सर्वोषधीनाममृता प्रधाना सर्वेषु का हिंदी अर्थ और शब्दार्थ भावार्थ
सर्वोषधीनाममृता प्रधाना सर्वेषु का हिंदी अर्थ और शब्दार्थ भावार्थ
सर्वोषधीनाममृता प्रधाना सर्वेषु सौख्येष्वशनं प्रधानम्।
सर्वेन्द्रियाणां नयनं प्रधानं सर्वेषु गात्रेषु शिरः प्रधानम्॥ ॥ अध्याय 2 श्लोक - 4॥
शब्दार्थ-
सब औषधियों में गुर्च-गिलोय प्रमुख है। सब सुरा उत्पन्न करने वाले साधनों में भोजन प्रधान है। सब ज्ञानेन्द्रियों में नेत्र श्रेष्ठ हैं और सब अंग में सिर सर्वश्रेष्ठ है।
भावार्थ-
सब औषधियों में गिलोय, सब सुखों में भोजन, सब ज्ञानेन्द्रियों में आंख और शरीर के सब अंगों में सिर सर्वश्रेष्ठ होता।
विमर्श - आचार्य चाणक्य ने उक्त श्लोक में।गलोय (गुर्च) को अमृत बताया है। इसी तरह सब सुखों में भोजन सुख, ज्ञानेन्द्रियों में आंख और अंगों में सिर श्रेष्ठ होता है।