मानव भूगोल : प्रकृति एवं
विषय-क्षेत्र [Human
Geography : Nature and Scope]
मानव भूगोल महत्वपूर्ण तथ्य
- भूगोल एक समाकलनात्मक, आनुभविक तथा व्यावहारिक विषय है।
- मानव भूगोल भौतिक/प्राकृतिक एवं मानवीय जगत के बीच सम्बन्धों का अध्ययन है।
- मानवीय परिघटनाओं का स्थानिक वितरण तथा उनके घटित होने के कारण एवं विश्व के विभिन्न भागों में सामाजिक और आर्थिक विभिन्नताओं का अध्ययन भी मानव भूगोल में किया जाता है।
- प्रकृति और मानव अविभाज्य तत्व हैं और उन्हें समग्रता में देखा जाना चाहिए।
- जर्मन भूगोलवेत्ताओं ने राज्य/देश का वर्णन 'जीवित जीव' के रूप में किया है।
- मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण तथा मानव-जनित सामाजिक सांस्कृतिक पर्यावरण के अंतर्सम्बन्धों का अध्ययन उनकी परस्पर अन्योन्यक्रिया के द्वारा करता है।
- मानव अपने प्रौद्योगिकी की सहायता से अपने भौतिक पर्यावरण से अन्योन्यक्रिया करता है।
- प्रकृति का ज्ञान प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है और प्रौद्योगिकी मनुष्य पर पर्यावरण की बंदिशों को कम करती है।
- पर्यावरणीय निश्चयवाद के अनुसार, प्राकृतिक वातावरण सर्वशक्तिशाली है तथा उसका प्रभाव प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मानव के क्रियाकलापों पर पड़ता है।
- पर्यावरण निश्चयवाद को मानने वाले लोगों के अनुसार प्रकृति एवं शक्तिशाली बल, पूज्य, सत्कार योग्य तथा संरक्षित है।
- समय के साथ लोग अपने पर्यावरण और प्राकृतिक बलों को समझने लगे। पर्यावरण से प्राप्त संसाधनों के द्वारा वे सम्भावनाओं को जन्म देने लगे जिसे विद्वानों ने सम्भववाद का नाम दिया।
- सम्भववाद की विचारधारा के समर्थक वातावरण के नियन्त्रण को स्वीकार नहीं करते, वे मानवता की दक्षता तथा क्षमता को स्वीकार करते हैं।
- ग्रिफिथ टेलर (भूगोलवेत्ता) ने एक नई विचारधारा नवनिश्चयवाद अथवा 'रुको और जाओ' निश्चयवाद का प्रतिपादन किया।
- नव-निश्चयवादी विचारधारा के अनुसार मनुष्य न तो प्रकृति का दास है और न ही उसका स्वामी और न ही मानव के कार्य करने की क्षमता असीमित है।
- मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण एवं मानव निर्मित सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण के अंतर्सम्बन्धों का अध्ययन उनकी परस्पर क्रिया के द्वारा करता है।
- मानव भूगोल के विकास को निम्न अवस्थाओं में बाँटा जा सकता है- (i) आरम्भिक उपनिवेश युग, (ii) उत्तर उपनिवेश युग, (iii) अंतर युद्ध अवधि के मध्य 1930 का दशक, (iv) 1950 के दशक के अंत से 1960 के दशक के अंत तक, (v) 1970 का दशक, (vi) 1990 का दशक।
- मानव भूगोल के प्रमुख क्षेत्र हैं- सामाजिक भूगोल, राजनीतिक भूगोल, जनसंख्या भूगोल, आवास भूगोल तथा आर्थिक भूगोल आदि
मानव भूगोल महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. मानव भूगोल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-मानव भूगोल वह
विज्ञान है जिसके अन्तर्गत प्राकृतिक (भौतिक) पर्यावरण तथा मानवीय जगत के बीच
सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। एलन सी. सेम्पल के अनुसार, "मानव भूगोल
अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन
है।"
प्रश्न 2. मानव भूगोल के कुछ उप-क्षेत्रों के नाम बताइए।
उत्तर-मानव भूगोल के उप-क्षेत्र निम्न हैं-
(i) व्यवहारवादी भूगोल, (ii) सामाजिक कल्याण का भूगोल, (iii) अवकाश का भूगोल, (iv) सांस्कृतिक भूगोल, (v) ऐतिहासिक भूगोल, (vi) सैन्य भूगोल, (vii) संसाधन भूगोल, (viii) कृषि भूगोल, (ix) उद्योग भूगोल, (x) पर्यटन भूगोल तथा
(xi) अन्तर्राष्ट्रीय
व्यापार का भूगोल आदि।
प्रश्न 3. मानव भूगोल किस प्रकार अन्य सामाजिक विज्ञानों से सम्बन्धित है ?
उत्तर-मानव भूगोल के
अन्तर्गत भूपटल के विभिन्न भागों में प्राकृतिक वातावरण के संदर्भ में मानवीय
क्रियाकलापों के अध्ययन को महत्त्व प्रदान किया जाता है। अतः मानव भूगोल का अनेक
सामाजिक विज्ञानों से गहरा सम्बन्ध है; जैसे- समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, मानव विज्ञान, इतिहास, राजनीति विज्ञान, जनांकिकी, मनोविज्ञान एवं नगरीय नियोजन आदि।
Human Geography Important Question Answer
प्रश्न 1. मानव के प्राकृतीकरण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-मानवता के प्राकृतीकरण से तात्पर्य उस अवस्था से है जब मानव अपनी सभी आवश्यकता के लिए पूर्ण रूप से प्रकृति पर निर्भर था तथा मानव ने अपने आपको प्रकृति के आदेशों के अनुरूप ढाल लिया था। प्रकृति का प्रभाव प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में मानव के क्रिया-कलापों पर पड़ता है। आदिम अवस्था में जब प्रौद्योगिकी का स्तर अत्यन्त निम्न था तब मानव प्रकृति के आदेशों के अनुसार अपने आपको ढालने के लिए बाध्य था। इस समय मानव के सामाजिक विकास की अवस्था भी आदिम थी। इस अवस्था के दौराने मानव अपने प्राकृतिक वातावरण के साथ पूर्णतः दास के रूप में कार्य करता था एवं प्राकृतिक शक्तियों को एक शक्तिशाली बल मानकर इसकी पूजा एवं सत्कार करता था। विश्व में आज भी ऐसे समाज हैं जो प्राकृतिक पर्यावरण के साथ पूर्णतः सामंजस्य बनाए हुए हैं और उसकी पूजा करते हैं। अपने पूर्ण विकास के लिए वह प्राकृतिक संसाधनों पर प्रत्यक्ष रूप से निर्भर हैं।
अतः हम यह कह सकते हैं कि
मानव की प्राकृतीकरण की अवस्था में मनुष्य प्राकृतिक पर्यावरण से बहुत प्रभावित
था। क्योंकि उस समय तकनीकी ज्ञान कम था तथा मानव समाज का विकास भी निम्न था। जर्मन
भूगोलवेत्ताओं ने आदिम मानव समाज तथा प्रकृति की प्रबल शक्तियों के मध्य इस प्रकार
के अन्तर्सम्बन्धों को पर्यावरण निश्चयवाद का नाम दिया।
प्रश्न 2. मानव भूगोल के विषय क्षेत्र पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-भूगोल की दो प्रमुख
शाखाओं में से एक मानव भूगोल है। मानव भूगोल में प्राकृतिक तथा मानवीय जगत के बीच
अंतर्सम्बंधों, मानवीय परिघटनाओं
के स्थानिक वितरण, उनके घटित होने
के कारणों तथा विश्व के विभिन्न भागों में सामाजिक और आर्थिक विभिन्नताओं का
अध्ययन करते हैं। अतः पृथ्वी पर जो भी दृश्य मानवीय क्रिया-कलापों द्वारा निर्मित
हैं, उन सभी को मानव
भूगोल के विषय क्षेत्र में सम्मिलित किया जाता है। पृथ्वी तल पर मिलने वाली मानवीय
दशाओं को समझने व उनकी व्याख्या करने के लिए मानव भूगोल से जुड़े हुए सामाजिक
विज्ञानों एवं सहयोगी विषयों का अध्ययन भी इसमें किया जाता है।
विगत कुछ वर्षों से मानव
भूगोल का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। प्राकृतिक दशाओं का अध्ययन केवल
उनको जानने के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि किसी स्थान की प्राकृतिक दशाओं के आधार पर मानव भूगोल
के तत्वों को आसानी से समझने के लिए भी किया जाता है।
मानव भूगोल के अन्तर्गत
व्यक्तिगत दृष्टिकोण को सामाजिक दृष्टिकोण का रूप दिया जा रहा है। विभिन्न प्रकार
के लोगों की संस्कृति को समझने के लिए मानव भूगोल का ही सहारा लिया जाता है। इसमें
मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं के अतिरिक्त मनुष्य की और भी क्रियाएँ, जैसे जनसंख्या और
उसका वितरण, नगर व उनका आकार
तथा प्रकार, मनुष्य की संस्कृति
आदि सम्मिलित हैं। तकनीकी विकास के साथ मनुष्य और पर्यावरण के सम्बन्धों में बदलाव
आ रहा है। इसलिए मानव भूगोल की विषय-वस्तु में भी समय के साथ-साथ व्यापक विस्तार
हो रहा है। वर्तमान में मानव भूगोल के अन्तर्गत नई समस्याओं और चुनौतियों का
अध्ययन भी किया जाने लगा है।