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बुधवार, 31 मार्च 2021

31 March Current Affairs in Hindi

 31 March Current Affairs in Hindi

31 March Current Affairs in Hindi


राजस्थान दिवस कब मनाया जाता है 

 

  • 30 मार्च, 2021 को राष्ट्रपति ने राजस्थान के स्थापना दिवस के अवसर पर राज्य के लोगों को बधाई दी। राजस्थान दिवस का आयोजन राज्य के गठन के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष 30 मार्च को किया जाता है। राजस्थान, आधिकारिक तौर पर 30 मार्च, 1949 को तब अस्तित्व में आया, जब इस राजपूताना क्षेत्र को भारत में शामिल किया गया था। ज्ञात हो कि क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है।  सातवीं शताब्दी में यहाँ चौहान राजपूतों का प्रभुत्व बढ़ने लगा और बारहवीं शताब्दी तक उन्होंने एक साम्राज्य स्थापित कर लिया था। वर्ष 1857 के विद्रोह के बाद लोग स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिये महात्मा गांधी के नेतृत्व में एकजुट हुए और वर्ष 1935 में अंग्रेज़ी शासन वाले भारत में प्रांतीय स्वायत्तता लागू होने के बाद राजस्थान में नागरिक स्वतंत्रता तथा राजनीतिक अधिकारों के लिये आंदोलन और तेज़ हो गया। वर्ष 1948 में बिखरी हुई विभिन्न रियासतों को एक करने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो वर्ष 1956 में राज्य में पुनर्गठन कानून लागू होने तक जारी रही। राजस्थान की पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान है, जबकि उत्तर में पंजाब, उत्तर-पूर्व में हरियाणा, पूर्व में उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में मध्य प्रदेश और दक्षिण-पश्चिम में गुजरात है। राजस्थान भौगोलिक रूप से कुल 9 क्षेत्रों में विभाजित है और ये सभी क्षेत्र विरासत और कलात्मक दृष्टि से काफी समृद्ध हैं। राज्य में कुल दो नेशनल टाइगर रिज़र्व हैं- सवाई माधोपुर में रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान और अलवर में सरिस्का टाइगर रिज़र्व। राजस्थान का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से शुरू होता है। ईसा पूर्व 3000 से 1000 के बीच यहाँ की संस्कृति सिंधु घाटी सभ्यता जैसी थी।


रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के बारे में जानकारी 

 

  • भारत के विदेश सचिव हर्षवर्द्धन शृंगला ने सूचित किया है कि भारत, बांग्लादेश को दी गई क्रेडिट लाइन के हिस्से के रूप में रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिये ट्रांसमिशन लाइनों के विकास में सहायता करेगा। रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र की ट्रांसमिशन लाइनों को भारतीय कंपनियों द्वारा क्रेडिट लाइन के तहत विकसित किया जाएगा। इन ट्रांसमिशन लाइनों का मूल्य लगभग 1 बिलियन डॉलर से अधिक होगा। ज्ञात हो कि बांग्लादेश की सरकार, पद्मा नदी के पूर्वी हिस्से में स्थित रूपपुर में अपना पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र बना रही है। इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र में दो इकाइयाँ शामिल होंगी, रूपपुर यूनिट-1 और रूपपुर यूनिट-2, और इन दोनों की क्षमता 1.2GW होगी। रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र परियोजना की शुरुआत वर्ष 2013 में हुई थी और इसका निर्माण कार्य वर्ष 2017 में शुरू हुआ था। इस परियोजना का कार्यान्वयन बांग्लादेश परमाणु ऊर्जा आयोग द्वारा किया जा रहा है। यह नया संयंत्र बांग्लादेश की बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाएगा और उसे ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा। साथ ही इस परियोजना में भारत की हिस्सेदारी दोनों देशों के संबंधों को और अधिक मज़बूत करेगी।


ट्राइबल टीबीपहल क्या है 

 

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने हाल ही में टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये ट्राइबल टीबीपहल की शुरुआत की है। विदित हो कि भारत में 104 मिलियन से अधिक जनजातीय आबादी रहती है, इसमें 705 जनजातियाँ शामिल हैं और यह देश की कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत है। 177 जनजातीय ज़िलों की पहचान उच्च प्राथमिकता वाले ज़िलों के रूप में की गई है, जहाँ की आबादी कुपोषण, जीवन की बदहाल स्थिति और जागरुकता के अभाव के कारण टीबी के प्रति काफी संवेदनशील है। इस पहल के तहत प्रारंभ में 18 चिह्नित राज्यों के 161 ज़िलों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इन ज़िलों में उन्नत संवेदनशीलता मैपिंग तकनीक, स्वच्छता संगठन और वॉलंटियर्स के लिये क्षमता निर्माण का आयोजन, समय-समय पर टीबी के सक्रिय मामलों की खोज हेतु अभियान, संवेदनशील आबादी की पहचान के लिये टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी के प्रावधान लागू करने और संवेदनशीलता को कम करने हेतु दीर्घकालिक तंत्र विकसित करने आदि पर ज़ोर दिया जाएगा।


एकोऔर बीफरोस्टअंडरवाटर केबल परियोजना के बारे में जानकारी 

 

  • दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक और गूगल दक्षिण-पूर्व एशिया को उत्तरी अमेरिका से जोड़ने के लिये दो नए अंडरवाटर इंटरनेट केबल स्थापित करने की योजना बना रहे हैं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य सिंगापुर और इंडोनेशिया में और अधिक तेज़ गति से इंटरनेट की सुविधा प्रदान करना है। इसमें पहली अंडरवाटर केबल परियोजना- एकोहै, जो कि सिंगापुर को प्रत्यक्ष तौर पर अमेरिका से जोड़ेगी। इस परियोजना में फेसबुकऔर गूगलद्वारा संयुक्त रप से निवेश किया जाएगा, जबकि दूसरी अंडरवाटर केबल परियोजना- बीफरोस्टहै, जो कि दक्षिण-पूर्वी एशियाई क्षेत्र को अमेरिका के पश्चिमी तट से जोड़ेगी। इस परियोजना को फेसबुकद्वारा क्षेत्रीय कंपनियों के सहयोग से पूरा किया जाएगा।


केप ऑफ गुड होप क्या है 


हाल ही में स्वेज़ नहर (Suez Canal) में रुकावट के कारण केप ऑफ गुड होप (Cape of Good Hope) के माध्यम से जहाज़ों के पुनः संचालन के लिये मार्ग का विकल्प खोजा गया।


केप ऑफ गुड होप के बारे में जानकारी 

  • केप ऑफ गुड होप (Cape of Good Hope) दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के केप प्रायद्वीप (Cape Peninsula) पर अटलांटिक के तट पर एक चट्टानी हेडलैंड (Headland) है।
  • हेडलैंड अर्थात् रास, प्रायद्वीप का एक प्रकार है। यह सागर में भूमि का एक उभरा हुआ भाग होता है जो तीन ओर से पानी से घिरा होता है।
  • केप ऑफ गुड होप मार्ग पूर्वी एशिया और यूरोप को अफ्रीका के दक्षिणी भागों से जोड़ता है।
  • वर्ष 1869 में स्वेज़ नहर का संचालन शुरू होने से भूमध्य सागर से हिंद महासागर की दूरी काफी कम हो गई, जिसके चलते अफ्रीका के आस-पास से होकर जाने वाले लंबे मार्ग का उपयोग कम हो गया।
  • केप ऑफ गुड होप मार्ग, स्वेज़ नहर मार्ग से 8900 किमी. लंबा है जिसे पूरा करने में अतिरिक्त दो सप्ताह का समय लगता है।
  • एक गलत अवधारणा यह है कि केप ऑफ गुड होप अफ्रीका का दक्षिणी छोर है।
  • समकालीन भौगोलिक जानकारी के अनुसार, अफ्रीका का सबसे दक्षिणी बिंदु केप अगुलहास है जो पूर्व और दक्षिण-पूर्व में लगभग 150 किमी. दूर स्थित है।
  • अगुलहास की गर्म जलधारा (हिंद महासागर) बेंगुला की ठंडी जलधारा (अटलांटिक महासागर) से  केप-अगुलहास और केप प्वाइंट (केप ऑफ गुड होप से लगभग 1.2 किमी. पूर्व) के मध्य मिलती है।

केप ऑफ गुड होप का इतिहास:

  • पुर्तगाली खोजकर्त्ता बार्टोलोमू डायस द्वारा वर्ष 1488 में केप को मूल रूप से   केप ऑफ स्टॉर्म नाम दिया गया था।
  • बाद में केप सी रूट (Cape Sea Route) जो कि अफ्रीका के दक्षिणी तट से गुज़रता है, अधिक लोगों द्वारा पार करने के कारण इसे केप गुड होप नाम दिया गया।
  • अंततः यूरोप से एशिया की यात्रा करने वाले नाविकों के लिये केप एक महत्त्वपूर्ण  बंदरगाह मार्ग बन गया।

 

 

 महाराजा छत्रसाल कन्वेंशन सेंटर के बारे में जानकारी 

 

हाल ही में मध्य प्रदेश के खजुराहो में महाराजा छत्रसाल कन्वेंशन सेंटर का उद्घाटन किया गया है। 

बुंदेलखंड के राजा, महाराजा छत्रसाल के नाम पर स्थापित इस कन्वेंशन सेंटर को पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के तहत बनाया गया है।

 

खजुराहो

 

  • यह देश के 19 चिह्नित प्रतिष्ठित पर्यटक स्थलों में से एक है।
  • पर्यटन मंत्रालय ने प्रतिष्ठित पर्यटक स्थल विकास योजना की शुरुआत की है, जो कि समग्र दृष्टिकोण को अपनाकर देश के 19 चिह्नित प्रतिष्ठित पर्यटक स्थलों के विकास से संबंधित एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।
  • खजुराहो समूह के स्मारक को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  • यहाँ के मंदिर अपनी नागर स्थापत्य शैली और कामुक मूर्तियों के लिये प्रसिद्ध हैं।
  • खजुराहो के अधिकांश मंदिरों का निर्माण 885 ईस्वी से 1050 ईस्वी के बीच चंदेल राजवंश द्वारा किया गया था।

 

स्वदेश दर्शन योजना क्या है 

 

  • यह एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है, जिसे वर्ष 2014-15 में देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट के एकीकृत विकास हेतु शुरू किया गया था।
  • वर्तमान में 15 थीम आधारित सर्किट हैं - बौद्ध, तटीय क्षेत्र, रेगिस्तान, पर्यावरण, विरासत, हिमालयन क्षेत्र, कृष्ण, उत्तर-पूर्व, रामायण, ग्रामीण क्षेत्र, आध्यात्म, सूफी, तीर्थंकर, आदिवासी और वन्यजीव।
  • थीम आधारित पर्यटन सर्किट का विकास पर्यटक अनुभव में वृद्धि करने, रोज़गार के अवसरों को बढ़ाने हेतु उच्च पर्यटक मूल्य, प्रतिस्पर्द्धा और स्थिरता के एकीकृत सिद्धांतों के आधार पर किया जाता है।
  • पर्यटन मंत्रालय इस योजना के तहत सर्किट की अवसंरचना के विकास के लिये राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों को केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • इस योजना को स्वच्छ भारत अभियान, कौशल भारत, मेक इन इंडिया आदि जैसी अन्य योजनाओं के साथ तालमेल स्थापित करने के उद्देश्य से भी शुरू किया गया है, ताकि पर्यटन को रोज़गार सृजन और देश के आर्थिक विकास के लिये एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में स्थापित किया जा सके।

 


महाराजा छत्रसाल परिचय

 

  • जन्म: महाराजा छत्रसाल का जन्म 4 मई, 1649 को बुंदेला राजपूत कबीले में चंपत राय और लाल कुंवर के घर हुआ था।
  • वे ओरछा के रुद्र प्रताप सिंह के वंशज थे।
  • वे एक मध्यकालीन भारतीय योद्धा थे, जिन्होंने मुगल साम्राज्य के विरुद्ध लड़ाई लड़ी और बुंदेलखंड में अपना राज्य स्थापित किया।
  • मृत्यु: 20 दिसंबर, 1731

 

मुगल साम्राज्य के विरुद्ध संघर्ष

 

  • उन्होंने वर्ष 1671 में मुगल साम्राज्य के विरुद्ध संघर्ष शुरू किया और सर्वप्रथम छतरपुर ज़िले के नौगाँव क्षेत्र पर कब्ज़ा किया।
  • उन्होंने मुगलों के विरुद्ध तकरीबन 50 वर्ष तक संघर्ष किया और बुंदेलखंड के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया तथा पन्ना में अपना केंद्र स्थापित किया।

 

बाजीराव प्रथम के साथ संबंध:

 

  • बाजीराव प्रथम ने मुगलों के विरुद्ध संघर्ष में छत्रसाल की मदद की थी। बाजीराव प्रथम ने 1728 में मुहम्मद खान बंगश के नेतृत्व में मुगल सेना के विरुद्ध सैन्य सहायता भेजी थी।
  • पेशवा बाजीराव प्रथम की दूसरी पत्नी मस्तानी छत्रसाल की बेटी थी।
  • अपनी मृत्यु से पूर्व छत्रसाल ने मुगलों के विरुद्ध सहायता के बदले महोबा और आसपास के क्षेत्र बाजीराव प्रथम को सौंप दिये थे।

 

साहित्य के संरक्षक

 

  • उनके दरबार में कई नामचीन कवि थे। कवि भूषण, लाल कवि, बख्शी हंसराज और अन्य दरबारी कवियों द्वारा लिखी गई उनकी स्तुतियों ने उन्हें स्थायी प्रसिद्धि हासिल करने में काफी सहायता की।

 

धार्मिक मत

 

  1. वे महामति प्राणनाथ जी के शिष्य थे।
  2. महामति प्राणनाथ जी ने राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मामलों में उनका मार्गदर्शन किया।
  3.  स्वामी प्राणनाथ जी ने छत्रसाल को पन्ना में हीरे की खानों के बारे में बताया और उनकी वित्तीय स्थिति को मज़बूत करने में मदद की।

 

विरासत

 

  • मध्य प्रदेश में छतरपुर शहर और इसके ज़िले का नाम छत्रसाल के नाम पर रखा गया है।
  • मध्य प्रदेश में महाराजा छत्रसाल संग्रहालय और दिल्ली में छत्रसाल स्टेडियम का नाम भी महाराजा छत्रसाल के नाम पर रखा गया है।

 

निसार क्या है 

निसार : नासा और इसरो का संयुक्त पृथ्वी अवलोकन मिशन 

राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (National Aeronautics and Space Administration- NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) संयुक्त रूप से NISAR नामक SUV के आकार के उपग्रह को विकसित करने हेतु कार्य कर रहे हैं। यह उपग्रह एक टेनिस कोर्ट के लगभग आधे क्षेत्र में 0.4 इंच से भी छोटी किसी वस्तु की गतिविधि का अवलोकन करने में सक्षम होगा।

 

इस उपग्रह को वर्ष 2022 में श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एक ध्रुवीय कक्षा में लॉन्च किया जाएगा।

 

निसार: यह नासा-इसरो-एसएआर (NASA-ISRO-SAR) का संक्षिप्त नाम है।

SAR, सिंथेटिक एपर्चर रडार (Synthetic Aperture Radar) को संदर्भित करता है जिसका उपयोग नासा द्वारा पृथ्वी की सतह में होने वाले परिवर्तनों को मापने में किया जाएगा। 

यह उच्च-रिज़ॉल्यूशन छवियों को प्राप्त करने वाली एक तकनीक को संदर्भित करता है। अपनी सटीकता के कारण यह बादलों और अंधेरे को भी भेदने में सक्षम है, जिसका अर्थ है कि यह किसी भी मौसम में दिन और रात, किसी भी समय डेटा एकत्र करने में सक्षम है।

कार्य: यह अपने तीन-वर्षीय मिशन के दौरान हर 12 दिनों में पृथ्वी की सतह का चक्कर लगाकर पृथ्वी की सतह, बर्फ की चादर, समुद्री बर्फ के दृश्यों का चित्रण करेगा। 

 

नासा की भूमिका:

 

नासा, उपग्रह में प्रयोग किये जाने हेतु एक रडार, विज्ञान डेटा, जीपीएस रिसीवर और एक पेलोड डेटा सब-सिस्टम के लिये उच्च दर संचार उपतंत्र प्रदान करेगा।

निसार, नासा द्वारा लॉन्च किये गए अब तक के सबसे बड़े रिफ्लेक्टर एंटीना (Reflector Antenna) से लैस होगा।

 

इसरो की भूमिका:

 

इसरो द्वारा स्पेसक्रॉफ्ट बस (अंतरिक्षयान बस), दूसरे प्रकार के रडार (जिसे S- बैंड रडार कहा जाता है), लॉन्च वाहन और संबद्ध लॉन्च सेवाएंँ उपलब्ध कराई जाएंगी।

 

प्राथमिक लक्ष्य:

 

  •     पृथ्वी की सतह पर होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों की निगरानी करना। 
  •     संभावित ज्वालामुखी विस्फोटक के बारे में चेतावनी देना।
  •     भूजल आपूर्ति की निगरानी में मदद करना।
  •     बर्फ की चादरों के पिघलने की दर की निगरानी करना।

 

अपेक्षित लाभ:

 

  • निसार से प्राप्त डेटा वैश्विक स्तर पर लोगों को प्राकृतिक संसाधनों और खतरों का बेहतर प्रबंधन करने में मदद कर सकते हैं, साथ ही वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और उनका बेहतर ढंग से समाधान करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।
  • स्थानीय स्तर पर हुए परिवर्तन को दर्शाने हेतु निसार द्वारा लिये गए चित्र पर्याप्त होंगे, साथ ही ये व्यापक स्तर पर क्षेत्रीय रुझानों को मापने में भी सहायक  होंगे।
  • आने वाले वर्षों में इस मिशन से प्राप्त डेटा क्रस्ट के बारे में तथा भूमि की सतह पर होने वाले परिवर्तन के परिणामों की बेहतर समझ विकसित करने में सहायक होंगे।
  • यह हमारे ग्रह की कठोर बाहरी परत जिसे क्रस्ट कहा जाता है, के बारे में हमारी समझ को और बेहतर रूप से विकसित करने में सहायक होगा।

 

एस-बैंड रडार:

 

  • एस बैंड रडार 8-15 सेमी. की तरंगदैर्ध्य और 2-4 गीगाहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर कार्य करते हैं।
  • तरंगदैर्ध्य और आवृत्ति के कारण एस-बैंड रडार को आसानी से नहीं देखा जा सकता है जो इसे निकट और दूर के मौसम के अवलोकन हेतु उपयोगी बनाता है।
  • एस-बैंड की खामी यह है कि इसमें विद्युत आपूर्ति हेतु एक बड़ी एंटीना डिश और मोटर की आवश्यकता होती है। एस-बैंड डिश का आकार 25 फीट से अधिक होना असामान्य बात नहीं है।

 


स्वास्थ्य अब समवर्ती सूची में

 

हाल ही में 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य (Health) को संविधान के तहत समवर्ती सूची (Concurrent List) में स्थानांतरित किया जाना चाहिये। वर्तमान में 'स्वास्थ्य' राज्य सूची (State List) के अंतर्गत आता है। 

एन.के. सिंह ने हेल्थकेयर में निवेश के लिये एक समर्पित विकास वित्त संस्थान (Development Financial Institute- DFI) हेतु भी काम किया है।


'स्वास्थ्य' को समवर्ती सूची में स्थानांतरित करने के पक्ष में तर्क:

 

केंद्र की ज़िम्मेदारी में वृद्धि: स्वास्थ्य को समवर्ती सूची में स्थानांतरित किये जाने से केंद्र को नियामक परिवर्तनों को लागू करने, बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने और सभी पक्षों के दायित्वों को सुदृढ़ करने के लिये अधिक अवसर मिलेगा।

अधिनियमों का युक्तिकरण और सरल बनाना: स्वास्थ्य क्षेत्र में अनेक अधिनियमों, नियमों और विनियमों तथा तेज़ी से उभरने वाली संस्थानों की बहुलता है, फिर भी इस क्षेत्र का विनियमन उचित रूप से नहीं होता है।

स्वास्थ्य को समवर्ती सूची में स्थानांतरित करके कार्यप्रणाली में एकरूपता सुनिश्चित की जा सकती है।

    केंद्र की विशेषज्ञता: केंद्र सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्यों की तुलना में तकनीकी रूप से बेहतर है क्योंकि इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रबंधन के लिये समर्पित अनेक शोध निकायों और विभागों की सहायता प्राप्त है।

        दूसरी ओर राज्यों के पास व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को स्वतंत्र रूप से डिज़ाइन करने की तकनीकी विशेषज्ञता नहीं है।

 

स्वास्थ्यको समवर्ती सूची में स्थानांतरित करने के विपक्ष में तर्क:

 

स्वास्थ्य का अधिकार: सभी के लिये सुलभ, सस्ती और पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा के प्रावधान की गारंटी देना न तो आवश्यक है तथा न ही पर्याप्त।

स्वास्थ्य का अधिकार पहले ही संविधान के अनुच्छेद 21 के माध्यम से प्रदान किया गया है जो जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा की गारंटी देता है।

संघीय संरचना को चुनौती: राज्य सूची से केंद्र सूची में अधिक विषयों को स्थानांतरित करने से भारत की संघीय प्रकृति दुर्बल होगी।

न्यास सहकारी संघवाद: केंद्र को अपने अधिकारों का इस प्रकार से इस्तेमाल करना होगा, जिससे राज्यों को उनके संवैधानिक दायित्वों जैसे- सभी के लिये पर्याप्त, सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने में मदद मिल सके।

केंद्र पर अधिक ज़िम्मेदारी: केंद्र के पास पहले से ही अधिक ज़िम्मेदारियाँ हैं, जिनसे निपटने के लिये वह संघर्ष करता रहता है। अधिक ज़िम्मेदारियाँ लेने से न तो राज्यों को और न ही केंद्र को अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने में मदद मिलेगी।

राज्यों को प्रोत्साहित करना: राज्य द्वारा एकत्रित किये जाने वाले करों का 41% हिस्सा केंद्र सरकार को जाता है। केंद्र द्वारा राज्यों को अपेक्षित ज़िम्मेदारियों के निर्वहन के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये, साथ ही केंद्र को भी स्वयं के संसाधन का उपयोग करके अपने दायित्व को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।

स्वास्थ्य को राज्य सूची का विषय होने के बाद भी इस पर केंद्र के रचनात्मक सहयोग को राज्यों को अपनाना चाहिये।

नीति आयोग का स्वास्थ्य सूचकांक, बीमा आधारित कार्यक्रम (आयुष्मान भारत) के माध्यम से वित्तीय सहायता, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिये बेहतर विनियामक वातावरण और चिकित्सा शिक्षा ऐसे ही उदाहरण हैं जो राज्यों को सही दिशा में प्रेरित कर सकते हैं।

 

स्वास्थ्य देखभाल के लिये विकासात्मक वित्त संस्थान:

 

स्वास्थ्य क्षेत्र-विशिष्ट डीएफआई की ज़रूरत वैसे ही होती है जैसे अन्य क्षेत्रों (नाबार्ड, नेशनल हाउसिंग बैंक आदि) को होती है।

इस तरह के डीएफआई से टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्वास्थ्य सुविधा की पहुँच बढ़ेगी तथा इससे धन के समुचित उपयोग सुनिश्चित करने वाली तकनीकी सहायता भी मिलेगी।

 

 एन.के. सिंह के अन्य सुझाव:

 

स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च को वर्ष 2025 तक जीडीपी के 2.5% तक बढ़ाना।

विशेष रूप से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा सभी राज्यों की एक मौलिक प्रतिबद्धता होनी चाहिये और कम-से-कम दो-तिहाई धनराशि का आवंटन स्वास्थ्य क्षेत्र को किया जाना चाहिये।

केंद्र और राज्य दोनों के लिये स्वास्थ्य देखभाल कोड का मानकीकरण करना।

अखिल भारतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा का गठन।

इस सेवा का गठन चिकित्सा हेतु डॉक्टरों की उपलब्धता में राज्यवार अंतर को देखते हुए करना आवश्यक है, जैसा कि अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1951 की धारा 2ए के तहत परिकल्पित है।

सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा बीमा के महत्त्व पर ज़ोर देना, क्योंकि समाज का एक बड़ा वर्ग अभी भी इसकी पहुँच से दूर है।

 

हेल्थ केयर बीमा के सार्वभौमीकरण की आवश्यकता:

 

मौजूदा बीमा कवरेज़ क्षेत्र: प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana) नीचे के दो आय पंचमक (Quintile) और वाणिज्यिक बीमा बड़े पैमाने पर शीर्ष के आय पंचमक को कवर करती है, जिससे बीच में एक अनुपस्थित मध्य वर्ग (Missing Middle) पैदा होता है।

अनुपस्थित मध्य वर्ग: यह वर्ग दो आय पंचमकों के बीच के लोगों को संदर्भित करता है, जहाँ वाणिज्यिक बीमा का खर्च उठाने वाली जनसंख्या और सरकार द्वारा प्रायोजित स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के तहत कवर किये जाने हेतु पर्याप्त गरीब जनसंख्या नहीं है।

 

समवर्ती सूची के बारे में जानकारी 

 

  • भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में तीन सूचियाँ यथा- संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची दी गई हैं।
  • उल्लेखनीय है कि संसद तथा राज्य विधानसभा दोनों ही समवर्ती सूची में शामिल विषयों पर कानून बना सकते हैं।
  • इस सूची में मुख्यतः ऐसे विषय शामिल किये गए हैं जिन पर पूरे देश में कानून की एकरूपता वांछनीय है लेकिन यह आवश्यक नहीं है।
  • हालाँकि राज्य के कानून को केंद्रीय कानून का विरोधी नहीं होना चाहिये। कई बार संबंधित विषय पर केंद्रीय कानून की मौजूदगी इस पर राज्य की कानून बनाने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है।
  • समवर्ती सूची में स्टाम्प ड्यूटी, ड्रग्स एवं ज़हर, बिजली, समाचार पत्र, आपराधिक कानून, श्रम कल्याण जैसे कुल 52 विषय (मूल रूप से 47 विषय) शामिल हैं।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 1976 के 42वें संशोधन के माध्यम से राज्य सूची के पाँच विषयों को समवर्ती सूची में स्थानांतरित किया गया था। इन पाँच विषयों में शामिल हैं- (1) शिक्षा (2) वन्यजीवों एवं पक्षियों का संरक्षण (3) वन (4) नाप-तौल (5) न्याय प्रशासन।

 

विकास वित्त संस्थान

 

  • ये विकासशील देशों में विकास परियोजनाओं को वित्त प्रदान करने के लिये विशेष रूप से स्थापित संस्थान हैं।
  • ये बैंक आमतौर पर राष्ट्रीय सरकारों के स्वामित्व वाले होते हैं।
  • इन बैंकों की पूंजी का स्रोत राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय विकास निधि है।
  • यह विभिन्न विकास परियोजनाओं को प्रतिस्पर्द्धी दर पर वित्त प्रदान करने की क्षमता रखता है।

 


भारत-दक्षिण कोरिया: मैत्री पार्क

हाल ही में भारतीय रक्षा मंत्री और उनके दक्षिण कोरियाई समकक्ष ने दिल्ली छावनी में आयोजित एक समारोह में  भारत-दक्षिण कोरिया मैत्री पार्क का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया।

 

बाद में दोनों मंत्रियों ने सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों का पता लगाने हेतु द्विपक्षीय बैठक की।

इससे पूर्व फरवरी 2019 में भारत के प्रधानमंत्री ने दक्षिण कोरिया ( कोरिया गणराज्य) का दौरा किया था।

परिचय:

 

छह एकड़ के हरित क्षेत्र में फैले इस पार्क में कोरियाई शैली का एक प्रवेश द्वार, जॉगिंग ट्रैक, प्राकृतिक उद्यान और रंगभूमि (Amphitheatre) मुख्य आकर्षण के  केंद्र हैं।

इस पार्क के प्रवेश द्वार पर निर्मित हाथ मिलाती हुई एक बड़ी कलाकृति है, जिस पर भारत और दक्षिण कोरिया के ध्वज बने हैं।

पार्क में प्रतिष्ठित सैनिक जनरल के.एस. थिमैया की भी एक विशाल प्रतिमा लगी है, उन्होंने कोरिया में भारत की अध्यक्षता वाले तटस्थ राष्ट्र प्रत्यावर्तन आयोग (NNRC) के चेयरमैन के रूप में भारतीय सैन्य दल का नेतृत्व किया था।

तटस्थ राष्ट्र प्रत्यावर्तन आयोग (NNRC)

कोरियाई युद्ध में युद्धविराम समझौते की अनुवर्ती कार्रवाई को  अपनाते हुए एक NNRC की स्थापना की गई थी, जिसे दोनों पक्षों के युद्ध में शामिल 20,000 से अधिक कैदियों के बारे में फैसला करना था।

भारत को NNRC के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था, जिसमें पोलैंड एवं चेकोस्लोवाकिया कम्युनिस्ट ब्लॉक का प्रतिनिधित्व करते थे तथा स्वीडन और स्विट्ज़रलैंड ने पश्चिमी दुनिया का प्रतिनिधित्व किया ।

जनरल थिमैया की प्रतिमा के पीछे स्थापित पाँच स्तंभों पर कोरियाई युद्ध के दौरान 60 पैराशूट फील्ड एंबुलेंस (भारत द्वारा तैनात) द्वारा चलाए गए उन अभियानों का विवरण है जिसमें 1,95,000 घायलों का इलाज किया था और 2,300 घायलों की फील्ड सर्जरी की गई थी।

एक स्तंभ को नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के कोरिया पर कहे गए कथन द लैंप ऑफ द ईस्टके रूप में शामिल किया गया है, जो 1929 में कोरियाई दैनिक समाचार पत्र  "डोंग-ए-इल्बो" में प्रकाशित हुआ था।

 

विकास रणनीति :

 

इस पार्क का विकास भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय, भारतीय सेना, दिल्ली छावनी बोर्ड, कोरियाई दूतावास और भारत के कोरियन वॉर वेटेरन्स एसोसिएशन के संयुक्त परामर्श से किया गया है।

 

महत्व:

 

दिल्ली छावनी में स्थित इस पार्क की महत्ता केवल भारत-दक्षिण कोरिया के मज़बूत मित्रता संबंधों के प्रतीक के रूप में ही नहीं है बल्कि संयुक्त राष्ट्र के तत्त्वावधान में 1950-53 के बीच हुए कोरियाई युद्ध में हिस्सा लेने वाले 21 देशों में से एक भारत के योगदान को दर्शाना भी है।

 

बैठक के चर्चित मुद्दे:

 

भारत-प्रशांत रणनीति के हिस्से के रूप में समुद्री सहयोग और रक्षा उद्योग एवं भविष्य की प्रौद्योगिकियों में सहयोग हेतु चर्चा की गई।

दोनों देशों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में काम करते हुए भारतीय नौसेना की मदद के लिये एक रसद समझौते (Logistics Agreement) पर हस्ताक्षर किये।

 

भारत-दक्षिण कोरिया संबंध:

 

राजनीतिक:

 

कोरिया युद्ध (वर्ष 1950-53) के दौरान युद्धरत दोनों पक्षों (उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया) के मध्य भारत ने युद्धविराम समझौता कराने में एक प्रमुख भूमिका निभाई। भारत द्वारा प्रायोजित इस संकल्प को स्वीकार कर लिया गया और 27 जुलाई, 1953 को युद्ध विराम की घोषणा हुई, जो भारत की एक बड़ी उपलब्धि थी।

मई 2015 में द्विपक्षीय संबंधों को  'विशेष सामरिक भागीदारीहेतु उन्नत किया गया।

भारत ने दक्षिण कोरिया की दक्षिणी नीति में एक अहम भूमिका निभाई है, जिसके तहत कोरिया अपने प्रभावी क्षेत्र के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में भी संबंधों का विस्तार करना चाहता है।

    भारत जहाँ एक ओर अपनी लुक ईस्ट पॉलिसी (Look East Policy) के माध्यम से संबंधों को बढ़ावा दे रहा है, वहीं दक्षिण कोरिया नई दक्षिणी नीति (New Sauthern Policy) के माध्यम से भारत के साथ बेहतर संबंध स्थापित करना चाहता है। दक्षिण कोरिया भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी( Act East Policy) का एक प्रमुख सहयोगी है जिसके अंतर्गत भारत का उद्देश्यों आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और एशिया-प्रशांत देशों के साथ रणनीतिक संबंधों को विकसित करना है।

 

आर्थिक:

 

भारत और दक्षिण कोरिया के बीच वर्तमान द्विपक्षीय व्यापार 21 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जबकि वर्ष 2030 तक 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

भारत और दक्षिण कोरिया ने व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA), 2010 पर हस्ताक्षर किये हैं। यह समझौता व्यापार संबंधों के विकास को सुविधाजनक बनाता है।

कोरिया से निवेश सुविधा के लिये भारत ने 'इन्वेस्ट इंडिया' के अंतर्गत एक कोरिया प्लसपहल को शुरू किया है जो निवेशकों का मार्गदर्शन, सहायता करने और   संवर्द्धित  करने की सुविधा प्रदान करेगी।

कोरिया के वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी वर्ष 2020 में 1.72% थी तथा कोरिया के वैश्विक आयात में भारत का योगदान  वर्ष 2001 में 0.78% से बढ़कर वर्ष 2020 में 1.05% हो गया है।

 

सांस्कृतिक:

 

कोरियाई बौद्ध भिक्षु हाइको या होंग जिआओ ने 723 से 729 ईस्वी के दौरान भारत की यात्रा की और उन्होंने भारत के पाँच साम्राज्यों की तीर्थयात्रानामक यात्रा वृतांत लिखा। यह यात्रा वृतांत भारतीय संस्कृति, राजनीति और समाज का ज्वलंत वर्णन करता है।

नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने 1929 में कोरिया के गौरवशाली अतीत और इसके उज्ज्वल भविष्य के बारे में एक छोटी लेकिन विचारोत्तेजक कविता लैंप ऑफ द ईस्टकी रचना की थी।

भारत तथा कोरिया गणराज्य के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ाने के लिये अप्रैल 2011 में सियोल में तथा दिसंबर 2013 में बूसान में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र (ICC) का गठन किया गया।