मनरेगा योजना की जानकारी
मनरेगा योजना की जानकारी
- ग्रामीण भारत के अकुशल श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी अधिनियम 2005 (नरेगा) पारित किया गया। नरेगा केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण (फ्लैगशिप) योजनाओं में से एक है।
- इस योजना की शुरूआत 2 फरवरी 2006 को आन्ध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले से की गई थी। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 2 अक्टूबर 2009 को 140वीं जयन्ती पर नरेगा का नया नामकरण किया। अब नरेगा को महात्मा गाँधी के नाम पर "महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम ( मनरेगा) से पुकारा जाता है।
- मनरेगा को शुरूआत में देश के 200 जिलों में लागू में किया। वर्ष 2007-08 में इसका 130 और जिलों में विस्तार किया गया। मनरेगा को एक अप्रेल 2008 से देश के सभी जिलों में लागू कर दिया गया ।
मनरेगा की प्रमुख विशेषताएँ
1. मनरेगा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले हर ग्रामीण परिवार के एक सदस्य को एक वित्त वर्ष में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने पर जोर देता है।
2. रोजगार उपलब्ध कराने की लागत का 90 प्रतिशत भार केन्द्र वहन करता है और 10 प्रतिशत खर्च राज्य सरकारें वहन करती है।
3. कार्य के लिए आवेदन करने के बाद 15 दिन के भीतर ग्राम पंचायत रोजगार उपलब्ध कराएगी। अन्यथा आवेदक को बेरोजगारी भत्ते का भुगतान किया जायेगा।
4. मनरेगा कार्य स्थल पर शिशु सदन, पेयजल, प्राथमिक स्वास्थ्य सहायता और शेड उपलब्ध कराने का प्रावधान है। कार्यस्थल पर कार्य के विवरण के साथ नागरिक सूचना बोर्ड रखा जाएगा।
5. काम करने वाले मजदूरों के नाम रजिस्टर में दर्ज होंगे। कार्य स्थल निरीक्षण के लिए खुला रहेगा। समय पर मापन सुनिश्चित किया जाएगा।
6. मनरेगा के श्रमिकों को जननी बीमा योजना की सुरक्षा उपलब्ध कराने की व्यवस्था है।
मनरेगा के कार्य
- मनरेगा के अन्तर्गत गांवों के विकास की परियोजनाएं चलायी जा रही है। इसमें भूमि सुधार पर जोर दिया गया है। सूखे से बचाव के लिए वृक्षारोपण और वन संरक्षण परियोजनाओं को सम्मिलित किया गया है।
- मनरेगा के कार्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी परिसम्पत्तियों के सृजन को प्रमुखता से शामिल किया गया है। इसके प्रमुख कार्य सड़क संपर्कता, बाढ़ नियंत्रण, जल संरक्षण एवं जल संभरण, सूखा रोकने के उपाय, सूक्ष्म सिंचाई कार्य किसानों के स्वामित्व वाली भूमि में सिंचाई का प्रावधान, पारंपरिक जल निकायों का जीर्णोद्धार, भू-विकास कार्य आदि है।
- मनरेगा में ग्रामीण विकास मंत्रालय से अनुमोदित कार्य भी सम्मिलित किये जाते हैं। पंचायती राज संस्थाओं की योजना बनाने, निगरानी और कार्यान्वयन में प्रमुख भूमिका होगी।
जाँब कार्ड
- मनरेगा में बिना दक्षता वाला हाथ का कार्य इच्छुक ग्रामीण परिवार के सभी वयस्क सदस्यों करने के को रोजगार मांगने का अधिकार है। ऐसे परिवार जॉब कार्ड के लिए ग्राम पंचायत में आवेदन करेंगे। ग्राम पंचायत आवेदक की उम्र और स्थानीय निवास स्थान का सत्यापन करेगी। इसके बाद ग्राम पंचायत परिवार को फोटो सहित जॉब कार्ड निःशुल्क जारी करेगी। जॉब कार्ड परिवार के पास ही रहना चाहिए। जॉब कार्ड धारक महिला / पुरूष काम के लिए ग्राम पंचायत में आवेदन कर सकते है। मनरेगा में महिलाओं की 33 प्रतिशत भागीदारी का भी प्रावधान है।
सामाजिक अंकेक्षण
- केन्द्र सरकार के द्वारा राज्यों को मनरेगा के प्रत्येक कार्य का तीन महिने के भीतर सामाजिक अंकेक्षण कराने का निर्देश दिया गया है। मनरेगा के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सामाजिक अंकेक्षण को सार्वजनिक निगरानी की एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया माना गया है।
- "सामाजिक अंकेक्षण " एक प्रक्रिया है, जिसके तहत लोक संस्थाओं द्वारा विकास कार्यों में उपयोग किये गये वित्तीय एवं गैर वित्तीय दोनों संसाधनों का विस्तृत विवरण प्राय: एक लोक मंच के माध्यम से जनता के साथ साझा किया जाता है तथा यह प्रक्रिया जनता को जवाबदेहिता एवं पारदर्शिता लागू करने की छूट देकर अन्तिम लाभार्थी को उसके लिए बनी विकास योजनाओं की समीक्षा करने का अवसर प्रदान करती है।