फाॅकलैंड द्वीप समूह के बारे में जानकारी |फाॅकलैंड द्वीप समूह का इतिहास| Falkland Islands History (Islas Malvinas) - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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बुधवार, 14 सितंबर 2022

फाॅकलैंड द्वीप समूह के बारे में जानकारी |फाॅकलैंड द्वीप समूह का इतिहास| Falkland Islands History (Islas Malvinas)

 फाॅकलैंड द्वीप समूह के बारे में जानकारी

फाॅकलैंड द्वीप समूह के बारे में जानकारी |फाॅकलैंड द्वीप समूह का इतिहास| Falkland Islands History (Islas Malvinas)



फाॅकलैंड द्वीप समूह के बारे में जानकारी

फाॅकलैंड द्वीप समूहजिसे माल्विनास द्वीप या स्पेनिश इस्लास माल्विनास भी कहा जाता हैदक्षिण अटलांटिक महासागर में यूनाइटेड किंगडम का आंतरिक स्वशासी समुद्रपारीय क्षेत्र है।

यह दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी सिरे से लगभग 300 मील उत्तर पूर्व में और मैगलन जलडमरूमध्य के पूर्व में स्थित है।

पूर्वी फाॅकलैंड में राजधानी और प्रमुख शहर स्टेनली स्थित हैयहाँ कई बिखरी हुई छोटी बस्तियाँ और साथ ही एक रॉयल एयरफोर्स बेस भी है जो माउंट प्लेजेंट में स्थित है।

फाॅकलैंड द्वीप दो मुख्य द्वीप ईस्ट फाॅकलैंड और वेस्ट फाॅकलैंड एवं लगभग 200 छोटे द्वीपों का हिस्सा है

फाॅकलैंड द्वीप समूह की सरकार दक्षिण जॉर्जिया और दक्षिण सैंडविच द्वीप समूह के ब्रिटिश समुद्रपारीय क्षेत्र का भी संचालन करती हैजिसमें शैग और क्लर्क चट्टानें शामिल हैं।

 

फाॅकलैंड द्वीप समूह का इतिहास:

फाॅकलैंड को पहली बार अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1765 में बसाया गया थालेकिन उन्हें वर्ष 1770 में स्पेन द्वारा खदेड़ दिया गया थाजिन्होंने 1767 के आसपास फ्राँसीसी बस्ती को खरीद लिया था।

युद्ध की धमकी के बाद वर्ष 1771 में वेस्ट फाॅकलैंड पर ब्रिटिश चौकी को बहाल कर दिया गया थालेकिन फिर फाॅकलैंड पर अपना दावा किये बिना आर्थिक कारणों से ब्रिटिश वर्ष 1774 में द्वीप से विस्थापित हो गए।

स्पेन ने वर्ष 1811 तक पूर्वी फाॅकलैंड (जिसे सोलेदाद द्वीप भी कहा जाता है) को लेकर एक समझौता किया।

वर्ष 1820 में अर्जेंटीना सरकारजिसने वर्ष 1816 में स्पेन से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की थीने फाॅकलैंड पर अपनी संप्रभुता की घोषणा की।

वर्ष 1831 में अमेरिकी युद्धपोत ने पूर्वी फाॅकलैंड पर अर्जेंटीना की बस्ती को नष्ट कर दियाजो इस क्षेत्र में सील का शिकार करते थे।

वर्ष 1833 की शुरुआत में एक ब्रिटिश सेना ने हिंसा के बिना अर्जेंटीना के अधिकारियों को द्वीप से निष्कासित कर दिया। वर्ष 1841 में फाॅकलैंड में एक ब्रिटिश नागरिक को लेफ्टिनेंट गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया और वर्ष 1885 तक इन द्वीपों पर लगभग 1,800 लोगों का एक ब्रिटिश समुदाय बस गया।

अर्जेंटीना ने द्वीपों पर ब्रिटेन के कब्ज़े का लगातार विरोध किया।

द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के बाद फाॅकलैंड द्वीपों पर संप्रभुता का मुद्दा तब संयुक्त राष्ट्र (UN) में स्थानांतरित हो गयाजब वर्ष 1964 में द्वीपों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र समिति द्वारा उपनिवेशवाद पर बहस शुरू की गई थी।

वर्ष 1965 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विवाद का शांतिपूर्ण समाधान खोजने हेतु ब्रिटेन और अर्जेंटीना को विचार-विमर्श के लिये आमंत्रित करने वाले एक प्रस्ताव को मंज़ूरी दी।

इस मुद्दे पर फरवरी 1982 में चर्चा चल ही रही थी की अप्रैल में अर्जेंटीना की सैन्य सरकार ने फाॅकलैंड पर आक्रमण कर दिया।

इस कार्रवाई के कारण फाॅकलैंड द्वीप में युद्ध शुरू हो गया जो 10 सप्ताह बाद स्टेनली में अर्जेंटीना की सेना के आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हुआ।

हालांँकि ब्रिटेन और अर्जेंटीना ने वर्ष 1990 में पूर्ण राजनयिक संबंधों को फिर से स्थापित कियालेकिन दोनों देशों के मध्य संप्रभुता का मुद्दा विवाद का विषय बना रहा।

21वीं सदी की शुरुआत में ब्रिटेन ने द्वीप पर करीब 2,000 सैनिकों की तैनती को जारी रखा।

जनवरी 2009 में नया संविधान लागू हुआ जिसने फाॅकलैंड की स्थानीय लोकतांत्रिक सरकार को मज़बूत किया और द्वीपवासियों के लिये क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति को निर्धारित करने का उनका अधिकार सुरक्षित रखा। मार्च 2013 में आयोजित जनमत संग्रह में द्वीपवासियों ने ब्रिटिश विदेशी क्षेत्र बने रहने हेतु लगभग सर्वसम्मति से मतदान किया।


द्वीप पर विभिन्न दावों के आधार:

वर्ष 1493 के एक आधिकारिक दस्तावेज़ के आधार पर अर्जेंटीना ने फाॅकलैंड पर अपना दावा प्रस्तुत किया जिसे टॉर्डेसिलस की संधि (1494) द्वारा संशोधित किया गया। इस संधि के तहत स्पेन और पुर्तगाल ने द्वीपों की दक्षिण अमेरिका से निकटतास्पेन का उत्तराधिकारऔपनिवेशिक स्थिति को समाप्त करने की आवश्यकता के आधार पर नई दुनिया को आपस में बांँट लिया।

वर्ष 1833 से ब्रिटेन ने फाॅकलैंड द्वीप पर अपने "स्वतंत्रनिरंतरप्रभावी कब्ज़ेंव्यवसाय और प्रशासन" के आधार पर दावा प्रस्तुत किया जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर में मान्यता प्राप्त आत्मनिर्णय के सिद्धांत को फाॅकलैंड के निवासियों पर लागू करने के अपने दृढ़ संकल्प पर आधारित था।

ब्रिटेन ने ज़ोर देकर कहा कि औपनिवेशिक स्थिति को समाप्त करने से अर्जेंटीना के शासन और उसकी इच्छा के विरुद्ध फाॅकलैंड के नागरिकों पर नियंत्रण की स्थिति उत्पन्न होगी।