मानव भूगोल अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. मानव भूगोल में किसका अध्ययन किया जाता है ?
उत्तर-मानव भूगोल में मानव और उसके भौतिक वातावरण के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 2. मानव भूगोल की कोई एक मान्य परिभाषा लिखिए।
उत्तर- अमरीकन भूगोलवेत्ता एलन सी. सेम्पल के अनुसार- "मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।
प्रश्न 3. भौतिक तथा सांस्कृतिक पर्यावरण के कोई दो-दो तत्व लिखिए।
उत्तर - भौतिक पर्यावरण के तत्व- उच्चावच, जलवायु, मृदा, खनिज आदि।
सांस्कृतिक पर्यावरण के तत्व- जनसंख्या, कृषि उद्योग, परिवहन आदि।
प्रश्न 4. मानव भूगोल के अर्थ को समझाइए।
उत्तर-मानव भूगोल का अर्थ उस विज्ञान से जिसके अध्ययन का एक पक्ष मानव और दूसरा पक्ष उसके प्राकृतिक वातावरण की शक्तियों का अध्ययन तथा उनका एक-दूसरे पर प्रभाव को समझना है।
प्रश्न 5. रैटजेल के अनुसार, मानव भूगोल की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-रैटजेल के अनुसार, 'मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच सम्वन्धों का संश्लेषित अध्ययन है।"
प्रश्न 6. मानव के सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर- मानव और भौतिक वातावरण के पारस्परिक सम्बन्धों (क्रियाओं/प्रतिक्रियाओं) द्वारा ही मानव के सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण होता है।
प्रश्न 7. पर्यावरणीय निश्चयवाद क्या है ? लिखिए।
उत्तर- पर्यावरणीय निश्चयवाद का अर्थ है कि मानवीय क्रियाकलाप प्राकृतिक शक्तियों द्वारा नियंत्रित किये जाते हैं ?
प्रश्न 8. संभववाद क्या है ? लिखिए।
उत्तर- संभववाद वह विचारधारा है जिसके अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ तथा मनुष्य प्रकृति प्रदत्त अनेक सम्भावनाओं का इच्छानुसार अपने लाभ के उपयोग कर सकता है।
प्रश्न 9. संभववाद विचारधारा को सर्वप्रथम किसने दिया ?
उत्तर- संभववाद विचारधारा को सर्वप्रथम फ्रांसीसी विद्वान फैब्बरे ने दिया। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'इतिहास की भौगोलिक प्रस्तावना' में संभववाद का नाम दिया।
प्रश्न 10. नवनिश्चयवाद क्या है ?
उत्तर- नवनिश्चयवाद का अर्थ है कि अगर मानव प्राकृतिक नियमों का अनुपालन को तो मानव जाति प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सकती है।
प्रश्न 11. 1970 के दशक में मानव भूगोल में किन-किन विचारधाराओं की उत्पत्ति हुई ?
उत्तर-1970 के दशक में मानव भूगोल में मानवतावादी, अमूलवादी और व्यवहारवादी विचारधाराओं की उत्पत्ति हुई।
प्रश्न 12. मानव भूगोल में प्रादेशिक विश्लेषण विधि क्या है ?
उत्तर-जब मानव भूगोल में किसी प्रदेश को उप-विभागों या प्रदेशों में बाँटकर सभी तत्वों का अध्ययन करते हैं तो इस विवरणात्मक अध्ययन को प्रादेशिक विश्लेषण विधि कहते हैं।
प्रश्न 13. क्रमबद्ध भूगोल से आपका क्या आशय है ?
उत्तर-क्रमबद्ध भूगोल में किसी प्रदेश के एक विशिष्ट भौगोलिक तत्व का अध्ययन होता है।
प्रश्न 14. आरम्भिक उपनिवेश युग में मानव भूगोल में किस उपागम का प्रयोग किया गया।
उत्तर- आरम्भिक उपनिवेश में मानव भूगोल में अन्वेशण और विवरण उपागम का प्रयोग किया गया था।
प्रश्न 15. राजनीतिक भूगोल की शाखाओं के नाम लिखिए।
उत्तर-राजनीतिक भूगोल की दो प्रमुख शाखाएँ हैं- (i) निर्वाचन भूगोल तथा (ii) सैन्य भूगोल ।
मानव भूगोल लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मानव भूगोल क्या है ? मानव भूगोल के विभिन्न अंग बताइए।
उत्तर-मानव भूगोल, भूगोल विषय की महत्वपूर्ण शाखा है। इसे एक सामाजिक विज्ञान की संज्ञा दी गयी है। 19वीं शताब्दी में मानव भूगोल का विकास हुआ। वर्तमान मानव भूगोल के जन्मदाता जर्मन विद्वान फ्रेडरिक रैटजेल को माना जाता है। इस विज्ञान में भौतिक वातावरण और मानव दोनों ही पक्षों में उचित समन्वय करके उसमें सम्बन्ध स्थापित कर उसकी व्याख्या और विश्लेषण किया जाता है।
मानव भूगोल के तीन प्रमुख अंग माने जाते हैं-
(i) भौतिक वातावरण का अध्ययन करना,
(ii) मानव के विभिन्न कार्यों एवं सामाजिक तथ्यों का अध्ययन करना,
(iii) भौतिक वातावरण तथा मानव के पारस्परिक सम्बन्धों का विश्लेषण करना।
प्रश्न 2. रैटजेल का मानव भूगोल में योगदान बताइए।
उत्तर-रैटजेल ने उन्नीसवीं शताब्दी में मानव भूगोल की मजबूत नींव डाली थी। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'एन्थ्रोपोज्योग्राफी' में पृथ्वी के विभिन्न स्वरूपों के पारस्परिक सम्बन्ध को विशेष महत्त्व दिया तथा उसे अधिकाधिक वैज्ञानिक स्वरूप देने की चेष्टा की थी। उनकी विचारधारा निश्चयवादी थी। रैटजेल ने मानव को वातावरण की उपज माना था क्योंकि प्रत्येक मानव समूह का एक निश्चित वातावरण होता है जिसकी सीमाओं के अन्तर्गत वह सफलता प्राप्त करता है। उनके अनुसार भूगोल के अध्ययन के लिए भौतिक भूगोल का अध्ययन आधारभूत है।
प्रश्न 3. मानव भूगोल की प्रकृति का संक्षेप में विवेचन कीजिए।
उत्तर-मानव भूगोल की प्रकृति का मुख्य आधार भौतिक पर्यावरण तथा मानव निर्मित सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण के अंतर्सम्बन्धों पर निर्भर है। मानव अपने क्रियाकलापों द्वारा भौतिक पर्यावरण में वृहद् स्तरीय परिवर्तन कर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक पर्यावरण का निर्माण करता है।
भौतिक पर्यावरण में उच्चावच, प्राकृतिक वनस्पति, जलवायु, खनिज जल, मृदा आदि सम्मिलित होते हैं जबकि सांस्कृतिक पर्यावरण में जनसंख्या, मानव बस्तियाँ, नगर, सड़कों व रेलों का जाल, उद्योग, कृषि, व्यापार बन्दरगाह आदि को सम्मिलित किया जाता है। समस्त सांस्कृतिक पर्यावरण पर भौतिक पर्यावरण का प्रभाव पड़ता है तथा भौतिक पर्यावरण पर सांस्कृतिक पर्यावरण का प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 4. मानव एवं पर्यावरण सम्बन्धित विचारधाराओं को संक्षेप में बताइए।
उत्तर-मानव एवं पर्यावरण सम्बन्धित तीन प्रमुख विचारधाराएँ मानव भूगोल में हैं जो निम्नलिखित हैं-
(i) पर्यावरणीय निश्चयवाद- इस विचारधारा के अनुसार, मनुष्य प्रकृति का दास है। प्राकृतिक पर्यावरण सर्वशक्तिमान है तथा यह मानवीय क्रिया-कलाप को पूर्णतया नियन्त्रित करता है।
(ii) संभववाद-मानव एवं पर्यावरण सम्बन्धित विचारधारा के अनुसार मानव के लिए कोई अनिवार्यता नहीं है, बल्कि सर्वत्र सम्भावनाएँ हैं। मानव अपने बुद्धिबल और कार्यकुशलता के आधार पर प्राकृतिक पर्यावरण को भी प्रभावित करता है।
(iii) नव-निश्चयवाद- यह विचारधारा नियतिवाद तथा सम्भावनावाद के बीच की विचारधारा है। इसके अनुसार प्राकृतिक नियमों का अनुपालन कर मानव प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सकता है।
प्रश्न 5. मानव भूगोल के अध्ययन में पॉल विडाल-डी-ला ब्लाश का क्या योगदान है ?
उत्तर-पॉल विडाल-डी-ला ब्लाश एक फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता थे। उन्होंने मानव भूगोल में संभववाद की नींव रखी। ब्लाश ने प्रकृति की तुलना में मानव को अधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया था तथा मानव को सक्रिय शक्ति के रूप में देखा था।
ब्लाश ने मानव भूगोल को परिभाषित करते हुए लिखा है कि "हमारी पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा इस पर रहने वाले जीवों के मध्य सम्बन्धों के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना।" इस परिभाषा के द्वारा उन्होंने एक नई संकल्पना प्रस्तुत की और कहा कि मानव भूगोल पृथ्वी एवं मानव के बीच सम्बन्धों का अध्ययन है।
ब्लाश के अनुसार, मानव जीवन शैली पर प्रकृति की अपेक्षा सामाजिक प्रभावों का अधिक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने माना कि एक समान प्रकृति वातावरण में भी मानव की जीवन शैली भिन्न-भिन्न होती है, उस पर मानव मूल्य एवं आदतों का प्रभाव होता है।
प्रश्न 6. नवनिश्चयवाद की विचारधारा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-नवनिश्चयवाद की विचारधारा निश्चयवाद और संभववाद के बीच की विचारधारा है। ग्रिफिथ टेलर ने इस विचारधारा का प्रतिपादन किया था। इस विचारधारा को 'रुको और जाओ निश्चयवाद' के नाम से भी जाना जाता है।
इस विचारधारा के अनुसार, मनुष्य न तो प्रकृति का दास ही है और न ही उसका स्वामी और न ही मानव कार्य करने की क्षमता असीमित है। मानव को प्रकृति का सहयोग प्राप्त करने के लिए उसके द्वारा निर्धारित सीमाओं को नहीं तोड़ना चाहिए। अतः प्रकृति नियन्त्रण को कम किया जा सकता है, लेकिन उसके प्रभावों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। प्राकृतिक व्यवस्था को समझकर कोई निर्णय लेना चाहिए यह ही इस विचारधारा का मूलमंत्र है।
प्रश्न 8. प्रकृति का मानवीयकरण किस प्रकार होता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-प्रकृति का मानवीयकरण से तात्पर्य है कि मानव क्रियाओं की छाप प्रकृति में प्रत्येक स्थान पर देखी जा सकती है। उच्च स्थानों; जैसे-पर्वतों में समतल क्षेत्रों, जैसे मैदानों में स्वास्थ्य केन्द्र, विशाल नगरीय विस्तार, चरागाह, उद्यान आदि देखे जा सकते हैं। ये सभी कार्य मानव के द्वारा किये गये हैं। प्रकृति अवसर प्रदान करती है और मनुष्य इसका लाभ उठाता है। इस प्रकार प्रकृति धीरे-धीरे मानवकृत हो जाती है और मानव के कार्यों की छाप उस पर पड़नी आरम्भ हो जाती है।
तकनीकी ज्ञान मनुष्य पर प्रकृति की पकड़ को कमजोर करता है। प्रारम्भ में मानव प्रकृति से अधिक प्रभावित था लेकिन अब उसने उपकरणों तथा तकनीकी सहायता से प्रकृति को अपने अनुकूल बना लिया है।
प्रश्न 9. 1970 के दशक में मानव भूगोल में किन-किन विचारधाराओं/उपागम का उदय हुआ ?
उत्तर-1970 के दशक में मानव भूगोल में तीन विचारधाराओं/उपागम का उदय हुआ जो निम्नलिखित हैं-
(i) मानवतावादी उपागम,
(ii) आमूलवादी उपागम, और
(iii) व्यवहारवादी उपागम।
(i) मानवतावादी उपागम-
यह विचारधारा स्वयं मनुष्य पर केन्द्रित थी। इसमें मानव जागृति, मानव चेतना और मानव की सृजनात्मकता का विशेष सन्दर्भ दिया गया।
(ii) आमूलवादी उपागम-
यह विचारधारा मुख्य रूप से सामाजिक विषमता तथा भेदभाव के मुद्दों के स्थानिक विश्लेषण से सम्बन्धित थी। इसमें मुख्य रूप से गरीबी, कुपोषण, लिंगवाद, बेरोजगारी आदि सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए सामाजिक क्रान्ति की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
(iii) व्यवहारवादी उपागम-
इस विचारधारा में प्रत्यक्ष अनुभव के साथ-साथ मानवीय जातीयता, प्रजाति, धर्म आदि पर आधारित सामाजिक संवर्गों के दिक्काल बोध पर अधिक जोर दिया।
प्रश्न 10. मानव भूगोल के विषय-क्षेत्र को समझाइए ।
उत्तर-मानव भूगोल के अन्तर्गत प्राकृतिक पर्यावरण एवं मानव समुदायों के आपसी सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल में न केवल भौगोलिक तथ्यों का निरीक्षण किया जाता है जिनसे स्पष्ट होता है कि पृथ्वी के विभिन्न भौतिक स्वरूप एवं दशाओं का उस क्षेत्र विशेष में रहने वाले निवासियों के आवास-प्रवास, भोजन, वस्त्र, औजार, संस्कृति, आर्थिक क्रियाओं आदि पर क्या प्रभाव पड़ता है, वरन् इस बात का भी अध्ययन किया जाता है कि मानव किस प्रकार इन भौतिक परिस्थितियों में परिवर्तन लाकर एक नए सांस्कृतिक पर्यावरण (बस्तियाँ, कृषि, नगर, परिवहन के साधन आदि) का निर्माण करता है।