अधः पश्यसि किं बाले पतितं का अर्थ | Chankya Ke Anusaar Vaibha Shaali Vyakti - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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मंगलवार, 13 सितंबर 2022

अधः पश्यसि किं बाले पतितं का अर्थ | Chankya Ke Anusaar Vaibha Shaali Vyakti

अधः पश्यसि किं बाले पतितं का अर्थ

अधः पश्यसि किं बाले पतितं का अर्थ | Chankya Ke Anusaar Vaibha Shaali Vyakti


अधः पश्यसि किं बाले पतितं का अर्थ


अधः पश्यसि किं बाले पतितं तव किं भुवि ।
 रे रे मूर्ख न जानासि गतं तारुण्यमौक्तिकम् ॥

 

शब्दार्थ- 

किसी अत्यंत वृद्धा कोजिसकी कमर झुक गई हैदेखकर कोई युवक व्यंगबाण छोड़ते हुए पूछता है - "हे नव! तरुणी ! नीचे क्या देखती हैखोजती है तेरा पृथ्वी पर क्या गिर पड़ा हैतुम्हारा क्या खो गया है?" इस व्यंगबाण को सुनकर वृद्धा बोली - "अरे ओ मूर्ख ! तू नहीं जानता कि मेरा यौवनरूपी मोती खो गया है ( मैं उसी को ढूंढ रही हूँ) ।

 

भावार्थ - किसी मनचले युवक ने किसी वृद्धा से पूछा - "हे बाले ! तू क्या खोजती फिर रही हैपृथ्वी पर तेरी कौन-सी वस्तु खो गई है?" वृद्धा ने कहा- "अरे मूर्ख ! तुझे पता नहीं है कि मेरा यौवनरूपी मोती खो गया हैमैं उसी को खोजती फिर रही हूँ ।"

 

विमर्श - वृद्धों का आदर-सम्मान करना चाहिए। उन पर व्यंग नहीं कसने चाहिएँ। एक दिन व्यंगवाण चलाने वालों की भी वही अवस्था हो सकती है