सिवनी जिले के का नाम सिवनी क्यों है ? | Why the name of Seoni is Seoni Reason - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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सोमवार, 15 जनवरी 2024

सिवनी जिले के का नाम सिवनी क्यों है ? | Why the name of Seoni is Seoni Reason

 सिवनी जिले के का नाम सिवनी क्यों है ?

सिवनी जिले के का नाम सिवनी क्यों है ? | Why the name of Seoni is Seoni Reason



सिवनी जिले के नामकरण के संबंध में धारणा

 धारणा 01
सिवनी नगर का नाम सिवनी क्यों पडा इस संबंध में प्रथम धारणा यह है कि यहां कभी सेवन वृक्षों का बाहुल्य था। कदाचित इसी कारण इस नगर का नाम सिवनी पडा है। आज भी जिले में यत्र-तत्र सेवन के वृक्ष पाये जाते है।

धारणा 02
शैव मत के अनुयायी शिव भक्तों का बाहुल्य एवं भगवान शिव के इष्टदेव के रूप में पूजा अर्चना की अधिकता के कारण इस नगर का नाम शिवनी था, कलान्तर में इसका रूप बिगडकर अप्रभ्रंश होने के बाद सिवनी हो गया होगा।

धारणा 03
वीरगाथा काल (सम्वत् 1050 से 1375 तक) में नैनागढ के गोंड राजा इन्दरमन (इन्द्रमन) की बहिन सोना रानी अनुपम सुन्दरी थी। सोना रानी हिर्री नदी विकासखंड केवलारी ग्राम अमोदागढ के पास ग्राम  खोहगढ में अपने भाई के साथ रहती थी। सोना रानी के पिता श्री सोमदेव ने उसकी शादी के लिये एक शर्त रखी कि जो वीर शेर से लडने की क्षमता रखता हो उसे ही सोना रानी का विवाह किया जायेगा।
    आल्हा एवं उदल महोबा चंदेल राजा परमरद (राजा परमाल) के महान पराक्रमी योद्वा (सेनानायक) थे। ऊदल की इच्छा थी कि अल्हा का विवाह सोना रानी से हो। अतः उदल ने अपने बडे भाई आल्हा को सोना रानी से विवाह कराने की सलाह दी। आल्हा ने कहा कि नैनागढ का राजा बहुत ही बलशाली है तथा उसके पास अस्त्र-शस्त्र भी बहुत है। उसने सोना से विवाह करने की इच्छा से आये 52 वीरवरों को बंदी बनाया लिया है। अतः आल्हा ने विषम परिस्थिति को भांप कर मना कर दिया, किन्तु उदल हतोत्साहित नहीं हुआ। उसने हमला बोल दिया। इन्दरमन के साथ घमासान युद्व हुआ और ऊदल जीतकर सोना रानी को ले गया। तत्पश्चात आल्हा के साथ सोना रानी का विवाह सम्पन्न हुआ। सोना रानी के नाम पर इस नगर का नाम सिवनी पडा। 
धारणा 04
आद्य शंकराचार्य दक्षिण दिशा से उत्तर भारत की यात्रा करते हुए जब यहां से निकले तो यहां की प्राकृतिक सम्पदा से प्रभाविक होकर उन्होंने इसे श्रीवनी के नाम से विभूषित किया। इसीलिये इसे सिवनी के नाम से जानते है।
धारणा 05
श्रीवनी का अर्थ होता है बेल के फलों का वन। इसके पत्ते शिवलिंग पर चढाते हैं और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इसके फल यज्ञ हवन में काम आते है। सिवनी नगर में बेल के वनों की अधिकता के कारण इसका नाम श्रीवनी पडा हो और संभव है कालान्तर में अप्रभ्रंश होकर इसका नाम सिवनी हो गया।
धारणा 05
मुगलों का आक्रमण जब गढ मंडला में हुआ तब उस आक्रमण को विफल करने के लिए नागपुर से राजा भोसले की सेना और गढ मंडला से गोंड राजा की सेना गढ छपारा में आकर रूकी । सेना के रूकने के स्थान को छावनी कहा जाता है सेना के रूकने के क्षेत्र धूमा, लखनादौन,छपारा,सिवनी, खवासा रहे है। चूंकि सिवनी सैनिकों के लिए सर्वसुविधा युक्त स्थान था। अतः कुछ अंग्रेज विद्वानों का मत है कि यह विशाल सैनिक क्षेत्र छावनी रहा है। कालान्तर में छावनी का अपभ्रंश रूप सिवनी हो गया।