खिलजी साम्राज्य से संबन्धित महत्वपूर्ण तथ्य | Khilji Empire Important Fact in Hindi - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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रविवार, 14 जनवरी 2024

खिलजी साम्राज्य से संबन्धित महत्वपूर्ण तथ्य | Khilji Empire Important Fact in Hindi

 खिलजी साम्राज्य से संबन्धित महत्वपूर्ण तथ्य  

खिलजी साम्राज्य से संबन्धित महत्वपूर्ण तथ्य | Khilji Empire Important Fact in Hindi



 खिलजी साम्राज्य से संबन्धित महत्वपूर्ण तथ्य 

  • 1290 ई. में फिरोज खिलजी ने अंतिम दास राजा कैकुबाद को पकड़ कर यमुना नदी में फेंक दिया और जलालुद्दीन की पदवी धारण करके अपना शासन स्थापित कर लिया। इस प्रकार दास वंश के स्थान पर खिलजी वंश आ गयाजिसने 1290 से 1320 ई. तक दिल्ली की सुल्तानशाही के भाग्य को संभाले रखा। इस वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा अलाउद्दीन खिलजी था जिसे दिल्ली के सभी सुल्तानों में सबसे बड़ा माना जाता है। 
  • बलबन के मृत्यु के बाद दिल्ली का सिंहासन बलबन के मनोनीत कैखुसरों के स्थान पर कैकुबाद को दिया गया। कैकुबाद एक विलासी राजा था जो आलस्य और उन्माद में डूबा रहता जिसके कारण राज्य का काम-धन्धा निजामुद्दीन द्वारा चलाया जाने लगा। 
  • निजामुद्दीन की मौत पर बड़ी अशांति तथा गड़बड़ फैल गई। दिल्ली के सरदार अब दो दलों में बँट गए। एक दल बलबनी नवाबों का था जिनका नेता ऐतवार कच्छन था और दूसरे दल का नेता फिरोज खिलजी था। 
  • जब जलालुद्दीन को यह पता चला कि खिलजियों के विरुद्ध एक षड्यंत्र हो रहा है तो वह दिल्ली छोड़कर बहरारपुर चला गया। उसने सेनाएँ इकट्ठी कीं और शाही षड्यंत्र दल के विरुद्ध चढ़ाई कर दी। 
  • अलाउद्दीन फिरोज खिलजी का भतीजा तथा दामाद था। वह बहुत ही समझदारसाहसी तथा वीर नवयुवक था। जलालुद्दीन ने उसे कच्छ का राजपाल नियुक्त कर रखा था। 1292 ई. में उसने भीलसा पर चढ़ाई करके उस पर अधिकार कर लिया। 
  • अलाउद्दीन खिलजी 1396 ई. में सिंहासन पर बैठा। बहुत ही अभिलाषी राजा होने के नाते वह सारे भारत का स्वामी बन जाना चाहता था। इस तथ्य के होते हुए भी कि उसे बार-बार मंगोल आक्रमणों का सामना करना पड़ा। 
  • अलाउद्दीन की दक्षिणी चढ़ाइयों का प्रमुख तथा आवश्यक रूप दक्षिण से अधिकाधिक दौलत बटोरना था। सिंहासन पर बैठने से पहले भी उसने देवगिरि पर चढ़ाई की थी और वह भारी दौलत साथ में लाया था। इसलिए जब वह राजा बना तो उसने मलिक काफूर को यह निर्देश दिया कि इन राज्यों पर चढ़ाई करके वहाँ की दौलत लूटकर लाये। 
  • अलाउद्दीन खिलजी न केवल एक महान योद्धा और विजेता था बल्कि एक उत्तम प्रशासनिक मस्तिष्क भी थाके.एम. लाल लिखता है "और बातों की अपेक्षा एक प्रशासक के रूप में ही अलाउद्दीन अपने पूर्वगामियों से कहीं ऊँचा है। एक योद्धा के नाते जो उसके अन्दर गुण थेवे एक संयोजक के नाते उसकी सफलताओं के सामने फीके पड़ जाते हैं।" 
  • अलाउद्दीन पहला सुल्तान था जिसने लगान तथा राज्य कर सम्बन्धी मामलों में बड़ी रुचि ली। उसका परम लक्ष्य यह था कि अधिकाधिक लगान प्राप्त करे। वास्तव में अलाउद्दीन खिलजी को एक बड़ी सेना स्थापित करने के लिए धन की आवश्यकता थी ताकि मंगोल खतरे का सामना कर सके और विजय प्राप्त कर सके। 
  • अलाउद्दीन ने एक बहुत ही बड़ी मजबूत और योग्य सेना खड़ी की। उसने अपने आपको केवल अपने सैन्य बल के सहारे ही सुल्तान बनाया था और उसने यह महसूस किया था कि मंगोल आक्रमणों को पछाड़ने और आंतरिक विद्रोहों को कुचलने के लिए एक मजबूत और योग्य सेना की बड़ी आवश्यकता है। 
  • लगातार विजय के लिए अलाउद्दीन की उत्तेजना और उत्तर-पश्चिमी की ओर से मंगोल लुटेरों के बराबर आक्रमणों ने एक विशाल सेना का रखना आवश्यक बना दिया था। सेना के अलावा असैनिक प्रशासन (Civil Administration) तथा दासों के निमित रखे गये राजकीय कर्मचारियों पर व्यय के कारण शाही खजाने पर भारी बोझ पड़ गया था। 
  • अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार उसके प्रशासन का सबसे महत्त्वपूर्ण रूप हैं। डा. के. एस. लाल का कहना है कि, "ऐसा प्रतीत होता है कि किसानों का जीवन नीरस था और उनके रहन-सहन का दर्जा नीचा था।" मध्य युग इतिहास की सारी परिधि में शायद वही एक ऐसा शासक है जिसने आर्थिक सुधार किये और इन सुधारों के कारण ही लेनपूल ने उसे एक 'महान अर्थशास्त्रीका नाम दिया है। 
  • अलाउद्दीन खिलजी निस्संदेह भारत का सबसे महान मुस्लिम सम्राट हुआ है। वह तुच्छता की दशा से उठकर मध्य युग का एक महानतम शासक बन गया। 
  • कुछ लोगों का मत है कि अलाउद्दीन ने कोई स्थायी सफलता प्राप्त नहीं की। कहते हैं कि उसकी सरकार का कोई ठोस आधार नहीं था और उसके शासन की आंतरिक दुर्बलता के कारण खिलजी वंश आसानी से उखड़ गया। 
  • अलाउद्दीन की मृत्यु के पश्चात् प्रतिद्वन्द्वी पक्षों ने युद्ध तैयारी की शुरू कर दी। इस समय तक मलिक काफूर ने पर्याप्त शक्ति प्राप्त कर ली थी। इसलिए वह अधिकाधिक महत्वाकांक्षी बनता जा रहा था। उसने एक-एक करके राजकुमारों को पराजित कर दिया। 
  • सल्तनत काल का इतिहास एक ऐसे नाटक के समान है जिसमें विभिन्न वंशों का एक-एक करके उत्थान और पतन होता है और जिसमें प्रत्येक वंश की औसत अवस्था लगभग 70 वर्ष है। अजीब सा लगता है कि अलाउद्दीन खिलजी के समय में जो वंश बहुत ऊँचा उठ गया था वह उसके बाद मोम की भांति पिघल जाए। वंश पर आने वाले इस विनाश के कई कारण थे। किसी हद तक स्वयं अलाउद्दीन इनका उत्तरदायी है।