लॉकडाउन के दौरान बाल अपराध के मामलो में वृद्धि - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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बुधवार, 21 अक्टूबर 2020

लॉकडाउन के दौरान बाल अपराध के मामलो में वृद्धि

Child crime cases increase during lockdown

राष्ट्रीय चाइल्ड लाइन-1098 द्वारा प्रदत्त आकड़ो के अनुसार कोविड लॉकडाउन के दौरान बाल अपराध के मामलो में वृद्धि दर्ज की गई है।

परिचय

कोविड -19 के परिणामस्वरूप किये गए लॉकडाउन की कई प्रवृत्तियां आई हैं। जहाँ एक तरफ श्रमिक प्रवास , अर्थव्यवस्था की गिरावट , जैसी अवांछनीय प्रवृत्तियां आई हैं वहीं पर्यावरण के विषय पर कुछ सुधार देखने को मिला है। अभी हाल ही में राष्ट्रीय चाइल्ड लाइन -1098 द्वारा लॉकडाउन के दौरान के कुछ आकड़े प्रदत्त किये गए हैं जो बाल अवैध व्यापार की अलग तस्वीर बताते हैं। इन आकड़ो के अनुसार लॉकडाउन के दौरान बाल अवैध व्यापार तथा बाल विवाह जैसी दुष्प्रवृत्तियाँ बढ़ी हैं।

आकड़ो के मुख्य विन्दु

मार्च 2020 से अगस्त 2020 के दौरान चाइल्ड लाइन ने 1.92 लाख मामलो में जमीनी हस्तछेप किया गया आये जबकि इसी समयावधि पर 2019 में यह संख्या 1.70 लाख थी।

मार्च 2020 से अगस्त 2020 के दौरान डिस्ट्रेस काल की संख्या 27 लाख थी जो पिछले वर्ष इसी समयावधि में 36 लाख थी। निश्चित ही काल कम हुई हैं परन्तु परिस्थितियों के अनुसार इसे और कम रहना चाहिए था।

अप्रैल से अगस्त 2020 के मध्य बाल विवाह के 10000 मामले सामने आये हैं।

यद्यपि राज्य सरकारों द्वारा एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग पुलिस की भी स्थापना की गई है परन्तु उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र सहित कई राज्य में ह्यूमन ट्रैफिकिंग बढ़ रही है।

लाकडाउन में बाल अवैध व्यापार तथा बाल श्रम बढ़ने के कारण

विद्यालयो के बंद होने के कारण तटीय क्षेत्रों में कुछ बच्चे मत्स्य उद्योग में संलग्न हो गए। इस विषय में सूचना प्राप्त होने पर अधिकारीयों द्वारा कार्यवाही कर इसे बंद कराया गया।

प्रशासनिक तंत्र का ध्यान कोरोना से बचाव की तरफ था , ऐसे में आपराधिक तत्वों को बाल अपराध करने का अवसर प्राप्त हुआ। सम्पूर्ण मामलो में से 32700 मामले बाल विवाह ,यौन अपराध , भावनात्मक अपराध तथा साइबर क्राइम से सम्बंधित थे। 10000 मामले सिर्फ बालविवाह से थे इनमे से अधिकतम को रोकने में सफलता प्राप्त हुई है।

लॉकडाउन के दौरान भी कई उद्योग चल रहे थे। इन उद्योगों में बाल श्रम की गतिविधियां दिखी हैं।

ग्रामीण क्षेत्र में अवैध व्यापार के अधिक मामले दिखे हैं। श्रम की खोज ,आर्थिक तंगी ने इन बच्चो को ह्यूमन ट्रैफिकिंग के लिए अधिक सुभेद्य बनाया।

बच्चो के लिए किये जाने वाले उपायो के उपरांत भी यह अत्यंत दयनीय स्थिति है

बच्चों के कल्याण के लिए विभिन्न उपाय: -

संवैधानिक प्रावधान: -

अनुच्छेद 21 (ए): - 6-14 आयु वर्ग की अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान

अनुच्छेद 24: - यह 14 वर्ष की आयु तक खतरनाक कार्य में बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाता है

अनुच्छेद 39 (ई) - यह सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है कि निविदा आयु के बच्चों का आर्थिक विषमता के कारण दुरुपयोग न हो

अनुच्छेद 45: - राज्य का कर्तव्य है की वह 0-6 आयु वर्ग के बच्चो की देखभाल का प्रावधान करे

अनुच्छेद 51(ए): - माता-पिता का मौलिक कर्तव्य है कि वे अपने बच्चे को ६ तक १४ आयु वर्ग के लिए शिक्षा प्राप्त करने के लिए सुनिश्चित करें

राष्ट्रीय बाल नीति 2013

यह 18 वर्ष से कम आयु के प्रत्येक व्यक्ति के रूप में एक बच्चे को परिभाषित करता है

यह जीवन, अस्तित्व, विकास (मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक, सांस्कृतिक, सकारात्मक), शिक्षा, स्वास्थ्य और भागीदारी के अधिकार की रक्षा हेतु हिंसा और शोषण के खिलाफ प्रावधान करता है

इसके अनुसार बच्चो को प्रभावित करने वाले समस्त निर्णयों में बच्चो के हित की प्राथमिकता होनी चाहिए।

महिला और बाल विकास मंत्रालय: -

बच्चों के कल्याण के लिए योजनाओं का अवलोकन करता है।

राष्ट्रीय चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 को इसी के अंतर्गत स्थापित किया गया है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग: -

यह बाल अधिकार अधिनियम 2005 के तत्वाधान में निर्मित एक वैधानिक निकाय है

इसका उद्देश्य बाल अधिकारो की सुरक्षा तथा संरक्षण तथा बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन के अनुरूप नीतियों सुनिश्चित करना है

राष्ट्रीय बाल कार्य योजना: -

यह 4 मुख्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के तहत प्रगति को मापने के लिए उद्देश्यों, उप-उद्देश्यों, उपभेदों, एक्शन पॉइंट और संकेतकों को परिभाषित करता है

1.    जीवन रक्षा, स्वास्थ्य, पोषण

2.    शिक्षा और विकास

3.    भागीदारी

4.    संरक्षण

इन उपायों के उपरान्त भी बाल अपराधों के होने का कारण :-

सरकार द्वारा बाल अपराध , ह्यूमन ट्रैफिकिंग को रोकने के कई प्रयास किये गए हैं परन्तु यह अपर्याप्त हो रहे हैं इसके कई कारण हैं

बच्चो में प्रतिनिधित्व की कमी

राजनैतिक भागीदारी हेतु निर्धारित आयु 18 वर्ष है। अतः सरकार में बच्चो की भागीदारी नहीं रहती। महिला तथा बाल विकास मंत्रालय समेकित रूप से महिला तथा बच्चो का प्रतिनिधित्व करता है।

लोकप्रिय सरकार जनता के वोट पर निर्भर है कई बार बाल अपराध रोकने में राजनैतिक महत्वाकांछा की कमी दिखती है।

बाल योन अपराधों के अतिरिक्त अन्य बाल अपराध जैसे बाल विवाह राजनैतिक महत्वाकांछा की कमी से संरक्षित हो जाते हैं। बाल विवाह , देवदासी जैसे अपराध धार्मिक परम्परा से संरक्षित हैं। जो समाज को गतिहीन कर रहे हैं।

बच्चे अपने विरुद्ध होने वाले अपराध का विरोध करने में सक्षम नहीं होते।

कई बार बाल अपराध बच्चो के सगे सम्बन्धियों द्वारा होता है जिनके विरुद्ध कार्यवाही हेतु बच्चे भावनात्मक रूप से मजबूत नहीं हो पाते।