अधिवृक्क एड्रीनल ग्रंथि और निकलने वाले हार्मोन
अधिवृक्क एड्रीनल ग्रंथि और निकलने वाले हार्मोन
- हमारे शरीर में प्रत्येक वृक्क के अग्र भाग में एक स्थित एक जोड़ी अधिवृक्क ग्रंथियां होती हैं।
- ग्रंथियां दो प्रकार के ऊतकों से निर्मित होती हैं।
- ग्रंथि के बीच में स्थित ऊतक अधिवृक्क मध्यांश और बाहरी ओर स्थित ऊतक अधिवृक्क वल्कुट कहलाता है।
- अधिवृक्क मध्यांश दो प्रकार के हार्मोन का स्राव करता है जिन्हें एड्रिनलीन या एपिनेफ्रीन और नॉरएंड्रिनलीन या नारएपिनेफ्रीन कहते हैं। इन्हें सम्मिलित रूप में कैटेकॉलमीनस कहते हैं।
- एड्रिनलीन और नॉरएड्रिनलीन किसी भी प्रकार के दबाव या आपातकालीन स्थिति में अधिकता में तेजी से स्रावित होते हैं, इसी कारण ये आपातकालीन हार्मोन या युद्ध हार्मोन या फ्लाइट हार्मोन कहलाते हैं। ये हार्मोन सक्रियता (तेजी), आँखों की पुतलियों के फैलाव, रोंगटे खड़े होना, पसीना आदि को बढ़ाते हैं। दोनों हार्मोन हृदय की धड़कन, हृदय संकुचन की क्षमता और श्वसन दर को बढ़ाते हैं।
- कैटेकोलएमीन, ग्लाइकोजन के विखंडन को भी प्रेरित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। साथ ही ये लिपिड और प्रोटीन के विखंडन को भी प्रेरित करते हैं।
- अधिवृक्क वल्कुट को तीन परतों में विभाजित किया जा सकता है- जोना रेटिक्यूलेरिस (आंतरिक परत), जोना फेसिक्यूलेटा (मध्य परत) और जोना ग्लोमेरूलोसा (बाहरी परत)।
- अधिवृक्क वल्कुट कई हार्मोन का स्राव करता है- जिन्हें सम्मिलित रूप से कोर्टिकोस्टीरॉइड हार्मोन या कोर्टिकॉइड कहते हैं।
- कॉर्टिकोस्टीरॉइड कार्बोहाइड्रेट के उपापचय में संलग्न होते हैं ग्लूकोकार्टिकॉइड कहलाते हैं। हमारे शरीर में, कॉर्टिसॉल मुख्य ग्लूकोकॉर्टिकॉइड है।
- जल और विद्युत अपघट्यों का संतुलन करने वाले कॉर्टिकॉस्टीराइड, मिनरलोकॉर्टिकॉइड्स कहलाते हैं।
- हमारे शरीर में एल्डोस्टीरॉन मुख्य मिनरलोकॉर्टिकाइड है।
- ग्लूकोकॉर्टिकोइड ग्लाइकोजन संश्लेषण, ग्लूकोनियोजिनेसिस, वसा अपघटन और प्रोटीन अपघटन को प्रेरित करते हैं तथा एमीनो अम्लों के कोशिकीय ग्रहण और उपयोग को अवरोधित करते हैं।
- कॉर्टिसॉल, हृदय संवहनी तंत्र के रखरखाव तथा वृक्क की क्रियाओं में भी संलग्न होता है।
- ग्लूकोकॉर्टिकोइड एवं विशेष रूप से कॉर्टिसाल प्रतिशोथ प्रतिक्रियाओं को प्रेरित करता है तथा प्रतिरक्षा तंत्र की प्रतिक्रिया को अवरोधित करता है।
- कॉर्टिसाल लाल रुधिर कणिकाओं के उत्पादन को प्रेरित करता है।
- एल्डोस्टीरॉन मुख्यतः वृक्क नलिकाओं पर कार्य करता है और Na+ एवं जल के पुनरावशोषण तथा K+ व फॉस्फेट आयन के उत्सर्जन को प्रेरित करता है।
- एल्डोस्टीरॉन, वैद्युत अपघट्यों, शरीर द्रव के आयतन, परासरणी दाब और रक्त दाब को बनाए रखने में सहायक होता है।
- एड्रीनल वल्कुट द्वारा कुछ मात्रा में एंड्रोजेनिक स्टीराइड का भी स्राव होता है जो यौवनारंभ के समय अक्षीय रोम, जघन रोम, तथा मुख (आनन) रोम की वृद्धि में भूमिका अदा करते हैं।
- एड्रिनल वल्कुट द्वारा हार्मोन के अल्प स्रावण के कारण कार्बोहाइड्रेट उपापचय पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिसके कारण अत्यंत दुर्बलता एवं थकावट का अनुभव होता है तथा एडीसन रोग हो जाता है।