गुरु रविदास अथवा रैदास जयंती | Ravidash Jayanti - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025

गुरु रविदास अथवा रैदास जयंती | Ravidash Jayanti

 गुरु रविदास अथवा रैदास  जयंती

गुरु रविदास अथवा रैदास  जयंती | Ravidash Jayanti



  • रविदास जयंती हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार माघ महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस वर्ष यह 12 फरवरी को मनाई गई।
  • गुरु रविदास अथवा रैदास 14वीं शताब्दी के संत और उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन के सुधारक थे।
  • ऐसा माना जाता है कि उनका जन्म वाराणसी में एक मोची परिवार में हुआ था। एक ईश्वर में विश्वास और निष्पक्ष धार्मिक कविताओं के कारण उन्हें प्रसिद्धि मिली।
  • उन्होंने अपना पूरा जीवन जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिये समर्पित कर दिया और ब्राह्मणवादी समाज की धारणा का खुले तौर पर तिरस्कार किया।
  • उनके भक्ति गीतों ने भक्ति आंदोलन पर तत्काल प्रभाव डाला और उनकी लगभग 41 कविताओं को सिखों के धार्मिक ग्रंथ 'गुरु ग्रंथ साहिब' में शामिल किया गया।
  •  संत रैदास स्वामी रामानंद के शिष्य थे। जबकि मीराबाई को संत रैदास की शिष्या कहा जाता है।
  • उन्होंने रैदासिया या रविदासिया पंथ की स्थापना की थी।

 

भक्ति आंदोलन

  • भक्ति आंदोलन का विकास तमिलनाडु में 7वीं और 9वीं शताब्दी के बीच हुआ।
  • यह नयनारों (शिव के भक्त) और अलवर (विष्णु के भक्त) की भावनात्मक कविताओं में परिलक्षित होता है। इन संतों ने धर्म को एक ठंडी औपचारिक पूजा के रूप में नहीं बल्कि पूजा और पूजा करने वाले के बीच प्रेम पर आधारित एक प्रेमपूर्ण बंधन के रूप में देखा।
  • समय के साथ दक्षिण के विचार उत्तर की ओर बढ़े लेकिन यह बहुत धीमी प्रक्रिया थी।
  • भक्ति विचारधारा को फैलाने का एक और प्रभावी तरीका स्थानीय भाषाओं का उपयोग था। भक्ति संतों ने स्थानीय भाषाओं में अपने पद रचे।
  • उन्होंने संस्कृत की रचनाओं का अनुवाद भी किया ताकि उन्हें व्यापक दर्शकों के लिये समझा जा सके।
  • उदाहरणों में शामिल हैं ज्ञानदेव ने मराठी में लिखा, कबीर, सूरदास और तुलसीदास ने हिंदी में, शंकरदेव ने असमिया को लोकप्रिय बनाया, चैतन्य और चंडीदास ने बंगाली में अपना संदेश फैलाया, मीराबाई ने हिंदी और राजस्थानी में लेखन शामिल है।