कलौ दशसहस्त्रेषु हरिस्त्यजति का अर्थ
कलौ दशसहस्त्रेषु हरिस्त्यजति का अर्थ
कलौ दशसहस्त्रेषु हरिस्त्यजति मेदिनीम् ।
तदर्ध जाह्नवीतोयं तदर्ध ग्रामदेवता ॥
शब्दार्थ -
कलियुग में दस हजार वर्ष व्यतीत होने पर विष्णु सर्वव्यापक परमात्मा पृथ्वी को त्याग देते हैं, उसके आधे अर्थात् पांच सहस्र वर्ष व्यतीत होने पर गंगा का जल पृथ्वी को छोड़ देता है और उसके आधै अर्थात् ढाई सहस्र वर्ष व्यतीत होने पर ग्रामदेवता गांव को त्याग देते हैं ।
भावार्थ -
कलियुग में दस सहस्र वर्ष व्यतीत होने पर विष्णु पृथ्वी को त्याग देते हैं, पांच हजार वर्ष व्यतीत होने पर गंगाजल पृथ्वी को और ढाई हजार वर्ष बीतने पर ग्रामदेवता ग्राम या पृथ्वी को त्याग देते हैं।
विमर्श -
आचार्य चाणक्य के उक्त के बारे में भ्रम है, क्योंकि काल गणना के अनुसार कलियुग के दस सहस्र वर्ष से भी अधिक बीतने पर भी गंगा ने पृथ्वी का त्याग नहीं किया ।