चाणक्य नीति के अनुसार ऐसे मित्र का त्याग कर देना चाहिए | Chankya Niti Ke Anusar Aise Mitra Ka Tyag kar Dena Chahiye - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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सोमवार, 7 जून 2021

चाणक्य नीति के अनुसार ऐसे मित्र का त्याग कर देना चाहिए | Chankya Niti Ke Anusar Aise Mitra Ka Tyag kar Dena Chahiye

 

 चाणक्य नीति के अनुसार ऐसे मित्र का त्याग कर देना चाहिए 

Chankya Niti Ke Anusar Aise Mitra Ka Tyag kar Dena Chahiye

चाणक्य नीति के अनुसार ऐसे मित्र का त्याग कर देना चाहिए  Chankya Niti Ke Anusar Aise Mitra Ka Tyag kar Dena Chahiye



|| चाणक्य नीति ||

परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम् । 

वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम् ॥

 

 चाणक्य नीति के अनुसार ऐसे  मित्र का त्याग कर देना चाहिए 

जो पीठ-पीछे कार्य को बिगाड़े और सम्मुख, सामने मीठी-मीठी बातें बनाये ऐसे मित्र को मुख पर दूध लगे हुए परन्तु भीतर विषभरे हुए घड़े के समान त्याग देना चाहिए।


भावार्थ- 


जो मुख पर तो चिकनी-चुपड़ी बातें बनाये और पीठ पीछे कार्य को बिगाड़ देऐसे मित्र को त्याग देना चाहिए, क्योंकि वह तो उस घड़े के समान है जिसके ऊपर तो दूध लगा हो और भीतर विष भरा हो ।

 

परामर्श  - धूर्त व्यक्ति पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए।


चाणक्य नीति संस्कृत दोहे और उनके हिन्दी अर्थ और व्याख्या सहित 


चाणक्य नीति के अनुसार मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र कौन है ?

चाणक्य नीति के अनुसार ऐसे  मित्र का त्याग कर देना चाहिए 

चाणक्यनीति के अनुसार स्त्री, मित्र, नौकर से ऐसा व्यवहार करना चाहिए है.

आचार्य चाणक्य के अनुसार ऐसे स्थान पर नहीं जाना चाहिए.

चाणक्य के अनुसार सच्चे मित्र बंधु की यह पहचान है