राजस्थानी चित्रकला की विभिन्न पद्धतियाँ
जलरंग पद्धति
- इसमें मुख्यतः कागज का प्रयोग होता है। इस चित्रण में सेबल की तुलिका श्रेष्ठ मानी जाती है।
वाश पद्धति
- इस पद्धति में केवल पारदर्शक रंगों का प्रयोग किया जाता है। इस पद्धति में चित्रतल में आवश्यकतानुसार रंग लगाने के बाद पानी की वाश लगाई जाती है।
पेस्टल पद्धति
- पेस्टल सर्वशुद्ध और साधारण चित्रण माध्यम है। इसमें रंग बहुत समय तक खराब नहीं होती।
टेम्परा पद्धति
- गाढ़े अपारदर्शक रंगों के प्रयोग को टेम्परा जाता है। इसमें माध्यम के रूप में किसी पायस का उपयोग किया जाता है। पायस जलीय तरल में तेलीय अथवा मोम पदार्थ का मिश्रण होता है।
तैलरंग विधि
- तेल चित्रण के लिए निम्न विभन्न प्रकार की भूमिका का प्रयोग किया जाता है। जैसे-कैनवास काष्ठ फलक, मौनोसाईट/हार्ड बोर्ड, गैसों, भित्ति इत्यादि ।