इसे मिटा दो यार श्री ठाकुर सर | Mitavo na Yaar - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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रविवार, 27 जुलाई 2025

इसे मिटा दो यार श्री ठाकुर सर | Mitavo na Yaar

विकल्प 1 — सरल और सौम्य शैली में:

"आप सभी को मेरा सादर अभिवादन।

इस विशेष अवसर पर मैं मंच पर विराजमान हमारे आदरणीय प्राचार्य महोदय,

हमारे सम्माननीय मुख्य अतिथि,

हमारे बीच उपस्थित  माननीय जनप्रतिनिधिगण।

ग्राम के सभी सम्माननीय नागरिकगण,

यहाँ उपस्थित सभी श्रद्धेय अभिभावकगण,

हमारे मार्गदर्शक शिक्षकगण एवं शिक्षिकाएँ,

यहाँ उपस्थित सभी श्रद्धेय एवं सम्माननीय अतिथिगण

और इस सभा की शोभा बढ़ा रहे मेरे प्रिय विद्यार्थियों का

हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करता हूँ।"


विकल्प 2 —

"सभी को सादर प्रणाम।

आज के इस गरिमामय अवसर पर मैं दिल से स्वागत करता हूँ —

मंच पर आसीन हमारे विद्यालय के आदर्श, हमारे पथ-प्रदर्शक,

आदरणीय प्राचार्य महोदय,

कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रहे हमारे मुख्य अतिथि महोदय,

यहाँ उपस्थित सम्मानीय अभिभावकगण,

नगर के प्रतिष्ठित नागरिकगण,

विद्यालय की रीढ़ सभी शिक्षकगण एवं शिक्षिकाएँ,

और हमारे भविष्य के निर्माता —

मेरे प्यारे और प्रतिभाशाली विद्यार्थियों।"


1आज का दिन...

थोड़ा खास है, थोड़ा भावुक है,

और सच कहूं तो… थोड़ी सी उलझन में भी है मन।

क्योंकि आज हम विदाई दे रहे हैं उस शख्सियत को —

जिन्हें हम कभी अलविदा कहना ही नहीं चाहते थे।


2कभी-कभी कुछ लम्हे इतने भारी लगते हैं कि शब्द भी कम पड़ जाते हैं।

आज का दिन भी वैसा ही है…

क्योंकि आज हम उन्हें विदा कर रहे हैं,

जिनसे बिछड़ने का मन ही नहीं करता।

आज का दिन हमारे लिए भावनाओं से भरा हुआ है


🌸 विकल्प 4:


मन थोड़ा उदास है, पर गर्व भी बहुत है।

क्योंकि आज हम झुके सिर और भरे मन से

विदाई दे रहे हैं उस व्यक्तित्व को

जिन्होंने हमारे जीवन को दिशा दी।


कल्प 5:

आज का दिन भावनाओं से भरा हुआ है।

खुशी है कि आपने लम्बी सेवा पूरी की,

लेकिन मन उदास है…

क्योंकि अब हर दिन आपका साथ नहीं मिलेगा।

आदरणीय प्रचार्य महोदय, हमारे कार्यक्रम की गरिमा हमारे मुख्य अतिथि ठाकुर सर, सर के साथ आए परिवार के सभी सदस्य, आदरणीय राहंगडाले सर राय सर, बघेल सर आदरणीय डहरवाल सर, जनशिक्षा केंद्र से आए सभी शिक्षक साथियों यहां पर उपस्थित सभी सम्मानित जनों।



जिनकी उपस्थिति मात्र  ही हमारे लिए गरिमा और गर्व की बात है।


"शब्द कम पड़ जाएँ, ऐसा व्यक्तित्व है आपका,

हर दिल में बसे हैं आप, ये सम्मान है आपका।" 


आज हम सभी की है आंखें नम हैं। उसका कारण है हमारे विद्यालय के मजबूत स्तंभ, हमारे मार्गदर्शक, हमारे परम सम्मनीय शिक्षक, श्री IK ठाकुर सर  जी जो पिछले 4 दशकों से शिक्षा जगत को अपनी सेवा देकर, अब  वे सेवानिवृत्त हो रहे हैं

 

2 सरल स्वभाव के धनी, सादगी के आदर्श, मधुर मुस्कान के स्वामी, श्री ठाकुर सर  आपका प्रिय वाक्य — “इसे मिटा दो यारहै। यह वाक्यजैसे हर विवाद, हर कटुता, पर एक शांति की सील लगा देता है। सर आपका ये वाक्य न सिर्फ संभावित विवाद को खत्म ही नही करता है, बल्कि मन तनाव को भी मिटा देते थे।

 

3 हम सभी यह भी भलीभांति जानते है कि जब बात शुक्ला के जंगलों की आती है, तो सर का चेहरा कुछ और ही ज्यादा चमक उठता है। 

शुक्ला के घने जंगल आपकी पसंदीदा जगह जो आपके भीतर के शांति, गंभीरता और साधु जैसे व्यक्तित्व को दर्शाते है। शुक्ला के जंगलों  की शांति, वहां की हरियाली और वहां की ताजगी शायद आपके  मन का भी प्रतिबिंब है।

 

4 आदरणीय ठाकुर सर 

आपने सिर्फ बच्चों की  नहीं पढ़ाया आपने हमें संस्कार सिखाए हैं 

आपने हमे जीवन जीने का सबक सिखाया है। 

आपने सिर्फ शिक्षक का कर्तव्य नहीं निभाया आपने यहां परिवार के सदस्य की तरह रिश्ते भी बनाए हैं ।

 

5 अब जब आप इस संस्थान से विदा ले रहे हैं, तो हम आपके आशीर्वाद, आपके अनुभव और आपकी उपस्थिति को बहुत मिस करेंगे। लेकिन हम यह भी जानते हैं कि आप जहां भी होंगे, आपका अपनापन और मार्गदर्शन हमे हमेशा मिलता रहेगा।

 

6 सर आपकी सादगी, ज्ञान, और जीवन का दर्शन पर आधारित एक छोटी सी कविता आपके लिए प्रस्तुत है

 

कभी भूल से भी गुस्सा आया तो बोले मिटावो ना यार, 

अगर कभी बात बढ़ी तो फिर बोले मिटावो ना यार। 

मन में न था कोई अभिमान का भार, 

हर बात में बस सादगी मिटावो ना यार। 

जहां और लोग करते रहे तकरार, 

सर कहके टाल गए मिटावो ना यार। 

शुक्ला के जंगल, हरियाली का प्यार, 

वहीं बसता है ठाकुर सर का  सच्चा संसार। 

ना ऊँची आवाज़, ना कोई तकरार, 

फिर भी बात में होता था असर बेशुमार। 

चाहे पढ़ाई हो या जीवन का सार, 

सब सिखा दिया हँसते-हँसते मिटावो ना यार। 

अब जब विदा की घड़ी है तैयार, 

दिल कहता है रुक जाओ, ना यार। 

पर जाते-जाते भी दे गए अनमोल उपहार, 

जीवन जीने का तरीका और वह मंत्र: "इसे मिटावो ना यार"।

 

7 आदरणीय सर आज हम आपको सिर्फ विदाई नहीं दे रहे, हम आपकी सादगी, अनुशासन और अपनापन को हमेशा के लिए अपने दिलों में संजो रहे हैं।

 

आपने जो संस्कार हमें दिए, वो हमेशा हमे मार्गदर्शन देते रहेंगे। 

आपके स्वस्थ, सुखद और आनंदमय जीवन की हम सभी मंगलकामना करते हैं।

 

धन्यवाद।