चाणक्य नीति के अनुसार मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र कौन है ? | Chankya Niti Ke Anusaara Manushya Ka sabse Bada Mitra Kaun Hai - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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मंगलवार, 8 जून 2021

चाणक्य नीति के अनुसार मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र कौन है ? | Chankya Niti Ke Anusaara Manushya Ka sabse Bada Mitra Kaun Hai

चाणक्य नीति के अनुसार मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र कौन है ? 

चाणक्य नीति के अनुसार मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र कौन है ? | Chankya Niti Ke Anusaara Manushya Ka sabse Bada Mitra Kaun Hai



 

त्यजन्ति मित्राणि धनैर्विहीन दाराश्च भृत्याश्च सुहृज्जनाश्च ।

 तं चार्थवन्तं पुनराश्रयन्ते अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः ॥

 


शब्दार्थ-


मित्रवर्ग, पत्नी तथा घर में रहने वाली अन्य स्त्रियां नौकर और सेवक, स्नेहजन और बन्धु-बान्धव धन से रहित मनुष्य को छोड़ देते हैं तथा धन का आगमन होने पर, फिर से धनी हो जाने पर फिर उसी मनुष्य का आश्रयन्ते आश्रय ग्रहण कर लेते हैं। ठीक ही है लोके संसार में धन ही मनुष्य का बन्धु है ।

 

भावार्थ-


मित्र, स्त्री, सेवक, बन्धु-बान्धव- ये सब धनहीन मनुष्य को त्याग देते हैं। वही मनुष्य यदि पुनः धन-सम्पन्न बन जाए तो फिर उसी का आश्रय ग्रहण कर लेते हैं । वस्तुतः चाणक्य नीति के अनुसार मनुष्य का सबसे बड़ा बंधु मित्र संसार में धन ही है ।

 

विमर्श 


जब तक मनुष्य के पास धन रहता है तब तक सब लोग उसकी सेवा करते हैं और जब वह धनहीन हो जाता है तब गुणवान् होने पर भी स्त्री-पुत्रादि उसे त्याग देते हैं।



चाणक्य नीति संस्कृत दोहे और उनके हिन्दी अर्थ और व्याख्या सहित 


चाणक्य नीति के अनुसार मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र कौन है ?

चाणक्य नीति के अनुसार ऐसे  मित्र का त्याग कर देना चाहिए 

चाणक्यनीति के अनुसार स्त्री, मित्र, नौकर से ऐसा व्यवहार करना चाहिए है.

आचार्य चाणक्य के अनुसार ऐसे स्थान पर नहीं जाना चाहिए.

चाणक्य के अनुसार सच्चे मित्र बंधु की यह पहचान है