चाणक्य के अनुसार मनुष्य को कैसे स्वाभाव का नही होना चाहिए | Human Nature According Chankya - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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मंगलवार, 23 अगस्त 2022

चाणक्य के अनुसार मनुष्य को कैसे स्वाभाव का नही होना चाहिए | Human Nature According Chankya

 चाणक्य के अनुसार मनुष्य को कैसे स्वाभाव का नही होना चाहिए 

चाणक्य के अनुसार मनुष्य को कैसे स्वाभाव का नही होना चाहिए | Human Nature According Chankya



नाऽत्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम् । 
छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः ॥ 
॥ अध्याय 7 श्लोक 1201

 

शब्दार्थ - अत्यधिक सीधे स्वभाव का नहीं होना चाहिए। वन में जाकर देखो वहाँ सीधे वृक्ष काट दिये जाते हैं और टेढ़े-मेढ़े वृक्ष खड़े रहते हैं।

 

भावार्थ - मनुष्य को अत्यंत सरल और सीधे स्वभाव का नहीं बनना चाहिए। वन में जाकर देखोवहाँ सीधे वृक्ष काट डाले जाते हैं और टेढ़े-मेढ़े वृक्ष खड़े रहते हैंउन्हें कोई नहीं काटता ।

 

विमर्श - मनुष्य को इतना सरल-सीधा-सादा नहीं बनना चाहिए कि जो देखे वही मुख में डाल लें। मनुष्य में कोमलता होपरन्तु साथ ही उसमें तीक्ष्णता भी होनी चाहिएदुष्टों को दण्ड देने की शक्ति भी होनी चाहिए।