राजस्थान में ग्रामीण विकास एवं गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम
राजस्थान में ग्रामीण विकास एवं गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम
- राजस्थान में 2011 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या में 75.07 प्रतिशत भाग ग्रामीण जनसंख्या का है। गांवों में गरीबी की समस्या मुखर है। राजस्थान में पंचवर्षीय योजनाओं में ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों को प्रमुख उद्देश्यों में सम्मिलित किया गया है। योजनाबद्ध विकास और आर्थिक उदारीकरण में ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों पर भारी राशि खर्च की गई है। मनरेगा इसका ज्वलंत उदाहरण है। केन्द्र सरकार ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन के लिए प्रयत्नशील है। केन्द्र सरकार की कई योजनाएं इस दिशा में राजस्थान में क्रियान्वयन में है। राजस्थान सरकार ने भी ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन के अनेक कार्यक्रम चालू कर रखे हैं। ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के उद्देश्य ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण जनता की गरीबी को दूर करना, ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए ढांचागत विकास करना, अधिक से अधिक रोजगार का सृजन, ग्रामीण विषमता को दूर करना तथा गरीब व्यक्तियों के आर्थिक एवं सामाजिक जीवन को बेहतर बनाना है।
राजस्थान में ग्रामीण विकास की योजनाएं
इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए राजस्थान में ग्रामीण
विकास की अनेक योजनाएं क्रियान्वयन में है जिनमें से निम्नलिखित प्रमुख-
राजस्थान में केन्द्रीय प्रवर्तित योजनाएं :
1. स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना
- भारत सरकार ने एक अप्रेल 1999 से स्वर्ण जयन्ती ग्रामस्वरोजगार योजना प्रारम्भ की। इसका उद्देश्य गरीबों को समुचित आजीविका उपलब्ध कराना है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लघु उद्योगों की स्थापना करना है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों है। इस जना में सम्मिलित किया गया.
2. इन्दिरा आवास योजना
- ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी रेखा से नीचे के व्यक्तियों को आवास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारत सरकार ने इन्दिरा आवास योजना शुरू की । एक जनवरी 1996 से यह योजना पूर्णरूप एक स्वतंत्र योजना है। योजना का क्रियान्वयन जिला ग्रामीण विकास अभिकरण अथवा जिला परिषदों द्वारा किया जाता है।
3. जवाहर ग्राम समृद्धि योजना -
- इस योजना में केन्द्र एवं राज्य सरकारों का वित्तीय अनुपात 75:25 है। यह योजना पूर्ववर्ती जवाहर रोजगार योजना का वृहद रूप है। इस योजना का उद्देश्य गांवों में परिसम्पत्ति निर्माण तथा बेरोजगारों को पूरक रोजगार उपलब्ध कराना है।
4. मरू विकास कार्यक्रम
- 1.4.1995 से जलग्रहण (वाटर शैड) के तहत राजस्थान में मरू विकास कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है। प्रारम्भ में शत-प्रतिशत सहायता भारत सरकार की थी। एक अप्रैल 1999 से भारत सरकार ने नई परियोजनाओं के लिए 75 प्रतिशत राशि केन्द्र प्रवर्तित योजना के हिस्से में उपलब्ध कराना तय किया है तथा 25 प्रतिशत राशि राज्य द्वारा वहन की जायेगी।
5. सूखा संभाव्य क्षेत्र कार्यक्रम
- यह कार्यक्रम जल संग्रहण के आधार पर 1.4.95 से क्रियान्वित किया जा रहा है। इसमें 1999-2000 से 75 प्रतिशत अंशदान भारत सरकार का तथा 25 प्रतिशत अंशदान राज्य सरकार का है।
6. एकीकृत बंजर भूमि विकास परियोजना
- एकीकृत बंजर भूमि विकास परियोजना एक केन्द्रीय प्रवर्तित कार्यक्रम है जो 1992-93 से प्रारम्भ किया गया। बंजर भूमि की दृष्टि से राजस्थान बड़ा राज्य है।
7. सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम
- यह कार्यक्रम राज्य की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा के चार जिलों बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर एवं गंगानगर में क्रियान्वित किया जा रहा है। इन सीमावर्ती जिलों में आधारभूत विकास के लिए भारत सरकार राशि उपलब्ध कराती है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत सुरक्षा उपायों को भी प्राथमिकता दी गई है। इसके अलावा इन जिलों में सड़क निर्माण, विद्युतीकरण, पेयजल, स्वच्छता, चिकित्सा, भेड़ एवं ऊन, शिक्षा, पशुपालन तथा मानव संसाधन विकास आदि विकास कार्यों को महत्व दिया गया है।
8 सांसद क्षेत्र विकास कार्यक्रम
- यह पूर्णतः केन्द्रीय प्रवर्तित योजना वर्ष 1992-93 से प्रारम्भ की गई । इसका उद्देश्य स्थानीय क्षेत्र के विकास से संबंधित महत्वपूर्ण आधारभूत सुविधाओं का विकास तथा जनोपयोगी परिसम्पत्तियों का निर्माण करना है। इस योजना में सांसदों को संसदीय क्षेत्रों के विकास के लिए धन उपलब्ध कराया जाता है।
9. बायोगैस कार्यक्रम
- ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 1981 से बायोगैस कार्यक्रम चलाया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पारम्परिक ऊर्जा न तो उपलब्ध है और न ही आर्थिक रूप से उपयोगी है, ऐसे क्षेत्रों के लिए बायोगैस शुद्ध प्रदूषण रहित एवं नवीन ऊर्जा स्त्रोत है।
10. बन्धुआ मजदूर
- बन्धुआ मजदूर की खोज, मुक्ति एवं उनके पुनर्वास बीस सूत्री कार्यक्रम का प्रमुख हिस्सा है। मानव बन्धन की इस बुराई के उन्मूलन पर अधिक जोर दिया जा रहा है। बन्धुआ मजदूर को • मुक्त कराते ही तत्काल सहायता उपलब्ध करायी जाती है। इसके अलावा मुक्त बन्धुआ मजदूर को कृषि भूमि उपलब्ध कराई जाती है। (यदि कृषि भूमि उपलब्ध हो) तथा स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना और इन्दिरा आवास योजना आदि में प्राथमिकता दी जाती है।
11. जीवन धारा -
- जीवन धारा योजना वर्ष 1995-96 तक जवाहर रोजगार योजना का भाग थी। वर्तमान में यह योजना अलग से क्रियान्वयन में है। इस योजना में लघु एवं सीमान्त कृषकों को कुओं के निर्माण एवं अन्य लघु सिंचाई कार्यों हेतु शत-प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।
12. बीस सूत्री कार्यक्रम
- भारत में योजनाबद्ध विकास का प्रमुख उद्देश्य गरीबी उन्मूलन रहा है। देश में गरीबी उन्मूलन हेतु बीस सूत्री कार्यक्रम का शुभारम्भ भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व.श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने एक जुलाई 1975 को किया था।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य गरीबी, बीमारियां एवं कुपोषण दूर करना है। समाज के गरीब तबकों के जीवन स्तर में सुधार लाना है। बीससूत्री कार्यक्रम में 1982 तथा 1986 में संशोधन किया गया ।
- राजस्थान में बीस सूत्री कार्यक्रम का शुभारम्भ वर्ष 1975 में किया गया। वर्तमान में इसका क्रियान्वयन समाज के गरीब वर्गों के उत्थान एवं उनके आर्थिक विकास के लिए किया जा रहा है। बीस सूत्री कार्यक्रम का गरीबी निराकरण से सीधा संबंध है। राजस्थान सरकार ने बीस सूत्री कार्यक्रम को पूरी लगन से लागू किया है। राजस्थान ने 20 बीस सूत्री कार्यक्रम को अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर ढंग से क्रियान्वित किया है ।
बीस सूत्री कार्यक्रम की 20 प्रमुख मदें इस प्रकार-
- सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना
- अधिशेष भूमि का वितरण
- पेयजल की सुविधा
- सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र
- प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र
- टीकाकरण
- आई.सी.डी.एस.
- आंगनबाडी
- अनुसूचित जाति के परिवारों को सहायता
- अनुसूचित जनजाति के परिवारों को सहायता
- इन्दिरा आवास योजना
- आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आवास
- निम्न आय वर्ग के आवास गंदी बस्ती सुधार
- निजी भूमि पर वृक्षारोपण
- सार्वजनिक एवं वन भूमि के अन्तर्गत संग्रहित क्षेत्र विद्युतीकृत गांव
- उन्नत चूल्हें
- बायोगैस संयंत्र
जिला गरीबी उन्मूलन परियोजना
- राजस्थान में जुलाई 2000 में विश्व बैंक की सहायता से जिला गरीबी उन्मूलन परियोजना का शुभारम्भ हुआ। यह परियोजना गरीबों के उत्थान के लिए राज्य के सात जिलों बारां, चूरू, दौसा, धोलपुर, झालावाड़, राजसमंद, टोंक में क्रियान्वित की जा रही । इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य चयनित राज्य के सात जिलों में गरीबी कम करना है।