है।

भक्ति योग: इसमें भावनाओं का उपयोग किया जाता है।

क्रिया योग: इस योग में ऊर्जा का उपयोग होता है।


ज्ञातव्य है कि आज योग की जिस भी पद्धति का उपयोग किया जाता है, वह ऐसी ही किसी एक या ज्यादा श्रेणियों के दायरे में आता है। हर व्यक्ति को इन चार पहलुओं का संयोजन माना जाता है।

 

व्यापक स्तर पर देखें तो प्रचलित योग साधनाएँ निम्न तरह की होती हैं-

यम: यह जीवन में अहिंसा, आत्मसंयम, सत्य इत्यादि पर जोर देती हैं।

नियम: इसके अंतर्गत पवित्रता, एकाग्रता और दृढ़ता जैसे नियमों के नित्य पालन पर बल दिया जाता है।

आसन: देह को अनुशासित करने के लिए शारीरिक अभ्यास पर बल देता है, जैसे योग मुद्राएँ, स्वास्थ्यवर्द्धन कृत्य आदि।

प्राणायाम: जीवन-शक्ति के संरक्षण के लिए श्वास का नियमन करने पर बल देता है।

प्रत्याहार: संवेदी अंगों के उपयोग को सीमित करता है अर्थात् बाहरी वस्तुओं से स्वयं को दूर रखने पर जोर देता है।

धारण: एक ही लक्ष्य पर ध्यान देने को महत्त्व देता है।

समाधि: ध्यान की वस्तु को चेतना के साथ विलय करता है। यह योग की चरमावस्था मानी जाती है।


योग दिवस मनाये जाने के कारण

यहाँ हम उन कारणों का जिक्र कर सकते हैं, जिसके तहत योग को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में ख्याति दिलाई गई। 

योग के द्वारा लोगों के बीच वैश्विक समन्वय स्थापित करना।

लोगों को योग के फायदों के बारे में जागरूक करना और उनको प्रकृति से जोड़ना।

विश्वभर में चुनौतीपूर्ण बीमारियों की दर को घटाना।

पूरे विश्व में संवृद्धि, विकास और शांति को फैलाना।

लोगों को शारीरिक और मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूक बनाना और योग के माध्यम से इसका समाधान उपलब्ध कराना।


योग का महत्त्व

योग के महत्त्व को निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत समझा जा सकता है-

 

  • यह शारीरिक व्यवस्था को सृदढ़ करने के साथ व्यक्तित्व की कमियों को दूर कर हमें मानसिक रूप से सबल बनाता है।
  • असीम ऊर्जा और उत्साह का संचार कर योग हमारी व्यवहारकुशलता व कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
  • अगर नियमित योग अभ्यास किया जाए तो सभी स्वास्थ्य चुनौतियाँ इसके माध्यम से पार लगायी जा सकती हैं।
  • योग से मानसिक शांति के साथ शांतिपूर्ण वातावरण का भी निर्माण किया जा सकता है, जो वर्तमान विश्व की माँग भी है। दरअसल आज मानसिक अशांति के चलते व्यक्तिगत व सामूहिक संघर्ष बढ़े हैं।
  • हमारी बदलती जीवन शैली के लिए भी योग करना अनिवार्य हो जाता है।
  • यह हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी मदद कर सकता है।
  • योग से शरीर में लचीलापन और मांसपेशियों में ताकत आती है, साथ ही संतुलित रक्तचाप भी बना रहता है।
  • इसकी महत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूनेस्को द्वारा 2016 में योग को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में अंकित किया जा चुका है।