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सोमवार, 14 अगस्त 2023

गणतन्त्र दिवस के लिए भाषण | Speech on Independence

 गणतन्त्र दिवस के लिए भाषण 

गणतन्त्र दिवस के लिए भाषण | Speech on Independence



गीत आंसू पोंछ कर सृजन के गा रहा हूँ 

मां भारती के दर्द को मैं आप तक पहुंचा रहा हूं 

सार मेरी साधना का शेष रहना चाहिए 

मैं भले मिट जाऊं मेरा देश रहना चाहिए

 

सबसे पहले हमारे वीर शहीदों को शत-शत नमन करता हूं

 

सम्मानित मंच पर विराजमान मुख्य अतिथि महोदय श्री....., कार्यक्रम अध्यक्ष श्री स्कूल प्रशासन, आदरणीय बुजुर्ग, मातृशक्ति, यूवा साथी, प्यारे विद्यार्थियों और सभी ग्राम वासियों का अभिवादन करता हूं।

 

आज पूरे भारतवर्ष में स्वाधीनता दिवस मनाया जा रहा है। आज ये कल्पना करना कितना कठिन है कि हमारे देशभक्तों को किन-किन कुर्बानियों से गुजरना पड़ा। 200 वर्ष की गुलामी थी, लंबा संघर्ष था । लक्ष्य को पाना आसान नहीं था। मगर अपने देशभक्तों के बल पर हमने आजादी पाई और आज हम स्वाधीनता का पर्व मना रहे हैं। 

यह दिन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का पर्व है। 

एक शिक्षक रहते हुए बहुत कुछ सीखने को मिलता है । समाज, देश को लेकर एक, दो बातें मैंने एहसास की है, जो मैं आपके साथ सांझा करूंगा। आज पूरा भारत स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर है। देश के विकास की बातें हो रही हैं। मुझे लगता है जब देश के विकास की बात आती है तो वहां सबसे पहले जरूरी है कि मनुष्य खुद विकसित हो । जो खुद का सुधार नहीं कर सकता वह समाज का या देश का क्या सुधार करेगा।

 

स्वयं को स्वयं के अंदर बोध करो

अपने कर्मों पर स्वयं ही शोध करो

 

किसी भी देश का वहां रहने वाले लोगों के बिना प्रत्यक्ष रूप से विकास नहीं हो सकता। अगर देश में रहने वाले लोगों का विकास हो रहा है, सार्वजनिक संपत्ति के प्रति हर देशवासी सजग है। देश की कानून व्यवस्था और मानवीय मूल्यों में सबका विश्वास हो तो यही एक विकसित देश के निशानी है।

 

एक व्यक्ति अगर नशा करता है, अपने बच्चों को शिक्षित नहीं कर पा रहा या एक विद्यार्थी जिसके लिए अनुशासन में रहना या लगन से पढ़ाई करना भी कठिन है। वो राष्ट्रहित में क्या योगदान देगा जो खुद को बदल पाने में असमर्थ है। वो उन्नति की बजाय देश का पतन कर रहे हैं।

 

हम हमेशा एक बात ध्यान में रखें कि हम ही भारत हैं। जैसे हम हैं वैसा ही हमारा देश होगा। आपने देखा होगा कुछ लोग ऐसा बोलते हैं कि 100 में से 99 बेईमान फिर भी मेरा भारत महान । कहीं ना कहीं यह बात हम खुद को ही बोलते हैं।

 

हम देशवासियों का जैसा चरित्र, चाल चलन, शिक्षा, आत्मिक विकास, अध्यात्मिक विकास होगा। उसी से हमारे राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण होगा। 

अगर स्टडी की बात करें तो सुंदर पिचाई से श्रेष्ठ उदाहरण और नहीं है । जिन्होंने मध्य वर्गीय परिवार में जन्म लिया।आईआईटी पास आउट होकर सुंदर पिचाई गूगल के सीईओ पद पर है।

 

जब देश के कुशल खिलाड़ियों और सफल युवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में देखते हैं तो हमें गर्व होता है कि हमारा देश उन्नति कर रहा है।

 

आज राष्ट्र निर्माण में अगर इन युवाओं का नाम में आता है तो इसके पीछे का कारण यही है की इनकी अपने कार्य में कड़ी मेहनत, निष्ठा और लगन । जो दृढ़ निश्चय के साथ कोई भी कर सकता है। 

 

इस कार्यक्रम में उपस्थित प्यारे विद्यार्थियों से कहना चाहूंगा की आज लगभग हर घर में स्मार्टफोन हैं। मुझे नहीं पता आप उसका सदुपयोग करते हैं या नहीं। आज से आप स्मार्टफोन में छोटी छोटी उम्र के प्रतिभाशाली बच्चों और सफल युवाओं की कहानियां पढ़ें, आपको जरूर प्रेरणा मिलेगी। सफलताओं के लिए विद्यार्थी जीवन से ही खुद को अनुशासित करना होता है। बेशक घर में निर्धनता और विपरीत परिस्थितियां हैं। मगर मेहनत, लगन, अनुशासन और श्रद्धा हर कोई पाल सकता है।

 

इसलिए प्यारे विदर्थियों से कहूंगा कि आप लगन से अपनी शिक्षा हासिल करें। जिन बच्चों की रचनात्मक कार्यों या खेलों में रुचि हैं वो अपनी रुचि को एक लक्ष्य बनाएं। शिक्षा, रचनात्मकता और खेल तीनों एक दूसरे के पूरक हैं। आज आपके पास अवसर है। आप इस विद्या मंदिर और शिक्षकों से ज्यादा से ज्यादा ज्ञान हासिल करें।

 

ग़मों की शाम ढलती रहे खुशियों की बगिया खिलती रहे आओ हम मिलकर करें कुछ ऐसा शिक्षा की ज्योति हरदम जलती रहें

 

... शिक्षा के बाद संस्कारों और हमारी अच्छी आदतों की बात आती है। हम अपनी मर्यादा और संस्कृति, धर्म को मन में हमेशा धारण रखें। किसी भी प्रांत देश के लिए उसकी सांस्कृतिक विरासत अहम होती है। आज इस कार्यक्रम में आदरणीय ग्रामवासी, ग्राम पंचायत और एसएमसी सदस्य भी आए हुए हैं। आप सभी से यही कहूंगा कि आपके सहयोग से ही यह संस्था चलती है। यह विद्या मंदिर हम सबका है। हम सभी मिलकर इसकी स्वच्छता, अनुशासन की जिम्मेदारी निभाएं।

 

एक छोटी सी बात है की अगर एक विद्यार्थी के घर में अपशब्दों का प्रयोग होता है तो वह भी स्कूल में ऐसे शब्दों का प्रयोग करेगा। जिससे 'विद्यालय का अनुशासन भंग होता है। इसलिए हम सभी खुद में सुधार करने का संकल्प लें।

इन्हीं शब्दों के साथ माननीय मुख्य अतिथि महोदय और आदरणीय ग्राम वासियों का हार्दिक आभार प्रकट करता हूं जो आपने इस कार्यक्रम को आयोजित करने में हमारा सहयोग किया। आप ऐसे ही समय-समय पर विद्यालय में आते रहे और हमारा मार्गदर्शन करते रहें। 


कामयाबी के शिखरों को छू लोगे

अपने काम में मिटकर तो देखो

आपके चरणों में दीप जलाएगी दुनियां

अपने संकल्प की कहानी लिखकर तो देखो

इन्हीं शब्दों के साथ एक बार पुनः आप सभी को स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

 

जय हिंद जय भारत