महामृत्युंजय मंत्र अर्थ सहित
महामृत्युंजय मंत्र और मृत्युंजय मंत्र दोनों अलग -अलग है मृत्युंजय मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र दोनों के बारे देखेंगे -
मृत्युंजय मंत्र क्या है
मृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
मृत्युंजय मंत्र का हिन्दी में अर्थ
हम उस त्रिनेत्रधारी भगवान शिव की आराधना करते है जो अपनी शक्ति से इस संसार का पालन -पोषण करते है उनसे हम प्रार्थना करते है कि वे हमें इस जन्म -मृत्यु के बंधन से मुक्त कर दे और हमें मोक्ष प्रदान करें। जिस प्रकार से एक ककड़ी अपनी बेल से पक जाने के पश्चात् स्वतः की आज़ाद होकर जमीन पर गिर जाती है उसी प्रकार हमें भी इस बेल रुपी सांसारिक जीवन से जन्म -मृत्यु के सभी बन्धनों से मुक्ति प्रदान कर मोक्ष प्रदान करें ।
महा मृत्युंजय मंत्र के शब्दों का अर्थ
त्रयंबकम- त्रि.नेत्रों वाला ;कर्मकारक।
यजामहे- हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं। हमारे श्रद्देय।
सुगंधिम- मीठी महक वाला, सुगंधित।
पुष्टि- एक सुपोषित स्थिति, फलने वाला व्यक्ति। जीवन की परिपूर्णता
वर्धनम- वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है।
उर्वारुक- ककड़ी।
इवत्र- जैसे, इस तरह।
बंधनात्र- वास्तव में समाप्ति से अधिक लंबी है।
मृत्यु- मृत्यु से
मुक्षिया, हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें।
अमृतात- अमरता, मोक्ष।
महा मृत्युंजय मंत्र का सरल शब्दों में अनुवाद
हम त्रि-नेत्रीय वास्तविकता का चिंतन करते हैं। जो जीवन की मधुर परिपूर्णता को पोषित करता है और वृद्धि करता है। ककड़ी की तरह हम इसके तने से अलग हम जीवन व मृत्यु के बंधन से मुक्त हो।
महामृत्युंजय मंत्र क्या है महामृत्युंजय मंत्र
|| ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ ||
दोनों ही मंत्र का मूल अर्थ सामान है।
महामृत्युंजय जाप की विधि
महामृत्युंजय मंत्र के जप व्यक्ति द्वारा स्वयं भी किये जा सकते है या फिर समय कम होने की दशा में विद्वान् पंडितों द्वारा भी कराये जा सकते है | यदि आप स्वयं इस मंत्र के जप करते है तो दी गयी विधि अनुसार इस महामंत्र के जप करें : –
मृत्युंजय मंत्र और महा मृत्युंजय मंत्र दोनों ही मन्त्रों के जप शिवालय में शिवलिंग में समक्ष बैठकर करने चाहिए
सोमवार के दिन से इस मंत्र के जप शुरू किये जाने चाहिए।
इसके अतिरिक्त सावन मास में किसी भी दिन या शिवरात्रि के दिन भी मंत्र जप शुरू करने के लिए अति शुभ होते है।
शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र के सवा लाख जप करने से भयंकर से भयंकर बीमारी या पीड़ा से छुटकारा मिलता है ।
किन्तु आप अपने सामर्थ्य अनुसार पहले दिन ही जप की संख्या का संकल्प लेकर शुरू करें।
इसमें आप 11000 , 21000 या आप अपने सामर्थ्य के अनुसार जप संख्या सुनिश्चित करें।
पहले दिन आप जितनी माला का जाप करते है प्रतिदिन उतनी ही माला का जाप करें | इसमें आप माला के जाप की संख्या बढ़ा सकते है किन्तु कम कदापि न करें।
सुबह के 11 बजे से पहले इस मंत्र के जप करने चाहिए, इसलिए सुबह का एक समय निश्चित करें और 21 दिन या फिर 41 दिन में मंत्र जप को पूरा करें ।
शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर दूध , जल और फल ,फूल आदि सर्मपित कर शिवलिंग के समक्ष बैठ जाये और धुप और दीपक जलाकर मंत्र जप शुरू करें।
यदि आप रूद्रअभिषेक द्वारा शिवलिंग पूजन करते है तो यह अति उत्तम और शीघ्र फल प्रदान करता है
मंत्र जप शुरू करने से पहले संकल्प अवश्य ले
संकल्प लेने की सरल विधि :-
1- हथेली में थोडा जल ले और बोले हे परमपिता परमेश्वर मैं (अब अपना नाम बोले ) गोत्र (अपना गोत्र बोले ) अपने रोग निवारण हेतु (या जिस भी कार्य के लिए आप मंत्र जप कर रहे है उसका नाम बोले ) महामृत्युंजय मंत्र के जप कर रहा हूं मुझे मेरे कार्य में सफलता प्रदान करें। ऐसी मैं कामना करता हूं | और ॐ श्री विष्णु , ॐ श्री विष्णु , ॐ श्री विष्णु कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ दे |
2- जैसे ही आप मंत्र जप की 1 या 2 माला जितनी भी आप प्रतिदिन करते है, पूरी कर लेते है तो अंत में फिर से हथेली में जल लेकर संकल्प ले और बोले : – हे परमपिता परमेश्वर मैं (अपना नाम बोले ) गोत्र (अपना गोत्र बोले ) , मेरे द्वारा किये गये महामृत्युंजय मंत्र के जप/Jap मैं श्री ब्रह्म को अर्पित करता हूं और अंत में – ॐ श्री ब्रह्मा, ॐ श्री ब्रह्मा, ॐ श्री ब्रह्मा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ दे . अब आप अपने आसन को थोडा से मोड़ कर खड़े जो जाये ।
3- मंत्र जप/Mantra Jap के लिए रुद्राक्ष की माला का ही प्रयोग करें और मंत्र के जप माला को गोमुखी में रखकर ही करें ।
4- मंत्र का उच्चारण मन ही मन में करें यदि ऐसा नहीं कर पाते है तो बिलकुल धीमे स्वर में उच्चारण कर सकते है | मंत्र का शुद्ध उच्चारण करें, उच्चारण में कोई त्रुटि न करें ।
5- मंत्र के जप काल के दिनों में पूरी तरह सात्विक रहें तथा शाकाहारी भोजन के साथ – साथ ब्रह्मचर्य का पालन करें |
महा मृत्युंजय मंत्र के फायदे
- महामृत्युंजय मंत्र के जप करने से असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति को रोग से छुटकारा मिलता है.
- यदि कोई ऐसा बीमार व्यक्ति जो असहनीय पीड़ा झेल रहा हो और जीवन और मृत्यु के बीच में दिखाई देने लगे.
- ऐसे में उस व्यक्ति के नाम से किसी विद्वान पंडित द्वारा महा मृत्युंजय मंत्र के सवा लाख जाप करवाने से सम्भावना है कि उसकी पीड़ा शांत हो जाये नहीं तो पीड़ित व्यक्ति अपनी पीड़ा से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त होता है.
- स्वस्थ व्यक्ति इस मंत्र के नियमित जाप से मृत्यु के भय से
मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त होता है |
मृत्युंजय मंत्र को लेकर लोगों की अवधारणा
लोगों में ऐसी अवधारणा बनी हुई है कि महा मृत्युंजय मंत्र का जाप केवल विशेष परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए, किन्तु ऐसा नहीं है महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करना पूरी तरह से सुरक्षित है और किसी भी व्यक्ति द्वारा इस मंत्र का जाप किया जा सकता है | इस मंत्र के नियमित जाप और श्रवण मात्र से मनुष्य को सभी प्रकार से भय , रोग, दोष और पाप आदि से मुक्ति मिलती है। ऐसा व्यक्ति सभी सांसारिक सुखों को प्राप्त करता है और अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है |