विश्वभारती क्या है , विश्वभारती का इतिहास , Vishv Bharti History in Hindi
विश्वभारती क्या है , विश्वभारती का इतिहास
1921 के अंत में शान्तिनिकेतन का विस्तार विश्वभारती विश्वविद्यालय के रूप में किया गया। यह विश्वविद्यालय अपने आदर्श वाक्य 'यत्र विश्वम् भवेत्य नीड़म्' को साकार करता है। सच ही यहाँ सम्पूर्ण वसुधा विश्वभारती' नामक घोसले में समा जाती है। यह एक ऐसी संस्था है जहाँ पूर्व की सभी संस्कृतियों का मिलन होता है, जहाँ दर्शन और कला की हर परम्परा एक दूसरे से सम्बन्ध बनाती है, जहाँ पूर्व और पश्चिम के दार्शनिक, साहित्यकार एवं कलाकार अपनत्व महसूस करते है।
विश्वभारती एक आवासीय विश्वविद्यालय है जहाँ सह-शिक्षा की व्यवस्था है। राष्ट्रीयता, धर्म, जाति, भाषा के आधार पर विद्यार्थियों एवं अध्यापकों में कोई भेदभाव नहीं है। सभी ईश्वर की उत्कृष्ट रचना मानव के रूप में सम्मान के साथ अध्ययन करते हैं। सन् 1951 में भारतीय संसद में 'विश्वभारती' को केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता दी। इससे आर्थिक सुदृढ़ता तो आयी पर अन्य सरकार पर आधारित अन्य विश्वविद्यालयों की तरह इसमें भी नवीनता एवं सृजनात्मकता पर जोर क्रमशः कम होने लगा ।
विश्वभारती में अनेक विभाग है, जिन्हें 'भवन' कहा जाता है। ये भवन निम्नलिखित है
(i) पाठ भवन-
यह उच्च विद्यालय स्तर तक की शिक्षा बंगला भाषा में प्रदान करता है।
(ii) शिक्षा भवन-
इसमें इण्टर तक की शिक्षा दी जाती है। बंगला, अंग्रेजी, हिन्दी, संस्कृत, तर्कशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, इतिहास, अर्थशास्त्र, गणित, भूगोल, विज्ञान आदि विषयों की शिक्षा की व्यवस्था है
(iii) विद्या भवन-
इसमें स्नातक स्तर का तीन वर्षीय पाठ्यक्रम, दो वर्षों का एम०ए० तथा एम०एससी० का पाठ्यक्रम और पी-एच०डी० की व्यवस्था है।
(iv) विनय भवन -
यह अध्यापक शिक्षा विभाग है। जिसमें बी०ए०, एम0एड0 एवं शिक्षाशास्त्र में पी-एच०डी० की व्यवस्था है ।
(v) कला भवन-
कला तथा शिल्प में दो वर्ष का पाठ्यक्रम हाईस्कूल के उपरांत चार वर्षीय डिप्लोमा तथा स्त्रियों के लिए दो वर्ष का सर्टिफिकेट कोर्स कला भवन में उपलब्ध है। इस भवन में अपना पुस्तकालय एवं संग्रहालय है ।
(vi) संगीत विभाग -
इसमें संगीत और नृत्य से सम्बन्धित विभिन्न तरह के पाठ्यक्रम संचालित किए जाते है ।
(vi) चीन भवन -
इसमें चीनी भाषा और संस्कृति, इतिहास के बारे में शिक्षा दी जाती है ।
(vii) हिन्दी भवन -
इस भवन में हिन्दी भाषा एवं साहित्य की उच्च स्तरीय शिक्षा की व्यवस्था है।
(ix) इस्लाम अनुसंधान विभाग-
इसमें इस्लाम धर्म और अनुसंधान का प्रबन्ध किया गया है। अध्ययन इस प्रकार विश्वभारती में विद्यालय स्तर से लेकर उच्च स्तर के शिक्षा की समुचित व्यवस्था है।
महात्मा गाँधी ने गुरूदेव द्वारा स्थापित संस्थाओं के बारे में कहा "गुरुदेव की शक्ति नई चीजों के निर्माण में थी । उन्होंने शान्तिनिकेतन, श्रीनिकेतन, विश्वभारती जैसी संस्थाओं की स्थापना की। इन संस्थाओं में गुरूदेव की आत्मा निवास करती है। ये संस्थायें केवल बंगाल की ही नहीं वरन् पूरे भारत की धरोहर हैं।"