माखन नगर के गौरव दिवस : Makhan Nagar Gaurav Divas
माखननगर के गौरव दिवस : Makhan Nagar Gaurav Divas
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान
सोमवार, 4
अप्रैल को नर्मदापुरम जिले के माखननगर में होने वाले गौरव दिवस कार्यक्रम में
शामिल होंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा सत्याग्रही और स्वतंत्रता संग्राम
सेनानी पं. माखनलाल चतुर्वेदी की जयंती पर बाबई नगर का नाम माखननगर किए जाने पर
विभिन्न संगठन मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करेंगे।
गौरव दिवस पर माखननगर में विभिन्न
विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमि-पूजन होगा। साथ ही नगर के सुनियोजित विकास के
लिए एक संकल्प-पत्र भी तैयार किया गया है।
बाबई का नाम माखननगर
सोमवार 4 अप्रैल माखननगर के लिए
ऐतिहासिक बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान के इस दिन पं. माखनलाल चतुर्वेदी
की जयंती पर माखननगर पहुँचने पर गौरव दिवस कार्यक्रम में स्थानीय नागरिक बाबई का
नाम माखननगर किए जाने पर उनका आभार व्यक्त करेंगे। उल्लेखनीय है कि माखननगर में
कार्यालयों, बाजारों, बैंक, पोस्ट ऑफिस, पुलिस थाना और अन्य सार्वजनिक स्थानों
में व्यापक जन-सहयोग से माखननगर की नाम पट्टिकाएँ लगाई गई हैं। गौरव दिवस पर
स्थानीय नागरिक सामाजिक संस्थाओं के साथ नगर विकास के प्रयासों में सहयोग करने का
संकल्प भी लेंगे। माखननगर में प्रत्येक परिवार ने एक वृक्ष लगाने, जल संरक्षण के लिए कार्य करने, नगर के आँगनवाड़ी केंद्रों और
विद्यालयों को जन-सहयोग से उत्कृष्ट बनाने, बेटियों के जन्म पर उत्सव और स्वच्छता
के संकल्प के लिए पहल की है। गौरव दिवस के लिए दो और तीन अप्रैल को पीले चावल देकर
नागरिकों को आमंत्रित किया गया है।
बाबई का नया नाम माखननगर
प्रदेश की विभिन्न संस्थाओं ने भी बाबई
का नाम माखननगर किए जाने पर मुख्यमंत्री श्री चौहान के प्रति विशेष आभार व्यक्त
किया है। साहित्य और पत्रकारिता जगत द्वारा इस निर्णय को ऐतिहासिक और चिर-स्मरणीय
माना गया है। माधवराव सप्रे स्मृति समाचार-पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, तुलसी मानस प्रतिष्ठान, हिन्दी भवन, मध्यप्रदेश लेखक संघ ने मुख्यमंत्री
श्री चौहान द्वारा पंडित चतुर्वेदी जैसे समर्पित कलमकार और आजादी के आंदोलन के
योद्धा के सम्मान में लिए गए इस निर्णय को सम्पूर्ण राष्ट्र में एक विशेष उदाहरण
माना है।
माखनलाल चतुर्वेदी के बारे में जानकारी
कलम के योद्धा और स्वतंत्रता संग्राम
सेनानी पं. माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को बाबई में हुआ, जिसे अब पं. माखनलाल चतुर्वेदी के नाम
पर माखननगर के नाम से जाना जाएगा। पं चतुर्वेदी “कर्मवीर” और “प्रभा” के प्रतापी संपादक, राष्ट्रीय काव्य-धारा के उन्नायक, पुष्प की अभिलाषा के अमर नायक रहे हैं।
पं. चतुर्वेदी के सम्मान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी नर्मदापुरम जिले में आए
थे और पं. चतुर्वेदी की जन्म-स्थली पर पहुँचकर एक उदाहरण प्रस्तुत किया था। पं.
चतुर्वेदी झण्डा सत्याग्रह के विजयी सेनापति थे। वे अनूठे रचनाकार थे। वे बार-बार
ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रचार करते थे। इस वजह से वे ब्रिटिश साम्राज्य के कोप
भाजन बन जाते थे। वर्ष 1921-22 के असहयोग आंदोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से
हिस्सा लिया और कारावास भी गए।उनकी काव्य रचनाओं में राष्ट्र प्रेम दिखाई देता है।
अनेक भाषाओं पर उनका अधिकार था। उन्हें सागर विश्वविद्यालय से वर्ष 1959 में डी
लिट की मानद उपाधि से विभूषित किया गया। इसके साथ ही वर्ष 1955 में काव्य संग्रह
हिमतरंगिणी के लिए “साहित्य अकादमी” पुरस्कार और भारत सरकार से वर्ष 1963 में पद्मभूषण से अलंकृत किया
गया। पं. चतुर्वेदी का 30 जनवरी 1968 को अवसान हुआ। भोपाल में पं. माखनलाल
चतुर्वेदी के नाम से राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय स्थापित किया
गया है।