ओरछा के दर्शनीय स्थल और मंदिर | Orcha Toursim Spots Details in Hindi - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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रविवार, 15 अक्तूबर 2023

ओरछा के दर्शनीय स्थल और मंदिर | Orcha Toursim Spots Details in Hindi

 ओरछा के दर्शनीय स्थल और मंदिर 

ओरछा के दर्शनीय स्थल और मंदिर | Orcha Toursim Spots Details in Hindi



ओरछा के दर्शनीय स्थल और मंदिर 

1. राजा महल :- 

  • ओरछा में प्रवेश करते ही नगर परकोटे की चौड़ी-चौड़ी दीवालों के पत्थर ओरछा के गौरव की कथा कहते हुए से दिखते हैं। इन पत्थरों की विशालता देखते हीमध्यकालीन श्रमवीरों की हिम्मत को दाद देना पड़ती है। राजा महल तीन मंजिला हैऔर ओरछा की सबसे प्राचीन इमारत है। इसकी नींव रुद्रप्रताप ने रखी थीबाद में इसे भारतीचन्द और मधुकरशाह ने पूरा किया था। यहाँ की प्रमुख विशेषताओं में चूने का मजबूत स्थापत्यखुले आँगनसघन चित्रकारीमुस्लिम प्रभाव की दाड़ीचौगान खेलने के चित्रबारादरियाँ और बालकनियाँ आदि हैं। इमारत में कोड़िया घुटे हुए चूने का प्लास्टर है। महल की चित्रकला आकर्षक और दर्शकों का मन मोहने वाली है।

 

2. जहाँगीर महल :- 

  • ओरछा का जहाँगीरी महल पाँच मंजिला हैऔर यह वहाँ के बुन्देली स्थापत्य की सर्वोत्तम कृति है। इसमें 236 कमरे हैं। माना जाता हैकि इस महल का चबूतरा मधुकरशाह ने उसके बाद का कुछ भाग रामशाह ने और सम्पूर्ण व शेष भाग वीरसिंहदेव बुन्देला ने बनवाया था। वैसे इस महल को वीरसिंहदेव बुन्देला का बनवाया हुआ ही कहा जाता है। वीरसिंहदेव ने अपने संरक्षक बादशाह जहाँगीर के नाम पर इसका नामकरण किया और इस महल को अपनी रूचि के अनुसार पूर्णता की ओर पहुँचाया था। इस महल की विशेषताओं में पानी के लिए भूमिगत मिट्टी की नालियाँप्रत्येक मंजिल में खुले आँगनछज्जेदार बालकनियाँपत्थर की बारीक जालियाँगणेश की मूर्तिहाथी की कारीगरीपशु-पक्षियों का अंकनमहल के कक्षों के भित्ति चित्र आदि हैं। महल से बेतवा नदी का भव्य दृश्य दिखाई पड़ता है। यह हिन्दू-मुस्लिम शैली की इमारत है। इमारत निर्माण का भाव हिन्दू राजपूती है और कारीगर का मन मुस्लिम है। इस प्रकार यह इमारत काल की कसौटी से मुगल शैली की मानी जाती है।

 

3. शीश महल :- 

  • जहाँगीरी महल और राजा महल के बीच में हरे-नीले टाइल्सों से सजा शीश महल है। इसे ओरछा के शासक उद्वोतसिंह ने 1706 ई. के लगभग बनवाया था। इसमें भारतीय हिन्दू शैली के आठ खम्बे बने हुए हैं। वर्तमान में इसे होटल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है।

 

4. प्रवीणराय का महल :- 

  • जहाँगीरी महल के उत्तर में दो मंजिला रायप्रवीण का महल है। इस महल में तलघर हैइससे जुड़ा हुआ बड़ा बागीचा हैतलघर को ठंडा रखने की भी व्यवस्था थी। प्रवीणराय का एक आकर्षक चित्र भी यहाँ बना हुआ है। प्रवीणराय ओरछा राज्य की प्रसिद्ध नर्तकीकवियित्री व कलाकार थी। माना जाता हैकि मधुकरशाह बुन्देला के पुत्र इन्द्रजीत बुन्देला की वह प्रेमिका थी। महाकवि केशव के साहित्य में प्रवीणराय का उल्लेख आया हैकेशव ने लिखा है-

 ओरछा में कौन कौन से मंदिर हैं ?

आज ओरछा की प्रसिद्धि और पर्यटकों की पसंदीदा जगह होने का कारण ओरछा के धार्मिक मंदिर हैं। इन मंदिरों के कारण ओरछा को वर्तमान में विशिष्ट तीर्थ स्थान का दर्जा प्राप्त है।

 

1. रामराजा मंदिर :- 

  • यह मंदिर धार्मिक आस्था का बहुत बड़ा केन्द्र हैजिसे निवास के लिए महल के रूप में भारतीचन्द ने बनवाया था। भारतीचन्द के अनुज ओरछा के शासक मधुकरशाह की प्रसिद्ध रानी गणेशकुँअरि ने इस महल में अयोध्या से लाकर भगवान रामराजा की मूर्ति स्थापित कर दी थी। तब से यह महल रामराजा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया है। इसका प्रवेश द्वार महराबदार हैखुला और बड़ा आँगन हैदालानें बनी हैंमंदिर की छत पालकीनुमा है। रामराजा मंदिर परिसर में जुझारसिंह का महलसावन-भादों और हरदौल की समाधि भी है। वर्तमान में इस समाधि का मूलरूप मिट गया है और इसने अब आस्था का रूप लेकर व्यवसायिक स्वरूप ग्रहण कर लिया है ।

 

2. चतुर्भुज मंदिर :- 

  • स्थापत्य की दृष्टि से ऊँची कुर्सी देकर बनाये गये इस मंदिर की बनावट श्रेष्ठतम है। वीरसिंह द्वारा निर्मित इस कृति की प्रमुख विशेषताऐं हैंलाल-बलुआ पत्थर का शतदल कमल युक्त प्रवेश द्वारडांटदार गुम्बदों से युक्त सोलह भागों में विभाजित हॉल और उसके दृश्य को झिंझरियों से देखने की व्यवस्था मंदिर के ऊपर शिखर हैंजो कभी स्वर्ण कलश युक्त थे। मंदिर के समीप ही भक्त कवि हरिराम व्यास और वीरसिंहदेव के मंत्री कृपाराम गौड़ का निवास स्थान था । युगलकिशोर का मंदिर भी यही पास में है ।

 

3. लक्ष्मी मंदिर :- 

  • वीरसिंहदेव द्वारा बनवायायह मंदिर पहाड़ी पर नगर से एक किलोमीटर पश्चिम की ओर है। इसमें 17वीं व 19वीं सदी की चित्रकारी प्रदर्शित हैजो इतिहास काल की कलात्मक आत्मा को प्रदर्शित करती है। यह मंदिर त्रिभुजाकार दिखाई देता हैपर है वर्गाकारइसकी आकृति दुर्ग जैसी है। दो मंजिला मंदिर का शिखर तीन मंजिला होने के कारण दूर से दिखाई देता है  
  • ओरछा में लगभग 32 संरक्षित भवन मंदिर - स्मारक आदि हैं। बुन्देली स्थापत्य कला का उद्गम, -- विकास का क्रमविशेषताऐं और श्रमजीवियों की आंतरिक की पीड़ाओं का यहाँ बैठकर अध्ययनमनन और चिन्तन किया जा सकता है।