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बुधवार, 3 मार्च 2021

Daily Current Affairs 03 March 2021 | Current Affair in Hindi

 Daily Current Affairs 03 March 2021 

 Current Affair in Hindi

Daily Current Affairs 03 March 2021   Current Affair in Hindi


संसद टीवी (राज्य सभा टीवी’ और लोकसभा टीवी’ का विलय)

राज्य सभा टीवीऔर लोकसभा टीवीका विलय करके संसद टीवीका गठन करने संबंधी प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी गई है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के सेवानिवृत्त अधिकारी रवि कपूर को आगामी एक वर्ष की अवधि के लिये संसद टीवीका मुख्य( कार्यकारी अधिकारी नियुक्तर किया गया है। संसद टीवी लोकसभा और राज्यससभा की कार्यवाही का प्रत्यक्ष प्रसारण दो अलग-अलग चैनलों के माध्यम से करेगा। दोनों चैनलों के एकीकरण को लेकर प्रसार भारती के पूर्व अध्यक्ष ए. सूर्य प्रकाश की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर राज्यरसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यसक्ष ओम बिडला ने संयुक्ति रूप से यह निर्णय लिया। इस समिति का गठन दर्शकों को संसद के काम-काज के बारे में और अधिक जानकारी देने के लिये नीति बनाने हेतु सिफारिश करने के लिये किया गया था। समिति ने सुझाव दिया है कि नए चैनल पर दोनों सदनों की कार्यवाही के अलावा सदन की विभिन्न अन्य गतिविधियों से संबंधित जानकारी भी प्रसारित की जाएगी, जिसमें संसदीय समितियों के कामकाज और संसद सदस्यों द्वारा की जाने वाली विकास गतिविधियाँ आदि शामिल हैं। लोकसभा टीवीकी शुरुआत 24 जुलाई, 2006 को पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के प्रयासों के बाद हुई थी। एक टीवी चैनल के रूप में लोकसभा टीवीकी शुरुआत से पूर्व कुछ विशिष्ट संसदीय गतिविधियों का ही टीवी पर प्रसारण किया जाता था, जैसे- संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति का संबोधन आदि। वहीं राज्यसभा टीवीकी शुरुआत वर्ष 2011 में हुई थी। राज्यसभा में कार्यवाही के प्रत्यक्ष प्रसारण के अलावा राज्यसभा टीवीसंसदीय मामलों का विश्लेषण भी प्रस्तुत करता है और ज्ञान-आधारित विशिष्ट कार्यक्रमों के लिये एक मंच प्रदान करता है। यही कारण है कि आम लोगों के बीच राज्यसभा टीवीअधिक प्रचलित माना जाता है।

 

विश्व वन्यजीव दिवस कब मनाया जाता है 

3 मार्च, 2021 को दुनिया भर में विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जा रहा है। यह दिवस वन्यटजीवों के संरक्षण के महत्त्व के बारे में जागरूकता के प्रसार हेतु प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को मनाया जाता है। 20 दिसंबर, 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 मार्च को विश्व वन्य जीव दिवस के रूप में मानने का निर्णय लिया था। संयुक्त राष्ट्र ने अपने रेज़ोल्यूशन में घोषणा की थी कि विश्व वन्यजीव दिवस आम लोगों को विश्व के बदलते स्वरूप तथा मानव गतिविधियों के कारण वनस्पतियों एवं जीवों पर उत्पन्न हो रहे खतरों के बारे में जागरूक करने के प्रति समर्पित होगा। ज्ञात हो कि 3 मार्च, 1973 को ही वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) को अंगीकृत किया गया था। इस वर्ष विश्व वन्यजीव दिवस की थीम है- फारेस्ट एंड लाइवलीहुड: सस्टेनिंग पीपल एंड प्लानेट।यह दिवस इस तथ्य को रेखांकित करने का अवसर प्रदान करता है कि मानव जीवन के लिये वन एवं पारिस्थितिकी तंत्र कितने महत्त्वपूर्ण हैं। संयुक्त राष्ट्र की मानें तो वैश्विक स्तर पर लगभग 200 से 350 मिलियन लोग या तो जंगलों के भीतर/आसपास रहते हैं या फिर जीवन एवं आजीविका के लिये वन संसाधनों पर प्रत्यक्ष तौर पर निर्भर हैं।

 

विश्व एनजीओ दिवस कब मनाया जाता है 

प्रत्येक वर्ष 27 फरवरी को वैश्विक स्तर पर समाज के विकास में गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के योगदान को रेखंकित करने के लिये विश्व एनजीओ दिवस का आयोजन किया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में लोगों को गैर-सरकारी संगठनों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने के लिये प्रेरित करना है। यह दिवस आम लोगों को NGO संस्थापकों, कर्मचारियों, स्वयंसेवकों, सदस्यों और समर्थकों को सम्मानित करने और उनके कार्य को समझने का अवसर प्रदान करता है। सर्वप्रथम विश्व एनजीओ दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2014 में आयोजित किया गया था। गैर-सरकारी संगठन (NGO) एक निजी संगठन होता है, जो आम लोगों की समस्याओं और चुनौतियों को दूर करने, निर्धनों के हितों का संवर्द्धन, पर्यावरण की रक्षा, बुनियादी सामाजिक सेवाएँ प्रदान करने अथवा सामुदायिक विकास आदि गतिविधियाँ संचालित करता है। ये किसी सार्वजनिक उद्देश्य को लक्षित करते हैं। ये संगठन सरकार का हिस्सा नहीं होते हैं, इन्हें कानूनी दर्जा प्राप्त होता है और ये किसी विशिष्ट अधिनियम के तहत पंजीकृत होते हैं।

 

प्रेस सूचना ब्यूरो प्रधान महानिदेशक

भारतीय सूचना सेवा (IIS) के वरिष्ठं अधिकारी जयदीप भटनागर ने हाल ही में प्रेस सूचना ब्यूरो-पीआईबी के प्रधान महानिदेशक का पदभार संभाल लिया है। जयदीप भटनागर वर्ष 1986 बैच के भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी हैं। इससे पहले वे दूरदर्शन में वाणिज्यिक और विपणन प्रभाग के प्रमुख के रूप में कार्य कर चुके हैं। वर्ष 1919 में स्थापित प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) भारत सरकार की एक नोडल एजेंसी है, जो सरकारी नीतियों, कार्यक्रमों, पहलों और उपलब्धियों पर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सूचना प्रसारित करती है। यह सरकार और मीडिया के बीच एक इंटरफेस के रूप में कार्य करती है। PIB का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। सूचना प्रसारित करने के अलावा प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) द्वारा विदेशी मीडिया समेत विभिन्न मीडिया प्रतिनिधियों को मान्यता प्रदान की जाती है। इससे मीडिया प्रतिनिधियों को सरकारी स्रोतों से सूचना प्राप्त करने में सुविधा होती है।

 

तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम

Technical Education Quality Improvement Programme

सरकार तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम’ (TEQIP) को एक नए कार्यक्रम ‘MERITE’ प्रोजेक्ट में बदलने की योजना बना रही है।


तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम:

 

इसकी शुरुआत वर्ष 2002 में विश्व बैंक की सहायता से मानव संसाधन और विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी तथा इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है।

इसका उद्देश्य तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता और संस्थानों की क्षमता को बढ़ाना है।

तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम-III (TEQIP-III) वर्ष 2017 में शुरू किया गया था और यह वर्ष 2021 तक पूरा हो जाएगा।

इसका उद्देश्य इंजीनियरिंग शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये एक प्रमुख घटक के रूप में तकनीकी शिक्षा का विकास करना है।

इसका उद्देश्य कम आय वाले राज्यों में इंजीनियरिंग संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार करना है।


MERITE परियोजना के बारे में:

 

इस परियोजना का उद्देश्य TEQIP की तरह तकनीकी शिक्षा में सुधार करना है।

हालाँकि MERITE प्रोजेक्ट अभी भी वैचारिक अवस्था में है और इसे कैबिनेट की मंज़ूरी नहीं मिली है।


तकनीकी शिक्षा में सुधार के लिये अन्य पहल:

  • मार्गदर्शन और मार्गदर्शक (AICTE)
  • इंस्टीट्यूशंस ऑफ एमिनेंस (IoE) योजना
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा प्रदान करना प्रस्तावित है
  • इस उद्देश्य को प्राप्त करना कि छात्र अपनी मातृभाषा में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों जैसे- चिकित्सा, इंजीनियरिंग, कानून आदि का अध्ययन कर सकें।
  • यह कक्षा 8 तक क्षेत्रीय भाषा में शिक्षण का सुझाव देता है और पाठ्यक्रम को उस भाषा में पढ़ने में सक्षम बनाता है, जिसमें छात्र सहज होता है।
  • उच्चतर अविष्कार योजना (UAY)

सूर्यकिरण एयरोबेटिक टीम
Suryakiran Aerobatic Team

लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट’ (LCA) के साथ सूर्यकिरण एयरोबेटिक टीम’ (SKAT) और सारंग हेलीकॉप्टर डिस्प्ले टीमश्रीलंकाई वायु सेना (SLAF) की 70वीं वर्षगाँठ समारोह के एक भाग के रूप में 3 से 5 मार्च 2021 तक कोलंबो में गॉल फेस पर एक एयर शो में प्रदर्शन करेंगे।

 

भारत के बाहर SKAT टीम का यह पहला प्रदर्शन होगा क्योंकि इसे वर्ष 2015 में हॉक एडवांस्ड जेट ट्रेनर्स (AJJ) के साथ पुनर्निर्मित किया गया था। इससे पहले SKAT टीम ने वर्ष 2001 में SLAF की 50वीं वर्षगाँठ के दौरान श्रीलंका का दौरा किया था।


सूर्यकिरण एयरोबेटिक टीम:

 

वर्ष 1996 में किरण एम.के. -2 एयरक्राफ्ट ( Kiran Mk-II Aircraft) के साथ इस टीम का गठन किया गया था और इन्होंने वर्ष 2011 तक देश भर के दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।

इसे वर्ष 2015 में हॉक ट्रेनर्स के साथ मिलकर शुरुआत में चार विमानों की सहायता से पुनर्निर्मित किया गया।

SKAT टीम जिसे ‘52 स्क्वाड्रनया द शार्कके रूप में भी जाना जाता है, बीदर (कर्नाटक) में स्थित है।

अपनी स्थापना के बाद से SKAT टीम ने पूरे देश में 600 से अधिक प्रदर्शन किये हैं, इसने चीन सहित दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।


1971 स्मारक:

वर्ष 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के स्वर्ण जयंती वर्ष को चिह्नित करते हुए SKAT टीम दक्षिण में कन्याकुमारी से शुरू होकर देश भर के स्थलों पर अलग-अलग रूपों में उड़ान भर रही है।


सारंग हेलीकॉप्टर प्रदर्शन टीम:

 

सारंग टीम ‘ALH मूल्यांकन उड़ान’ (AEF) से विकसित हुई है, जिसे वर्ष 2003 में बंगलूरू में स्वदेशी हेलीकॉप्टरों को परिचालन सेवा में शामिल करने से पहले मूल्यांकन करने हेतु बनाया गया था।

भारतीय वायु सेना की एयरोबेटिक टीम सारंग में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, बंगलूरू द्वारा निर्मित चार भारत निर्मित ध्रुव हेलीकॉप्टर (एक एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर) शामिल हैं।


भारतीय एयरक्राफ्ट:

 

  • लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) Mk I और Mk II
  • राफेल विमान
  • सुखोई विमान आदि

 

 

बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों का विनियमन

ऑस्ट्रेलिया में एक नए न्यूज़ मीडिया एंड डिजिटल प्लेटफॉर्म्स मैंडेटरी बार्गेनिंग कोड’ (News Media and Digital Platforms Mandatory Bargaining Code) को लागू किया गया है। इस कोड का उद्देश्य फेसबुक और गूगल जैसी बड़ी टेक फर्मों को अपनी न्यूज़ फीड या सर्च रिज़ल्ट में स्थानीय मीडिया आउटलेट्स तथा प्रकाशकों की सामग्री को लिंक करने के बदले में उन्हें उचित भुगतान करने के लिये बाध्य करना है।

 

ऑस्ट्रेलियाई कानून को बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को विनियमित करने और वैश्विक संचार पर उनके नियंत्रण को वापस लेने हेतु विश्व के अन्य देशों के आगामी प्रयासों के पहले कदम के रूप में देखा जा रहा है।

 

इसी प्रकार सोशल मीडिया पर सख्ती बढ़ाने के लिये भारत सरकार द्वारा भी कई नियमों की घोषणा की गई है। विशेष रूप से सोशल मीडिया कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित सामग्री के लिये "अधिक ज़िम्मेदार और अधिक जवाबदेह" बनने की आवश्यकता है।

 

हालाँकि इन प्लेटफाॅर्मों को विनियमित करने की अपनी चुनौतियाँ हैं जैसे कि मुक्त भाषण की स्वतंत्रता पर प्रभाव, मुक्त भाषण के एक माध्यम और हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज़ के रूप में उनकी (सोशल मीडिया कंपनियाँ) भूमिका के लिये बाधक बनना आदि।

 

ऑनलाइन सामग्री को विनियमित करने की आवश्यकता:

इंटरनेट का एकाधिकार: 

  • वर्तमान में बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियाँ अन्य प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को क्षति पहुँचाने के लिये अपने पूंजी आधार का लाभ उठाते हुए बेहद कम कीमतों पर उत्पादों और सेवाओं को उपलब्ध कराने के साथ प्रतियोगियों को बाहर कर रही हैं।
  • वे उपभोक्ताओं के डेटा को नियंत्रित करते हैं, जो इंटरनेट बाज़ार में किसी भी संस्थान की पकड़ को निर्धारित करने का प्रमुख कारक है।


निगरानी पूंजीवाद: 

  • बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियाँ लोगों की ऑनलाइन गतिविधियों का व्यापक डेटा एकत्र करती हैं और लक्षित विज्ञापनों के माध्यम से इस डेटा का उपयोग अपने व्यावसायिक हितों के लिये करती हैं।
  • ऑस्ट्रेलिया में प्रस्तावित संहिता के तहत फेसबुक और गूगल को अपने एल्गोरिदमिक मॉड्यूल और डेटासेट को नियमकीय समीक्षा के लिये खोलना होगा जो इन कंपनियों की विज्ञापन गतिविधियाँ को आधार प्रदान करता है।


हेट स्पीच तथा दहशत फैलाने पर नियंत्रण: 

  • दुर्भावना फैलाना और राजनीतिक ध्रुवीकरण ऐसे विचार जो कि नैतिक दहशत को जन्म देते हैं, जैसे-अभद्र भाषा, आतंकवादी प्रचार आदि को बढ़ावा देने के लिये बड़े पैमाने पर बिग टेक प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जा रहा है।
  • इसके कारण सरकार का हस्तक्षेप इस पूर्वधारणा पर टिका हुआ है कि आपत्तिजनक भाषण को हटाना कभी भी बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के व्यावसायिक हित में नहीं होगा क्योंकि यह सामग्री अधिक आसानी से वायरल हो जाती है और अधिक दर्शक तथा अधिक डेटा के साथ अधिक विज्ञापन राजस्व प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है।
  • सार्वजनिक हितों की रक्षा: इसके अतिरिक्त राज्य जनहित के रक्षक होते हैं और एक लोकतांत्रिक समाज में सरकारें लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करने के लिये चुनी जाती हैं।
  • ऐसे में बोलने या विचारों की स्वतंत्रता को सीमित करने या इसकी अनुमति के बीच कठिन निर्णय लेने की स्थिति में सरकार का रुख करना प्राकृतिक है।


ऑनलाइन कंटेंट के विनियमन से जुड़े मुद्दे:


इनेबलर की भूमिका (Role of Enabler):  बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियाँ छोटे प्रकाशकों या स्व-वित्तपोषित उद्यमियों को अपने उत्पादों/सेवाओं के मूल्यवर्द्धन का अवसर प्रदान करती हैं।


विवशतावश दिया गया भाषण-मुक्त भाषण नहीं’: कभी-कभी इन प्लेटफाॅर्मों को नियंत्रित करने के प्रयासों से अभिव्यक्ति और विचार की स्वतंत्रता के लिये स्थापित अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों का उल्लंघन होता है।   

भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिये जारी हालिया दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि किसी सोशल मीडिया पर प्रकाशित कोई भी पोस्ट या सामग्री भारत की एकता, अखंडता, रक्षा, सुरक्षा या संप्रभुता, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, या सार्वजनिक शांति, या किसी संज्ञेय अपराध करने के लिये उकसाना या किसी अपराध की जाँच को रोकता है या किसी भी विदेशी राज्य का अपमान करता है,” तो उसे सोशल मीडिया पेज से हटाया जा सकता है।  

हालाँकि सरकार द्वारा जारी इस दिशा-निर्देश में शामिल उपर्युक्त शब्दों का अर्थ बहुत व्यापक है और यह भाषण तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों में सरकार के हस्तक्षेप को बढ़ावा दे सकता है।

वंचितों की आवाज़: यहाँ यह बताना महत्त्वपूर्ण है कि सोशल मीडिया की वजह से ही #ब्लैकलाइव्समैटर (#BlackLivesMatter), #लिविंगव्हाइलब्लैक (#LivingWhileBlack) और #मीटू (#MeToo) जैसे मुद्दे सार्वजनिक चर्चा में शामिल हुए।  

ऐसे में बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को विनियमित करने के प्रयास समाज के कमज़ोर वर्गों की आवाज़ को दबा सकते हैं।


स्व-नियमन: बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के समर्थकों का तर्क है कि ये कंपनियाँ अपने सिस्टम पर आक्रामक सामग्री की अनुमति देने के जोखिमों के बारे में सजग हो रही हैं और ऐसे में अंततः ये कंपनियाँ स्वयं ही ऐसी सामग्रियों को हटाने में अपना हित देखेंगी।


व्यक्तिगत डेटा विनियमन को प्राथमिकता देना: वर्तमान में जब डेटा एक नया मानक बनकर उभरा है, ऐसे में  तकनीकी कंपनियों द्वारा बाज़ार पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिये उपभोक्ताओं के व्यक्तिगत डेटा का उपयोग करने की प्रक्रिया का विनियमन बहुत ही आवश्यक है।


गोपनीयता का अधिकार सुनिश्चित करना:  विश्व भर में सरकारों द्वारा उपभोक्ताओं की गोपनीयता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिये कड़े कानून लागू किये गए हैं, जिसके तहत तकनीकी कंपनियों को कुछ बुनियादी और आवश्यक डेटा सुरक्षा तथा गोपनीयता उपायों का पालन करना अनिवार्य है।    

इस संदर्भ में समर्पित डेटा सुरक्षा कानून [पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (PDP) बिल] के कार्यान्वयन में तेज़ी लाई जानी चाहिये।


सूचना का मौद्रीकरण: बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को समाचार एजेंसियों और अन्य संस्थाओं की सामग्री को अपने प्लेटफॉर्म (जैसे-फेसबुक के न्यूज़फीड और गूगल सर्च) पर उपयोग करने के बदले सभी हितधारकों को उचित भुगतान करने के संदर्भ में बातचीत करनी चाहिये।

सारांश 

वर्तमान में विश्व के देश वैश्विक कूटनीति के एक नए दौर में प्रवेश कर चुके हैं। अब सिर्फ देश ही अन्य देशों से प्रतिस्पर्द्धा नहीं कर रहे हैं बल्कि विश्व की कई विशाल तकनीकी कंपनियाँ भी वैश्विक भू-राजनीतिक को प्रभावित करती हैं। ऐसे में वर्तमान में देशों और बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के बीच सौदेबाज़ी की शक्ति से जुड़े बदलते समीकरणों को पहचानने की आवश्यकता है।

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