महात्मा गाँधी का जीवन परिचय | Gandhi Jayanti Essay 2023 in Hindi - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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रविवार, 1 अक्तूबर 2023

महात्मा गाँधी का जीवन परिचय | Gandhi Jayanti Essay 2023 in Hindi

 महात्मा गाँधी  का जीवन परिचय

महात्मा गाँधी  का जीवन परिचय | Gandhi Jayanti Essay 2023 in Hindi

 


राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी  का जीवन परिचय 

  • मोहनदास करमचन्द गाँधी या महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात प्रांत के पोरबन्दर में हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। गाँधीजी के पिता पोरबन्दर रियासत के दीवान थे। गाँधीजी की माता पुतलीबाई बहुत धार्मिक महिला थीं। गाँधीजी के जीवन तथा प्रारम्भिक चरित्र पर परिवार के वातावरण तथा माता का बड़ा प्रभाव पड़ा। 
  • गाँधीजी ने 12 वर्ष की आयु में राजकोट के एल्फर्ड हाईस्कूल में प्रवेश किया। इस वर्ष इनका विवाह कस्तूरबा बाई से हो गया। 1887 में इन्होंने हाई स्कूल पास किया गाँधीजी ने कहा है कि इसी समय उनके जीवन पर "श्रवण पितृ भक्ति" तथा हरिश्चन्द्र नाटक का बड़ा प्रभाव पड़ा और उन्होंने यह निश्चय किया कि उन्हें भी अपने को श्रवण कुमार और हरिश्चन्द्र जैसा बनाना है। 
  • हाई स्कूल के बाद उच्च अध्ययन के लिए गाँधीजी को इंग्लैण्ड भेजने का निश्चय किया। फलत: 4 सितम्बर, 1888 को वे जहाज द्वारा लन्दन को गये। इंग्लैण्ड में 11 जून, 1891 को उन्हें वकालत की परीक्षा में उत्तीर्ण घोषित किया गया और दूसरे ही दिन उन्हें हाईकोर्ट के लिए पंजीकृत कर लिया गया। 
  • अप्रैल 1893 में एक भारतीय मुस्लिम व्यापारी के अनुरोध पर दादा अब्दुल्ला एण्ड कम्पनी के निमंत्रण पर गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका गएवहाँ उन्हें रस्किन और टालस्टाय को पढ़ने का अवसर मिला । अहिंसा व शांतिपूर्ण असहयोग के सम्बन्ध में उनकी मान्यताओं को इन ग्रन्थों से बहुत अधिक बल मिला। 
  • मई 1893 में महात्मा गाँधी डरबन पहुँचे। वहाँ एक रेल यात्रा के दौरान उन्हें रंगभेद का सामना करना पड़ा और इस रंगभेद की नीति को उन्होंने बाद में कई स्थानों पर एक भयावह रूप में देखा। धीरे धीरे महात्मा गाँधी ने दक्षिण अफ्रीकी सरकार की रंगभेद नीतियों के विरुद्ध बढ़ती जन चेतना को संगठित रूप प्रदान किया। 
  • दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटकर 1915 में गाँधीजी ने अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की। भारत आने के पश्चात् गाँधीजी ने अपने राजनैतिक गुरु गोपालकृष्ण गोखले की सलाह पर एक वर्ष तक भारत का दौरा किया जिससे कि वह भारत के आम आदमियों की सभी समस्याओं को जान सके और भारतीय समाज के बारे में समझ सके। भारत आने से पूर्व उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में सत्ता के विरोध का एक नया और सफल हथियार 'सत्याग्रह" खोज लिया था। उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में इसका सफलतापूर्वक प्रयोग किया। 


कांग्रेस में व्यापक सत्याग्रह आंदोलन करने से पूर्व गाँधीजी ने लघु स्तर पर तीन प्रमुख आंदोलन किएजो स्थानीय समस्याओं को लेकर थे- 

 

1. चम्पारण (बिहार) में 1917 में गाँधीजी ने नील बागानों के खेतिहर मजदूरों के शोषण के विरुद्ध सत्याग्रह किया। 

2. 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले में अंग्रेजी सरकार की लगान नीति के विरुद्ध सत्याग्रह किया था।

3. वर्ष 1918 में अहमदाबाद मिल मजदूरों के अधिकार व हितों के लिए सत्याग्रह किया।  

 

इसके पश्चात् 1919 मेंगाँधीजी ने दमनकारी रौलेट एक्ट का विरोध किया। वर्ष 1919 में ही खिलाफत आन्दोलन, 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1930 में नमक संत्याग्रह हेतु दांडी मार्च, 1931 में उन्होंने गाँधी- इर्विन पैक्ट तथा 1932 में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (लंदन) में भाग लिया। 1932 में ही असंहयोग आंदोलन, 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन आदि का नेतृत्व किया।

 

अंतत: गांधीजी के प्रयासों से 1947 में भारत को आजादी मिली। 15 अगस्त 1947 को भारत आजादी के जश्न महात्मा गाँधी आजादी का जश्न न मनाकर बंगाल में नोआखली साम्प्रदायिक दंगे रोकने में लगे हुए थे। 30 जनवरी 1948 को बिड़ला भवन में प्रार्थना सभा के दौरान एक उन्मादी युवक नाथूराम विनायक गोडसे ने उनकी हत्या कर दी।