वृक्क (किडनी) की क्रिया का नियंत्रण किन किन बातों पर निर्भर करता है | Regulation of Kidney in Hindi - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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मंगलवार, 6 फ़रवरी 2024

वृक्क (किडनी) की क्रिया का नियंत्रण किन किन बातों पर निर्भर करता है | Regulation of Kidney in Hindi

वृक्क (किडनी) की क्रिया का नियंत्रण किन किन बातों पर निर्भर करता है 

वृक्क (किडनी) की क्रिया का नियंत्रण किन किन बातों पर निर्भर करता है | Regulation of Kidney in Hindi


 


वृक्क (किडनी) की क्रिया का नियंत्रण किन किन बातों पर निर्भर करता है 

वृक्कों की क्रियाविधि का नियंत्रण और नियमन हाइपोथैलेमस के हार्मोन की पुनर्भरण क्रियाविधि, (सान्निध्य गुच्छ उपकरण), (जेजीए) और कुछ सीमा तक हृदय द्वारा होता है। 
शरीर में उपस्थित परासरण ग्राहियाँ रक्त आयतन / शरीर तरल आयतन और आयनी सांद्रण में बदलाव द्वारा सक्रिय होती हैं। 
शरीर से मूत्र द्वारा जल का अत्यधिक हास (मूत्रलता/डाइयूरेसिस) इन ग्राहियों को सक्रिय करता हैजिससे हाइपोथैलेमस प्रतिमूत्रल हार्मोन (एंटीडाइयूरेटिक हार्मोन) (एडीएच) और न्यूरोहाइपोफाइसिस को वैसोप्रेसिन के स्त्राव हेतु प्रेरित करता है। 
एडीएच नलिका के अंतिम भाग DCT में जल के पुनरावशोषण को सुगम बनाता है और मूत्रलता को रोकता है। शरीर तरल के आयतन में वृद्धि परासण ग्रहियों को निष्क्रिय कर देती है और पुनर्भरण को पूरा करने के लिए एडीएच के स्रवण का निरोध करती है। एडीएच वृक्क के कार्यों को रक्त वाहिनियों पर सकुचनी प्रभावों द्वारा भी प्रभावित करता है। इससे रक्त दाब बढ़ जाता है। रक्तदाब बढ़ जाने से गुच्छ प्रवाह बढ़ जाता है और इससे जीएफआर बढ़ जाता है। 


जेजीए क्या होता है What is JJA in Biology

जेजीए की जटिल नियमनकारी भूमिका है। गुच्छीय रक्त प्रवाह/गुच्छीय रक्त दाब/जीएफआर में गिरावट से जेजी कोशिकाएं सक्रिय होकर रेनिन को मुक्त करती है। 
रेनिन रक्त में उपस्थित ऐंजिओटेंसिनोजन को एंजियोटेंसिन-1 और बाद में एंजियोटेंसिन-द्वितीय में बदल देती है। एंजियोटेसिन द्वितीय एक प्रभावकारी वाहिका संकीर्णक (वेसोकेंसट्रिक्टर) है जो गुच्छीय रुधिर दाब तथा जीएफआर को बढ़ा देता है। एंजोयोटेसिन द्वितीय अधिवृक्क वल्कुट को एल्डोस्टीरोन हार्मोन स्रवण के लिए प्रेरित करता है। 
एल्डोस्टीरोन के कारण नलिका के दूरस्थ भाग में Na+ तथा जल का पुनरावशोषण होता है। इससे भी रक्त दाब तथा जीएफआर में वृद्धि होती है। यह जटिल क्रियाविधि रेनिन एंजियोटेंसिन क्रियाविधि कहलाती है। 

अलिंदीय नेट्रियेरेटिक कारक (एएनएफ)

हृदय के अलिंदों में अधिक रुधिर के बहाव से अलिंदीय नेट्रियेरेटिक कारक (एएनएफ) स्त्रवित होता है। एएनएफ से वाहिकाविस्फारण (रक्त वाहिकाओं का विस्फारण) होता है जिससे रक्त दाब कम हो जाता है। इस प्रकार से एएनएफ क्रियाविधि रेनिन-एंजियोटेसिन क्रियाविधि पर नियंत्रक का काम करता है।