प्रदेश के 70 हजार से ज्यादा अध्यापकों की 20 साल की वरिष्ठता शून्य हो सकती है। कारण यह है कि इन्हें नए कैडर में 2018 से नियुक्त होना माना गया है। 1998 से नियुक्त ये वैसे शिक्षाकर्मी हैं, जिन्हें अध्यापक संवर्ग में समायोजन किया गया था। इसके पहले 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन राज्य सरकार ने अध्यापक संवर्ग के समायोजन की घोषणा की थी।
यदि विभाग नए कैडर में नियुक्ति के स्थान पर
अध्यापक संवर्ग का समायोजन करता तो पूर्व की भांति (शिक्षाकर्मी से अध्यापक बनने
पर) सेवा अवधि के समस्त लाभ सेवा की निरंतरता में प्राप्त हुए थे, लेकिन नियुक्ति करने से अध्यापक पूर्व
की सेवा के समस्त लाभों से वंचित हो गए। ऐसे अध्यापकों को परिवार पेंशन, ग्रेच्युटी, क्रमोन्नति, पदोन्नति, समयमान वेतनमान, अनुकंपा, अर्जित अवकाश नकदीकरण की सुविधा नहीं मिलेगी।