वेब साइटों और यूट्यूब चैनलों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:खबरों को सांप्रदायिक रंग देना चिंतनीय | Supreme Court on Web Portal and Youtube - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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गुरुवार, 2 सितंबर 2021

वेब साइटों और यूट्यूब चैनलों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:खबरों को सांप्रदायिक रंग देना चिंतनीय | Supreme Court on Web Portal and Youtube

वेब साइटों और यूट्यूब चैनलों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी  खबरों को सांप्रदायिक रंग देना चिंतनीय

वेब साइटों और यूट्यूब चैनलों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:खबरों को सांप्रदायिक रंग देना चिंतनीय | Supreme Court on Web Portal and Youtube



02 सितम्बर 

उच्चतम न्यायालय ने नियामक तंत्र के अभाव में वेब साइटों और यूट्यूब चैनलों के माध्यम से फेक न्यूजप्रकाशित और प्रसारित किये जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए गुरुवार को माना कि तब्लीगी जमात मामले में मीडिया के एक वर्ग की खबरों में साम्प्रदायिक रंग था, जिससे देश की छवि खराब होती है।


मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि बिना किसी जवाबदेही के वेब पोर्टल पर सामग्री परोसी जा रही है। वे अनाप-शनाप प्रसारित कर रहे हैं। इस देश में सब कुछ एक सांप्रदायिक कोण से दिखाया जाता है।

खंडपीठ निजामुद्दीन मरकज की तब्लीगी जमात वाली घटना के दौरान फर्जी और दुर्भावना से प्रेरित खबरों के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद और पीस पार्टी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

खंडपीठ ने कहा कि ये वेब पोर्टल संस्थाओं के खिलाफ बहुत बुरा लिखते हैं। आम आदमी की बात तो छोड़ दी जाये, न्यायाधीशों को भी ये नहीं बख्शते।

न्यायमूर्ति रमन ने कहा कि ऐसे तथाकथित मीडिया संस्थान वीआईपी की आवाज सुनते हैं।

न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या इस सबसे निपटने के लिए कोई तंत्र है? मुख्य न्यायाधीश का कहना था कि केंद्र सरकार के पास तो प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए तो नियामक है, लेकिन वेब पोर्टल के लिए कुछ नहीं है और इसका उपाय सरकार को तलाशना होगा।

सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए, जिन्होंने कहा कि सरकार के पास मीडिया के लगभग सभी अंगों पर अंकुश लगाने के लिए कानून मौजूद है।

पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने भड़काऊ टीवी कार्यक्रमों पर रोक नहीं लगाने को लेकर केंद्र को जमकर फटकार लगायी थी।