मध्यप्रदेश रत्न', 'मध्यप्रदेश गौरव 'मध्यप्रदेश श्री' पुरस्कार की मध्यप्रदेश में शुरुआत
MP Ratn Gaurav Shree Award
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने
कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार इस वर्ष से 'मध्यप्रदेश
रत्न', 'मध्यप्रदेश गौरव' और 'मध्यप्रदेश श्री' पुरस्कार
प्रारंभ करेगी। इस वर्ष ये पुरस्कार नवम्बर माह में प्रदान किये जायेंगे। ये
पुरस्कार कला, संस्कृति, साहित्य, विज्ञान, चिकित्सा, शिक्षा आदि क्षेत्रों में उत्कृष्ट
कार्य करने वालों को दिये जायेंगे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज अपने निवास
पर इस वर्ष पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित एवं गत वर्षों में पद्म सम्मान प्राप्त
कर चुकी प्रदेश की विभूतियों को सम्मानित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस
वर्ष (जिनको 26 जनवरी को पद्म सम्मान दिये जाने की
घोषणा की गई है) पद्म सम्मान प्राप्त करने वाली प्रदेश की विभूतियों, स्व. डॉ. एन.पी. मिश्रा (उनके पुत्र
श्री सुनील मिश्रा), श्रीमती दुर्गाबाई व्याम, श्री अर्जुन सिंह धुर्वे एवं पं.
रामसहाय पाण्डे को सम्मानित किया। साथ ही गत वर्षों में पद्म सम्मान से सम्मानित
मध्यप्रदेश की विभूतियों श्री भज्जू श्याम, श्री
विजय दत्त श्रीधर, श्री कपिल तिवारी एवं श्रीमती भूरीबाई
को भी सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पहले
भारत सरकार द्वारा सीमित क्षेत्रों में पद्म सम्मान दिये जाते थे, परंतु श्री नरेन्द्र मोदी के
प्रधानमंत्री बनने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले
व्यक्तियों को पद्म सम्मान दिया जा रहा है। पहले यह सम्मान अभिजात्य वर्ग तक ही
सीमित था, अब समाज के हर वर्ग को यह सम्मान
प्राप्त हो रहा है। इसके लिये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी धन्यवाद के पात्र
हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि
मध्यप्रदेश की जनता की ओर से आज पद्म सम्मान प्राप्त करने वाली विभूतियों को
सम्मानित करते हुए वे स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
डॉ. एन.पी. मिश्रा
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि स्व.
डॉ. एन.पी. मिश्रा का नाम वे बचपन से सुनते आये हैं। जब उनके गाँव जैत में कोई
बीमार होता था, तो कहते थे डॉ. एन.पी. मिश्रा को भोपाल
में जाकर दिखा लो। चिकित्सा क्षेत्र में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश
और देश का नाम गौरवान्वित किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि श्री
भज्जू श्याम एवं श्रीमती दुर्गाबाई व्याम गोंडी चित्रकला के क्षेत्र में विशिष्ट
नाम हैं। सारी दुनिया में इनकी कला की सराहना हो रही है। मेरे दरवाजे पर गोंडी
पेंटिंग भी लगी हुई है। प्रकृति एवं लोक-कलाओं पर आधारित इनके चित्र अत्यंत
विशिष्ट हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि श्री
अर्जुन सिंह धुर्वे का जनजातीय संस्कृति को विशेष पहचान दिलाने में अमूल्य योगदान
है। नृत्य हमारी संस्कृति का प्रतीक है। जनजातीय भाई आज में जीते हैं, कल की परवाह नहीं करते। मैं भी जब
जनजातीय क्षेत्र में जाता हूँ, तब
श्री अर्जुन सिंह धुर्वे एवं अन्य जनजातीय कलाकारों के साथ थोड़ा नृत्य भी कर लेता
हूँ।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि श्री
रामसहाय पाण्डे ने राई नृत्य को नया स्वरूप एवं सम्मान दिया है। उन्होंने इस नृत्य
को दुनिया में पहचान दिलाने के लिये काफी कष्ट सहे हैं। वे पूर्ण कलाकार हैं। आज
भी जब वे मुख्यमंत्री निवास सम्मान लेने आये हैं, तब उनके पैर थिरक रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि
पत्रकारिता एवं लेखन के क्षेत्र में श्री विजयदत्त श्रीधर देश में अपनी अलग पहचान
रखते हैं। उन्होंने सप्रे संग्रहालय की स्थापना की है, जो अत्यंत उपयोगी है। मुख्यमंत्री श्री
चौहान ने कहा कि श्री कपिल तिवारी बड़े विद्वान हैं और कला की परम्परा को आगे बढ़ा
रहे हैं। उन्होंने जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और विकास में अमूल्य योगदान दिया
है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सभी
विभूतियों से अनुरोध किया कि वे पेड़ लगाने एवं पर्यावरण संरक्षण में अपना पूरा
योगदान दें।
कार्यक्रम में पूर्व में पद्म सम्मान
से सम्मानित और इस वर्ष चयनित विभूतियों के परिजन, प्रमुख सचिव एवं आयुक्त जनसम्पर्क श्री राघवेन्द्र सिंह, संचालक जनसम्पर्क श्री आशुतोष प्रताप
सिंह उपस्थित थे। संचालन उप संचालक जनसम्पर्क श्री अशोक मनवानी ने किया।