कलौ दशसहस्त्रेषु हरिस्त्यजति का अर्थ | Chankya Niti With Hindi Explanation - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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मंगलवार, 13 सितंबर 2022

कलौ दशसहस्त्रेषु हरिस्त्यजति का अर्थ | Chankya Niti With Hindi Explanation

 कलौ दशसहस्त्रेषु हरिस्त्यजति का अर्थ

कलौ दशसहस्त्रेषु हरिस्त्यजति का अर्थ | Chankya Niti With Hindi Explanation


 कलौ दशसहस्त्रेषु हरिस्त्यजति का अर्थ


 कलौ दशसहस्त्रेषु हरिस्त्यजति मेदिनीम् । 
तदर्ध जाह्नवीतोयं तदर्ध ग्रामदेवता ॥

 

शब्दार्थ - 

कलियुग में दस हजार वर्ष व्यतीत होने पर विष्णु  सर्वव्यापक परमात्मा पृथ्वी को त्याग देते हैंउसके आधे अर्थात् पांच सहस्र वर्ष व्यतीत होने पर गंगा का जल पृथ्वी को छोड़ देता है और उसके आधै अर्थात् ढाई सहस्र वर्ष व्यतीत होने पर ग्रामदेवता गांव को त्याग देते हैं ।

 

भावार्थ - 

कलियुग में दस सहस्र वर्ष व्यतीत होने पर विष्णु पृथ्वी को त्याग देते हैंपांच हजार वर्ष व्यतीत होने पर गंगाजल पृथ्वी को और ढाई हजार वर्ष बीतने पर ग्रामदेवता ग्राम या पृथ्वी को त्याग देते हैं।

 

विमर्श - 

आचार्य चाणक्य के उक्त के बारे में भ्रम हैक्योंकि काल  गणना के अनुसार कलियुग के दस सहस्र वर्ष से भी अधिक बीतने पर भी गंगा ने पृथ्वी का त्याग नहीं किया ।