अबनींद्रनाथ टैगोर जीवन परिचय | अबनींद्रनाथ टैगोर कौन थे |Abanindranath Tagore Jeevan Parichay - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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शनिवार, 6 अगस्त 2022

अबनींद्रनाथ टैगोर जीवन परिचय | अबनींद्रनाथ टैगोर कौन थे |Abanindranath Tagore Jeevan Parichay

अबनींद्रनाथ टैगोर जीवन परिचय,  अबनींद्रनाथ टैगोर कौन थे 

अबनींद्रनाथ टैगोर जीवन परिचय | अबनींद्रनाथ टैगोर कौन थे |Abanindranath Tagore Jeevan Parichay

अबनींद्रनाथ टैगोर जीवन परिचय (अबनींद्रनाथ टैगोर कौन थे)

अबनींद्रनाथ टैगोर के जन्मदिवस के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में साल भर तक चलने चलने वाले समारोह की शुरुआत जल्दी ही हो जाएगीजिसमें विभिन्न ऑनलाइन कार्यशालाओं और वार्ताओं के माध्यम से बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट के अग्रणी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।


अबनींद्रनाथ टैगोर कौन थे

 

जन्म: 07 अगस्त, 1871 को ब्रिटिश भारत के कलकत्ता के जोरासांको (Jorasanko) में ।

वह रवींद्रनाथ टैगोर के भतीजे थे।

विचार: अपनी युवावस्था मेंअबनींद्रनाथ ने यूरोपीय कलाकारों से यूरोपीय और अकादमिक शैली में प्रशिक्षण प्राप्त किया।

हालाँकिउन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम दशक के दौरानयूरोपीय प्रकृतिवाद (जो चीजों को उसी रूप में प्रस्तुत करता है जैसे कि एक व्यक्ति द्वारा देखा गया है अर्थात् प्राकृतिक विज्ञान के सिद्धांतों से प्रेरित) के प्रति उनमें अरुचि विकसित हुई।

उनका झुकाव ऐतिहासिक या साहित्यिक संकेतों के साथ चित्रों को चित्रित करने की ओर हुआ और इसके लिये उन्हें मुगल लघुचित्रों से प्रेरणा मिली।

उनकी प्रेरणा का एक अन्य स्रोत जापानी दार्शनिक और एस्थेटिशियन ओकाकुरा काकुज़ो द्वारा वर्ष1902 में की गई कोलकाता की यात्रा थी।

अबनींद्रनाथ टैगोर का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:

उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम दशकों मेंकला के क्षेत्र में एक नए आन्दोलन का जन्म हुआजिसे शुरूआती प्रोत्साहन भारत में बढ़ते राष्ट्रवाद से प्राप्त हुआ।

बंगाल मेंअबनींद्रनाथ टैगोर के नेतृत्त्व में राष्ट्रवादी कलाकारों का एक नया समूह अस्तित्त्व में आया।

वह यकीनन एक कलात्मक भाषा के पहले प्रमुख प्रतिपादक थे जिन्होंने औपनिवेशिक शासन के तहत कला के पश्चिमी मॉडलों के प्रभाव का मुकाबला करने के लिये मुगल और राजपूत शैलियों का आधुनिकीकरण करने की मांग की थी।

यद्यपि इस नई प्रवृत्ति के कई चित्र मुख्य रूप से भारतीय पौराणिक कथाओं और सांस्कृतिक विरासत के विषयों पर केंद्रित हैंवे भारत में आधुनिक कला संबंधी आंदोलन तथा कला इतिहासकारों के अध्ययन के लिये महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

स्वदेशी विषयों की उनकी अनूठी व्याख्या ने एक नई जागृति पैदा की और भारतीय कला के पुनरुद्धार की शुरुआत की।

 वह प्रतिष्ठित 'भारत मातापेंटिंग के निर्माता थे।

विक्टोरिया मेमोरियल हॉल रबीन्द्र भारती सोसाइटी संग्रह का संरक्षक हैजो कलाकारों के महत्त्वपूर्ण कृतियों का सबसे बड़ा संग्रह है।


बंगाल स्कूल ऑफ पेंटिंग

इसे पुनर्जागरण विद्यालय या पुनरुद्धारवादी स्कूल (Renaissance School or the Revivalist School) भी कहा जाता हैक्योंकि यह भारतीय कला के पहले आधुनिक आंदोलन का प्रतिनिधित्व करता था।

इसने भारतीय कला के महत्त्व को पुनः पहचानने और सचेत रूप से अतीत की रचनाओं से प्रेरित एक वास्तविक भारतीय कला के रूप में इसे प्रस्तुत करने का प्रयास किया।

इसके अग्रणी कलाकार अबनिंद्रनाथ टैगोर और प्रमुख सिद्धांतकार ई.बी. हैवेलकलकत्ता स्कूल ऑफ आर्ट के प्राचार्य थे।