क्या है चुनाव संबंधी कानूनी प्रावधान - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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शनिवार, 24 नवंबर 2018

क्या है चुनाव संबंधी कानूनी प्रावधान

निर्वाचन प्रक्रिया को निर्विघ्‍न सम्पन्न करवाने के लिए प्रचलित कानून के अलावा कुछ विशेष कानून बनाये गये है। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण कानून है- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951
   भ्रष्ट आचरण और निर्वाचन अपराधों के बारे में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 तथा निर्वाचन संबंधी अपराधों के बारे में भारतीय दण्ड संहिता के अध्याय 9क के तहत व्यक्ति के भ्रष्ट आचरणों तथा निर्वाचन अपराधों का दोषी पाये जाने पर, विधि के अनुसार उसका निर्वाचन शून्य घोषित किया जा सकता है या उसे जैसा कि विधि में बताया गया है, जुर्माने से अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।
1. धारा-125 निर्वाचन के संबंध में वर्गो के बीच शत्रुता बढ़ाना-
   चुनाव के सिलसिले में धर्म, वंश, जाति, समुदाय या भाषा की बुनियाद पर भारत के नागरिकों के विभिन्न वर्गो के बीच शत्रुता या घृणा की भावनाओं को बढ़ावा देना या बढ़ावा देने की चेष्टा करना संज्ञेय अपराध है।
2.  धारा-126 किसी मतदान क्षेत्र में मतदान समाप्त होने के समय के पहले 48 घंटे के अंदर आमसभा कराने के संबंध में-
    किसी मतदान क्षेत्र में मतदान की तारीख या तारीखों में और मतदान खत्म होने के समय के पहले 48 घण्टे के अंदर आमसभा बुलाने या करने या ऐसी सभा मे हाजिर रहने की मनाही है। यह असंज्ञेय अपराध है।
3. धारा-127 चुनाव सभा में व्यवधान-
      यदि कोई व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत वर्णित राजनीतिक आमसभा में बाधा डालने के उद्देश्य से कोई उपद्रव करता है अथवा ऐसा करने के लिये दूसरे को उकसाता है तो उसे 6 माह तक के कारावास या/एवं 2000 रुपये के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। यह अपराध संज्ञेय है।
   यह धारा निर्वाचन अधिसूचना की दिनांक से विवेचना दिनांक के मध्य की अवधि में आयोजित होने वाली राजनीतिक सभाओं के संबंध में ही लागू होगी। यदि किसी पुलिस अधिकारी को किसी व्यक्ति द्वारा उक्त अपराध घटित करने की युक्तियुक्त आशंका होती है एवं यदि उस राजनीतिक सभा के अध्यक्ष द्वारा प्रार्थना किये जाने पर उस व्यक्ति से तत्काल अपना नाम एवं पता बताने की मांग कर सकता है एवं यदि पुलिस अधिकारी को यह आशंका होती है कि उक्त व्यक्ति द्वारा अपना गलत नाम व पता दिया गया है तो उस व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है।
(क) कोई भी व्यक्ति किसी निर्वाचन पुस्तिका, पोस्टर, को मुद्रक व प्रकाशक के नाम के बिना प्रकाशित नही करेगा और न ही करवायेगा। इस धारा का अपराध 6 माह तक के कारावास तथा 2 हजार रुपये जुर्माने या दोनों से दण्डनीय है।
4.धारा-128 मतदान की गोपनीयता को बनाये रखना-
      चुनाव कार्य में लगे शासकीय कर्मचारी मतदान एवं मतगणना संबंधी प्रक्रिया की गोपनीयता बनाये रखेंगे। इस धारा के तहत अपराध में तीन माह की सजा या जुर्माने से दंडित होगा। यह अपराध असंज्ञेय है।
5.  धारा-129 किसी पुलिस अधिकारी द्वारा किसी व्यक्ति का वोट देने या न देने हेतु प्रेरित करना-
      कोई भी पुलिस अधिकारी किसी चुनाव में किसी को वोट देने या न देने के लिए प्रेरित नही करेगा और न मतदान करने के बारे में किसी भी प्रकार से किसी व्यक्ति पर कोई असर डालने की कोशिश करेगा। यह अपराध संज्ञेय है।
6. धारा-130 मतदान केन्द्रों में या उनके निकट मत संयाचना का प्रतिषेध-
   उस तारीख या उन तारीखों से जब कि किसी मतदान केन्द्र में मतदान होने वाला है, उस मतदान केन्द्र से 100 मीटर के फासले के अंदर किसी आम या निजी जगह में नीचे बतलाई गई बातों की मनाही है:-
(क) वोट के लिये प्रचार
(ख) वोट के लिये याचना

(ग) किसी खास उम्मीदवार को वोट न देने के लिये किसी वोट देने वालो को प्रेरित करना।
(घ) चुनाव में वोट न देने के लिये किसी वोट देने वाले को प्रेरित करना।
(च) चुनाव से संबंधित कोई नोटिस या चिन्ह (सरकारी चिन्हों के अलावा) प्रदर्शित करना।
उक्त अपराध 250 रुपये तक के जुर्माने से दंडनीय हैं। यह अपराध संज्ञेय है।
7. धारा-131 मतदान केन्द्रों में उनके निकट विच्छंखल आचरण के लिये शक्ति-
      मतदान के समय किसी मतदान केन्द्र के अंदर या उसके भीतर जाने के लिये बने दरवाजे पर या उसके करीब किसी आम या निजी जगह में लाउडस्पीकर वगैरह का इस्तेमाल करने या शोर करने या किसी दूसरे प्रकार से बेहूदा बर्ताव करना या प्रेरित करना तीन वर्ष के कारावास एवं/या जुर्माने से दंडनीय है। यह अपराध असंज्ञेय है, लेकिन यदि किसी पुलिस अधिकारी को किसी चुनाव केन्द्र के अध्यक्ष द्वारा किसी व्यक्ति को इस जुर्म के लिये गिरफ्तार करने का आदेश दिया जावे तो उस पुलिस अधिकारी के लिये उस व्यक्ति को गिरफ्तार करना जरूरी होगा। किसी पुलिस अधिकारी को यह अधिकार है कि वह मतदान के समय मतदान केन्द्र में या उसके करीब इस धारा के उल्लंघन को रोकने के लिये जरूरी कदम उठा सकता है और जरूरी बल प्रयोग कर सकता है और इस प्रकार की खिलाफ मर्जी के लिये इस्तेमाल में लाये जाने वाले लाउडस्पीकर या दीगर यंत्र को जप्त कर सकता है।
8. धारा-132 मतदान केन्द्र के अवचार के लिये शास्ति-
      मतदान केन्द्र में डयूटी के लिये तैनात कोई भी पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को जो उस मतदान केन्द्र पर मतदान के लिये मुकर्रर किये गये समय के बीच में दुर्व्यवहार करता है या चुनाव केन्द्र के अध्यक्ष द्वारा कायदे के मुताबिक दिये गये आदेशों को नहीं मानता है, वहाँ से हटा सकता है, लेकिन इस अधिकार को इस प्रकार इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिये जिससे कि कोई व्यक्ति जिसे वोट देने का अधिकार है, वोट न देने पाये। मतदान केन्द्र से ऊपर बताये गये मुताबिक हटा दिये जाने के बाद अध्यक्ष की इजाजत के बिना उस मतदान केन्द्र के अंदर फिर से आना संज्ञेय अपराध है।
9. धारा-133 चुनाव हेतु अवैधानिक रूप से वाहनों का परिवहन करना-
      चुनाव हेतु किराये पर अथवा अन्य तरीके से किसी प्रत्याशी अथवा उसे एजेन्ट अथवा अन्य व्यक्ति द्वारा प्रत्याशी की सहमति से मतदाताओं को चुनाव केन्द्र तक लाने अथवा उसे निकट सीमा तक लाने-ले जाने के लिये किसी प्रकार के परिवहन (किराये/निजी/मुफ्त परिवहन साधन) की व्यवस्था करना चुनाव में भ्रष्ट आचरण के तहत आता है। उपरोक्त अपराध तीन माह के कारावास एवं जुर्माने से दंडनीय है। यह अपराध असंज्ञेय है।
10.   धारा- 134 (ख) मतदान केन्द्र के पास घातक हथियारों से भ्रमण नहीं करना-
      चुनाव डयूटी पर तैनात कर्मचारियों के अलावा अन्य कोई भी व्यक्ति मतदान के दिन मतदान केन्द्र के पास घातक हथियारों से जो आर्म्स एक्ट से परिभाषित हैं, के साथ भ्रमण नहीं करेगा। इस धारा का अपराध करने पर 2 वर्ष का कारावास या/एवं जुर्माने का प्रावधान है। यह अपराध संज्ञेय है।
11.   धारा-135 बूथ कैप्चरिंग-
   जो कोई बूथ कैप्चरिंग का अपराध करता है, वह न्यूनतम एक वर्ष से तीन वर्ष तक के कारावास एवं जुर्माने से दंडित होगा तथा किसी शासकीय कर्मचारी द्वारा यह अपराध करने पर न्यूनतम 3 से 5 वर्ष की सजा एवं जुर्माने से दंडित होगा। बूथ कैप्चरिंग से तात्पर्य बूथ पर बल प्रयोग कर कब्जा करना है। इसके अलावा निम्न कार्यवाही भी बूथ कैप्चरिंग की श्रेणी में मानी जायेगी।
1. मतदान केन्द्र या नियत स्थान को अपने कब्जे में लेकर मात्र अपने समर्थकों को ही मत डालने देने तथा अन्य लोगों को इस अधिकार से वंचित करना।
2. किसी मतदाता को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से धमकी देना या वहाँ मतदाताओं को मत देने या न देने के लिये बाध्य करना।
3. मतगणना के स्थान पर कब्जा करना अथवा ऐसा कार्य करना जो मतगणना को प्रभावित करता हो।
12.   धारा-135 (ग)-
      मतदान समाप्त होने के नियत सीमा के 48 घंटे पूर्व की अवधि में उस मतदान क्षेत्र के भीतर शराब या मादक पदार्थो का विक्रय वितरण किया जाना मना है।
13.   धारा-136 अन्य अपराध-
1. किसी नामांकन पत्र को छलपूर्वक नष्ट अथवा खराब करना
2. निर्वाचन अधिकारी द्वारा लगाये गये नोटिस अथवा अन्य किसी दस्तावेज को छलपूर्वक निकालना अथवा नष्ट करना अथवा खराब करना।
3. किसी मतपत्र या अन्य किसी चुनाव संबंधी शासकीय सील इत्यादि को छलपूर्वक नष्ट करना या खराब करना।
4. अधिकार क्षेत्र के बिना किसी व्यक्ति से चुनाव पत्र लेना अथवा देना।
5. मतपेटी में छलपूर्वक मत पत्र के अलावा अन्य कोई अनैतिक वस्तु डालना।
6. बिना अधिकार के किसी मतपेटी अथवा मत पत्रों को कब्जे में लेना, खोलना अथवा नष्ट करना।
7. छलपूर्वक तथा बिना अधिकार क्षेत्र के उपरोक्त में से किसी कृत्य को करना अथवा करने के लिये उत्प्रेरण करना।
      उपरोक्त में से कोई अपराध यदि चुनाव डयूटी में लगये किसी अधिकारी द्वारा किया जाता है तो वह 2 वर्ष तक के कारावास एवं/या जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। इसके अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उपरोक्त अपराध करने पर उसे 6 माह तक का कारावास एवं/या जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। यह अपराध संज्ञेय है।
भारतीय दण्ड संहिता धारा-171 रिश्वत-
      जो कोई किसी व्यक्ति का किसी के पक्ष में मतदान करने या न करने के लिये किसी प्रकार की क्षति (शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक, दैविक इत्यादि) की धमकी देता है वह इस अपराध का अपराधी होगा।
धारा- 171 (घ) निर्वाचन में प्रतिरूपण-
      कोई भी किसी अन्य व्यक्ति के नाम मतदान कराने हेतु प्रेरित करता है या दुष्प्रेरित करता है तो वह इस अपराध का अपराधी होगा। उपरोक्त तीनों अपराध में अपराधी एक साल के कारावास या/एवं जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
धारा-171(छ) निर्वाचन के संबंध में मिथ्या कथन-
     कोई व्यक्ति किसी चुनाव को प्रभावित करने के लिये किसी प्रत्याशी के व्यक्ति शील या आचरण के संबंध में जानबूझकर कोई असत्य कथन करता है तो वह इस धारा के तहत अपराधी होगा। यह अपराध जुर्माने से दण्डनीय है।
 धारा-171(ज) निर्वाचन के सिलसिले में अवैध संदाय-
      जो कोई व्यक्ति प्रत्याशी को अनुमति के बिना प्रत्याशी के पक्ष में किसी प्रकार का विज्ञापन प्रकाशित करता है या अन्य कोई व्यय करता है/करवाता है तो वह इस धारा के तहत 500 रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
धारा-171 (झ) निर्वाचन लेखा करने में असफलता-
    विधि अथवा नियम के तहत जो व्यक्ति जिस निर्वाचन के संबंध में व्यय का लेखा-जोखा रखा जाना है, ऐसा करने में असफल रहता है वह 500 रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। उपरोक्त धाराओं में अभियुक्त को जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। धारा-171 की समस्त धारायें-ख से लेकर झ तक असंज्ञेय एवं जमानतीय है।
मध्यप्रदेश सम्पत्ति विरूपण अधिनियम, 1994-
    धारा-3 के तहत जो व्यक्ति पेंट, स्याही, चॉक, या अन्य सामग्री से किसी सम्पत्ति पर कुछ भी लिखकर या अन्य प्रकार से उस सम्पत्ति के मालिक की लिखित अनुमति के बिना सम्पत्ति का विरूपण करता है, वह 1000/- रुपये के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। विरूपण से तात्पर्य किसी वस्तु, सामग्री की सामान्य दिखावट, सुन्दरता को खराब कर नुकसान पहुँचाना, उसमें बाधा पैदा करना, अपभ्रष्ट करना इत्यादि माना जायेगा। भवन, इमारत, दीवार, पेड़, खम्बा, टॉवर, बाड़, बाउंड्रीवाल यह सब सम्पत्ति में शामिल माना जायेगा। यह अपराध संज्ञेय है।
मध्यप्रदेश कोलाहल नियंत्रण अधिनियम-1995-
    इस नियम के तहत रात्रि 10 बजे से प्रातरू 6 बजे के बीच किसी भी स्थान पर संगीत एवं ध्वनि विस्तारक यंत्र (एम्प्लीफायर) का प्रयोग निषेघित है। इस प्रकार रात्रि 11 बजे से सुबह 6 बजे के बीच किसी भी प्रकार का कोलाहल किया जाना निषिद्ध है। कोलाहल से तात्पर्य इस प्रकार की आवाज से है जो किसी सामान्य व्यक्ति को मानसिक अथ्वा शारीरिक रूप से कष्ट पहुँचाती हो। तथापि सक्षम अधिकारी ( जिला मजिस्ट्रेट/कार्यपालिक मजिस्ट्रेट) उपरोक्त प्रतिबंध से छूट दे सकता है।
धारा-15 सजा - इस अधिनियमध्उसके नियम का उल्लंघन करने पर 6 माह तक कारावास याध्एवं 1000/- रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
धारा-16 (1) ध्वनि विस्तारक जप्त करने की शक्ति
    प्रधान आरक्षक और उसके ऊपर का कोई भी पुलिस अधिकारी इस अधिनियम/नियम का उल्लंघन करने पर ध्वनि विस्तारक को जप्त कर सकता है।
धारा-16 (2) - पुलिस अधिकारी/न्यायालय के समक्ष ध्वनि विस्तारक के कब्जे के हकदार व्यक्ति द्वारा समाधानकारक मुचलका/जमानत पेश करने पर पुलिस अधिकारी/न्यायालय ध्वनि विस्तारक को सुपुर्दनामे पर वापस दे सकता है।
   धारा-16 (3) - जो व्यक्ति कार्यपालक दण्डाधिकारी से अनुमति लेकर ध्वनि विस्तारक का प्रयोग करता है, उसे पुलिस अधिकारियों द्वारा मांगने पर अनुमति पत्र पेश करना अनिवार्य है अन्यथा वह एक माह तक के कारावास या/एवं 500/- रुपये से दंडित किया जा सकता है। इस अधिनियम के तहत समस्त अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय है।