राजस्थान में सिंचाई के स्त्रोत । राजस्थान की सिंचाई परियोजनाओं की जानकारी ।Rajsthan Me Sichai Pariyojnayen - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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गुरुवार, 20 जनवरी 2022

राजस्थान में सिंचाई के स्त्रोत । राजस्थान की सिंचाई परियोजनाओं की जानकारी ।Rajsthan Me Sichai Pariyojnayen

 राजस्थान में सिंचाई के स्त्रोत 

राजस्थान में सिंचाई के स्त्रोत । राजस्थान की सिंचाई परियोजनाओं की जानकारी ।Rajsthan Me Sichai Pariyojnayen


 

राजस्थान में सिंचाई के स्त्रोत 

  • राजस्थान कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ के अधिकांश लोग जीवन स्तर के लिए कृषि पर निर्भर हैं। कृषि विकास सिंचाई पर निर्भर करता । राजस्थान के पश्चिम भाग में मरूस्थल है। मानसून की अनिश्चितता के कारण "कृषि मानसून का जुआ" जैसी बात कई बार चरितार्थ होती है। हरित क्रान्ति और कृषि क्षेत्र की आधुनिक प्रौद्योगिकी का लाभ सिंचाई द्वारा ही संभव है। इसलिए राजस्थान में सिंचाई साधनों के विकास की महत्ती आवश्यकता है।

 

  • सिंचाई के स्त्रोत राजस्थान के सिंचाई के प्रमुख साधनों में नहरेंतालाबकुएँनलकूप है। सबसे अधिक सिंचाई नहरें और कुंओ से होती है। कुएँ और नलकूप सिंचाई के सर्वोत्तम साधन है। इनके द्वारा फसलों में आवश्यकतानुसार पानी दिया जा सकता है। कुएँ और नलकूप द्वारा सिंचाई के लिए पानी का मीठा होनाजल स्तर का गहरा नहीं होना तथा उपजाऊ भूमि का होना आवश्यक है।

 

  • नहरों द्वारा सतही जल का सबसे अधिक उपयोग होता हैं। राज्य में सतत् प्रवाही नदियों के अभाव में नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र कम है। राज्य के दक्षिण-पूर्वीपठारी एवं पथरीले भागों में तालाबों द्वारा सिंचाई की जाती है।

 

  • राजस्थान की बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं और सिंचाई की वृहद एवं मध्यम परियोजनाओं को आधुनिक भारत के मंदिर की संज्ञा दी गई है। बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के उद्देश्य विद्युत उत्पादनबाढ़ नियंत्रणसिंचाईपेयजलमछली पालनवृक्षारोपणअकाल और सूखे के समय जल की सुविधाक्षेत्रीय आर्थिक विकास आदि निर्धारित किये गये हैं। 
  • वृहद सिंचाई परियोजनाओं से दस हजार हैक्टेयर से अधिक कृषि योग्य कमाण्ड क्षेत्र में सिंचाई होती है। मध्यम सिंचाई परियोजनाओं से दो हजार से दस हजार हैक्टेयर तक कृषि योग्य भूमि में सिंचाई की जाती है। 


राजस्थान की सिंचाई परियोजनाओं की जानकारी  


भाँखरा नाँगल बहुउद्देशीय परियोजना 

  • यह भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है। इस परियोजना में पंजाबहरियाणा और राजस्थान सम्मिलित है। भाँखरा नॉगल में राजस्थान का हिस्सा 15.2 प्रतिशत है। भाँखरा मुख्य नहर की सिंचाई क्षमता 14.6 लाख हैक्टेयर है जिसमें राजस्थान का हिस्सा 2.3 लाख हैक्टेयर है। भाँखरा नाँगल से राजस्थान के गंगानगर जिले में सिंचाई सुविधा और बीकानेर और रतनगढ़ में बिजली की आपूर्ति है।
 

चम्बल परियोजना 

  • चम्बल नदी मध्य प्रदेश के मऊ छावनी के पास से निकलकर उत्तर में बहती है।राजस्थान में यह नदी चौरासीगढ़ नामक स्थान पर प्रवेश करती है। चम्बल राजस्थान की सतत् प्रवाही नदी है । चम्बल की विनाशकारी लीला को समाप्त करने के लिए राजस्थान और मध्यप्रदेश राज्यों ने संयुक्त रूप से चम्बल बहुउद्देशीय परियोजना का निर्माण किया। यह देश की प्रमुख सिंचाई और विद्युत परियोजनाओं में से है। चम्बल परियोजना में राजस्थान का हिस्सा 50 प्रतिशत है।

 

  • चम्बल परियोजना के पहले चरण में चौरासीगढ़ और मानपुरी (मध्यप्रदेश) के पास गाँधी सागर बाँध तथा कोटा में दुर्ग के पास कोटा सिंचाई बाँध बनाया गया । दूसरे चरण में चूलिया झरने के पास राणा प्रताप सागर बांध तथा तीसरे चरण में जवाहर सागर बाँध का निर्माण किया गया । इसे कोटा बाँध भी कहते हैं। चम्बल परियोजना से राजस्थान के कोटा और बून्दी जिलों में सिंचाई होती है।

 

माही बजाज सागर परियोजना 

  • माही नदी विन्ध्याचल पर्वत की उत्तरी पहाड़ियों से निकल कर मध्यप्रदेशराजस्थान एवं गुजरात राज्यों में बहती है। माही बजाज सागर परियोजना राजस्थान और गुजरात राज्यों की संयुक्त परियोजना है। माही नदी पर बोरखेड़ा गांव के समीप माही बजाज सागर बाँध का निर्माण किया गया । इस परियोजना के अन्तर्गत बाँधविद्युत गृह और नहरों के निर्माण से बांसवाड़ा और डूंगरपुर के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक विकास में गुणात्मक परिवर्तन आया है।

 

जाखम सिंचाई परियोजना 

  • जाखम माही की सहायक नदी है। प्रतापगढ़ में जाखम नदी पर जाखम बाँध बनाया गया है। इस सिंचाई परियोजना से उदयपुरचित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ में सिंचाई सुविधा मुहैया है। 

 

बीसलपुर सिंचाई परियोजना

  • टोंक जिले के  बीसलपुर गांव में बनास नदी पर बाँध का निर्माण किया गया है। राजस्थान के जयपुरअजमेरब्यावरकिशनगढ़टोंक आदि की पेयजल और सिंचाई की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बीसलपुर परियोजना महत्वपूर्ण है।

 

सोमकमला- अम्बा सिंचाई परियोजना 

  • दक्षिणी राजस्थान के जनजाति बहुल बांगड क्षेत्र की समृद्धि के लिए सोम कमला अम्बा सिंचाई परियोजना भाग्य रेखा है। सोम नदी पर कमला अम्बा गांव के समीप बाँध का निर्माण किया गया है। इससे डूंगरपुर और उदयपुर के अनेक गांवों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है।

 

मेजा बाँध परियोजना 

  • भीलवाड़ा जिले में - माण्डलगढ़ तहसील के मेजा गांव के निकट कोठारी नदी पर मेजा बाँध का निर्माण किया। मेजा बाँध भीलवाड़ा का प्रमुख पेयजल स्त्रोत है। इससे भीलवाड़ा के आसपास के गांवों में सिंचाई सुविधा भी मुहैया होती है। मेजा बाँध क्षेत्र में गर्मियों में जल सूख जाने के कारण खीराकंकड़ीतरबूजखरबूज की खेती होती हैं।

 

सिद्ध मुख परियोजना 

  • इस परियोजना से हनुमानगढ़ जिले की नोहर व भादरा तहसीलें तथा चूरू जिले की तारानगर व सादुलपुर तहसीलों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होती है। इस परियोजना में राजस्थान रावी व्यास नदियों के अतिरिक्त पानी का उपयोग करेगा जो उसके हिस्से में दिसम्बर 1981 में पंजाबहरियाणा व राजस्थान के बीच हुए एक समझौता के अन्तर्गत मिला है।

 

नर्मदा परियोजना 

  • सरदार सरोवर नर्मदा परियोजना गुजरात राज्य की वृहद परियोजना है। नर्मदा जल में राजस्थान का हिस्सा भी है। इस परियोजना से राजस्थान के जालौर और बाड़मेर जिलों के गांवों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।

 

व्यास परियोजना 

  • यह पंजाबहरियाणा और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है। परियोजना का मुख्य उद्देश्य रावीव्याससतजल नदियों के जल का उपयोग करना है। राजस्थान में इस परियोजना से इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना को स्थायी रूप से पानी की आपूर्ति की जाती है।

 

इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना 

  • थार मरूस्थल की बेकार पड़ी उर्वरा शक्ति को सक्रिय करने के लिए बीकानेर रियासत के मुख्य अभियन्ता कंवर सेन ने हिमाचल के पानी को थार मरूस्थल तक लाने की अनूठी योजना का प्रारूप वर्ष 1948 में भारत सरकार के विचारार्थ रखा । यही योजना इन्दिरा गाँधी नहर के लिए आधार बनी। यह परियोजना 2 नवम्बर 1984 तक राजस्थान नहर परियोजना का नाम से विख्यात थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के निधन के बाद परियोजना का नाम बदलकर उनकी स्मृति में इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना किया गया । इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित नहर परियोजना है। इसकी गिनती विश्व की सबसे लम्बी एवं बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजनाओं में होती है।

 

  • इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना का उद्गम स्थल पंजाब में सतलज और व्यास नदियों के संगम स्थल पर स्थित 'हरिके बैराज से है। यह परियोजना हरिके बैराज के बायीं और से निकाली गई है। इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना की कुल लम्बाई 649 किलोमीटर रखी गई। इसे राजस्थान की मरूगंगा और थार मरूस्थल की जीवन रेखा भी कहा जाता है। इस परियोजना के प्रमुख उद्देश्य मरूस्थल में सिंचाईमानव व पशुओं के लिए पीने का पानीपशुपालनवृक्षारोपणविद्युत उत्पादनपर्यटन विकासमण्डी विकासपशु चारा विकासराष्ट्रीय शुष्क उद्यान आदि रखे गये हैं। इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना से लाभान्वित जिलों में गंगानगरहनुमानगढ़बीकानेरबाड़मेरजैसलमेरचूरूजोधपुर सम्मिलित हैं।

 

जवाई बाँध 

  • पश्चिमी राजस्थान में लूनी की - सहायक जवाई नदी पर एरिनपुरा के निकट जवाई बाँध बनाया गया है। इस बाँध से जोधपुरसुमेरपुर और पाली शहर को पेयजल आपूर्ति तथा पालीजालोर जिलों में सिंचाई होती है।

 

पाँचना परियोजना 

  • करौली जिले के - गुडला गांव के समीप पाँच नदियों यथा बरखेडाभद्रावतीमाचीभैसावटअटा के संगम पर बाँध बनाया गया है। पांचना परियोजना से करौली जिले की टोडाभीमनादौतीहिण्डौन तथा सवाई माधोपुर में गंगापुर तहसील में सिंचाई सुविधा मुहैया है।

 

मोरेल बाँध - 

  • यह बाँध दौसा जिले के लालसोट कस्बे से 16 किलोमीटर दूर मोरेल नदी पर मिट्टी से बनाया गया है।