पेगासस वाली रिपोर्ट का खंडन किया सरकार ने, पेगासस क्या है जानिए सब कुछ | Govt View in Pagasas - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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सोमवार, 19 जुलाई 2021

पेगासस वाली रिपोर्ट का खंडन किया सरकार ने, पेगासस क्या है जानिए सब कुछ | Govt View in Pagasas

 

पेगासस वाली रिपोर्ट का खंडन किया सरकार ने

पेगासस वाली रिपोर्ट का खंडन किया सरकार ने, पेगासस क्या है जानिए सब कुछ  | Govt View in Pagasas


 

नयी दिल्ली 19 जुलाई 

सरकार ने इजरायली सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके राजनीतिज्ञों, पत्रकारों एवं अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों की जासूसी कराने के आरोपों से संबंधित मीडिया रिपोर्ट का आज खंडन किया और कहा कि भारत में अवैध ढंग से इस प्रकार की जासूसी कराना संभव नहीं है।

लोकसभा में आज केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विपक्ष के शोरशराबे के बीच एक बयान पढ़कर सरकार की स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि इस सनसनी के पीछे जो भी कारण हो, पर कोई भी तथ्य नहीं है। भारत में स्थापित प्रोटाेकोल के कारण अवैध रूप से किसी की जासूसी या निगरानी करना संभव नहीं है।

श्री वैष्णव ने कहा कि एक वेबपोर्टल में कल रात एक बहुत ही सनसनीखेज रिपोर्ट आयी है। इसमें तमाम आरोप लगाये गये हैं। ये रिपोर्ट संसद के मानसून सत्र के एक दिन पहले आना कोई संयोग मात्र नहीं हो सकता है। उन्होंने सांसदों की चिंताओं से इत्तेफाक जाहिर करते हुए कहा कि हम उनको दोष नहीं दे सकते हैं जिन्होंने इस रिपोर्ट को विस्तार से नहीं पढ़ा है और वह सभी सांसदों से तथ्यों एवं तर्काें के आधार पर इसकी जांच करने का अनुरोध करते हैं। इस रिपोर्ट का आधार एक कन्सोर्शियम है जिसे करीब 50 हजार फोन नंबरों का एक लीक डाटाबेस मिला था।

उन्होंने कहा कि पहले भी ऐसे दावे व्हाट्सएप में पेगासस के उपयोग को लेकर किये गये थे लेकिन उन रिपोर्टों में कोई तथ्यात्मक आधार नहीं पाया गया था और सभी पक्षों ने उसका खंडन किया था। ऐसा प्रतीत होता है कि 18 जुलाई को प्रकाशित यह रिपोर्ट जारी करने का मकसद भारतीय लोकतंत्र तथा यहां के प्रतिष्ठित संस्थानों की छवि धूमिल करना था।

श्री वैष्णव ने भारत में 1885 के टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 5 के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा अथवा जनसुरक्षा के संदर्भ में सर्वोच्च आधिकारिक स्तर पर अनुमति के पश्चात टेलीफोन टैपिंग की प्रक्रिया का विवरण भी दिया और बताया कि पेगासस बनाने वाली इज़रायली कंपनी एनएसओ ने भी इस रिपोर्ट को रद्दी का टुकड़ा बताया है।


पेगासस क्या है जानिए सब कुछ 

इजरायल की सर्विलांस कंपनी एनएसओ ग्रुप का स्पाइवेयर- पेगासस एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल, फोर्बिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दावा किया है कि विश्व भर की 10 सरकारें अपने लोगों की जासूसी करा रही हैं। इसको पेगासस प्रोजेक्ट नाम दिया गया है। रडार पर 1571 लोग थे, मगर अभी स्पष्ट नहीं है कि सबकी जासूसी हुई। इस सूची में 40 नाम भारतीय पत्रकारों के हैं। हालांकि भारत सरकार ने आरोपों से इंकार किया है।

 

बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब इजरायली स्पाइवेयर पेगासस पर नेताओं, पत्रकारों की जासूसी का आरोप लगा है। इससे पहले भी ऐसे दावे सामने आए थे। आइए, जानते हैं  क्या है पेगासस?


क्या है पेगासस?

दरअसल, पेगासस स्पाइवेयर को इजरायल की साइबरसिक्योरिटी कंपनी एनएसओ ग्रुप ने तैयार किया है। शाल्व हुलिओ और ओमरी लेवी ने वर्ष 2008 में इस कंपनी की शुरुआत की थी।

 

पेगासस स्पाइवेयर के माध्यम से हैकर को स्मार्टफोन के माइक्रोफोन, कैमरा, मैसेज, ईमेल, पासवर्ड, और लोकेशन जैसे डेटा का एक्सेस मिल जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पेगासस आपको एन्क्रिप्टेड ऑडियो स्ट्रीम सुनने और एन्क्रिप्टेड मौसेज को पढ़ने की इजाजत देता है। यानी हैकर के पास आपके फोन की करीब सभी फीचर तक पहुंच होती है।

 

एमएसओ ग्रुप के अनुसार, इस प्रोग्राम को सिर्फ सरकारी एजेंसियों को बेचा गया है। उनका दावा है कि इसका उद्देश्य आतंकवाद और अपराध के विरुद्ध लड़ना है। कंपनी की वेबसाइट पर लिखा है, "एनएसओ ऐसी तकनीक बनाता है जो सरकारी एजेंसियों की आतंकवाद और अपराध को रोकने और जांच करने, और विश्व भर में हजारों जिंदगियां बचाने में सहायता करती है।" हालांकि, कई देशों में लोगों पर जासूसी करने के लिए इसका दुरुपयोग करने के आरोप लगते रहे हैं।

 

पेगासस कैसे काम करता है 

 

हैकर को जिस फोन को हैक करना है उस फोन में केवल वाट्सएप कॉल करना होता है। कॉल रिसीव करने वाले को कॉल का उत्तर देने की भी आवश्यकता नहीं होती है और उस फोन में वायरस आ जाता है। वहीं ईमेल और टेक्स्ट मैसेज के जरिए भी पैगेसस को किसी के फोन में डाला जा सकता है।

 

ये एंड्रॉइड और आईओएस दोनों को प्रभावित करता है। फोन में इसका पता लगाना काफी कठिन है।

 

रिपोर्ट्स के अनुसार , पेगासस का पता सबसे पहले 2016 में यूनाइटेड अरब एमीरेट्स के मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर से चला था, जो इसके शिकार में से एक थे। उन्हें अपने फोन में कई एसएमएस मिले थे, जिसे लेकर उनका कहना था कि इसमें गलत लिंक थे। वो फिर अपने फोन को सिटीजन लैब के साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स के पास ले गए, जिन्होंने एक अन्य साइबर सुरक्षा फर्म लुकआउट की सहायता से ये स्पाइवेयर पाया। बाद में पता चला कि ये पेगासस था।