राजस्थान में संचार एवं मानव संसाधन
राजस्थान में संचार
- संचार आधारभूत संरचना का महत्वपूर्ण भाग है। वर्तमान में आर्थिक विकास में संचार की भूमिका बढ़ गई है। देश में डाक एवं दूर संचार सेवाओं का तीव्र गति से विकास हुआ ।
- सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए तीव्र विकास ने संचार क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है। संचार सुविधाओं के विकास में सार्वजनिक क्षेत्र के साथ निजी क्षेत्र उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा । राजस्थान में भी डाक सेवा का पर्याप्त विकास हुआ है। राज्य में औसतन 33 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में एक डाकघर स्थापित है। इसके अलावा प्रति डाकघर औसतन 5404 व्यक्तियों को सेवाएं प्राप्त हो रही है।
- राजस्थान में डाक एवं दूर संचार सेवाओं में डाकघर, तार कार्यालय, टेलीफोन एक्सचेंज, लोकल पीसीओ, एसटीडी / पीसीओ, ग्रामीण पीटी, इन्टरनेट सेवाऍ आदि सम्मिलित है। संचार के अन्य साधनों में टेलीविजन, रेडियों, टेलीग्राफ, टेलीग्राम, टेलेक्स, कम्प्यूटर, लेपटॉप, फैक्स आदि भी है ।
राजस्थान में मानव संसाधन
- आर्थिक विकास में सामाजिक आधारभूत संरचना की भूमिका बढ़ गई है। इसमें मानव संसाधन संरचना अधिक महत्वपूर्ण है। इसके अलावा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, जलापूर्ति, आवास, समाज कल्याण, जनजाति क्षेत्रीय विकास, महिला एवं बाल विकास और कल्याणकारी गतिविधियाँ भी सामाजिक आधारभूत संरचना के अंग है।
- राजस्थान में मानव संसाधन विकास की स्थिति सुधारवादी चरण में है। राजस्थान में साक्षरता दर 1991 में 38.6 प्रतिशत थी जो बढ़कर 2001 में 60.4 प्रतिशत हो गई। इस प्रकार 1991-2001 के दशक में राजस्थान की साक्षरता दर में 21.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2001 में साक्षरता में राजस्थान का स्थान भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों में
द्वितीय निम्न स्तर से ऊपर उठकर सातवां हो गया था। राज्य की साक्षरता दर 2011 में बढ़कर 67.06 प्रतिशत हो गई
है। राजस्थान के मानव संसाधन विकास में प्रारम्भिक शिक्षा एवं साक्षरता, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, औद्योगिक
प्रशिक्षण संस्थान, संस्कृत शिक्षा
विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। राजस्थान में 2005-06 में 56573 प्राथमिक स्कूल, 28955 उच्च प्राथमिक
स्कूल, 11199 उच्च माध्यमिक
विद्यालय थे। राज्य में 2006-07 में 1090 उच्च शैक्षणिक
संस्थाएँ तथा 21 राष्ट्रीय महत्व
के विश्वविद्यालय तथा डीम्ड विश्वविद्यालय थे .