निंदक नियरे राखिए दोहे का हिन्दी अर्थ एवं व्याख्या |Nidak Niyare Rakhiye Dohe Ka Hindi Arth - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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मंगलवार, 26 अक्टूबर 2021

निंदक नियरे राखिए दोहे का हिन्दी अर्थ एवं व्याख्या |Nidak Niyare Rakhiye Dohe Ka Hindi Arth

 निंदक नियरे राखिए दोहे का हिन्दी अर्थ एवं व्याख्या 

निंदक नियरे राखिए दोहे का हिन्दी अर्थ एवं व्याख्या |



निंदक नियरे राखिए , आंगन कुटी छवाय। 

बिन पानी साबुन बिना , निर्मल करे सुभाय। ।

 

निहित शब्द  


निंदक निंन्दा करने वाला

नियरे नजदीक

कुटी झोपडी

निर्मल स्वच्छ

सुभाय होना।

 

निंदक नियरे राखिए दोहे का हिन्दी अर्थ एवं व्याख्या 


 इस कबीर के दोहे में कबीरदास कहना चाहते हैं कि अपने पास उन लोगों को रखना चाहिए जो हमारे अवगुणों को बताएं। हमारे अवगुणों को छिपाए नहीं , मित्र ऐसे बनाएं जो मीठी-मीठी बातें ना करें बल्कि जो बुराइयां हैं उन सभी को स्पष्ट और निर्विरोध रूप से बोले।

 

अपनी निंदा करने और सुनने वाले बहुत ही कम लोग होते हैं।  निंदा करने वाले लोग व्यक्ति के चरित्र के निर्माण की पहली सीढ़ी होते हैं। इसलिए निंदक को अप ने पास रखना चाहिए उस से तन मन निर्मल हो जाता है।

 

बुराइयां निकल जाती है और वह भी बिना साबुन पानी लगाए।