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शुक्रवार, 22 जुलाई 2022

पत्रकार जागरूकता अभियान : पत्रकारिता में विज्ञापन के मानक |Advertising standards in journalism in Hindi

 पत्रकार जागरूकता अभियान : पत्रकारिता में विज्ञापन के मानक

पत्रकार जागरूकता अभियान : पत्रकारिता में विज्ञापन के मानक |Advertising standards in journalism in Hindi



पत्रकारिता में विज्ञापन के मानक

 

i) वाणिज्यिक विज्ञापन वैसी ही जानकारी होते हैं जैसी सामाजिकआर्थिक अथवा राजनीतिक जानकारी। इतना ही नहीविज्ञापन जीवन की रीति तथा प्रवृति को कम से कम वैसे ही निरूपित करते हैं जैसे अन्य प्रकार की जानकारी तथा टीका । पत्रकारिता की मर्यादा की यह मांग है कि विज्ञापन समाचारपत्र में प्रकाशित अन्य सामग्री से स्पष्ट अलग दिखाई दें।

 

ii) ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया जाएगा जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सिगरेटतम्बाकू उत्पादोंशराबमदिराअल्कोहल तथा अन्य मादक द्रव्यों के उत्पादनबिक्री या सेवन को प्रोत्साहित करे।

 

iii) समाचारपत्र ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा जिसमें समाज के किसी वर्ग या समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की अथवा समग्र रूप से अहित करने की प्रवृत्ति हो ।

 

iv) जो विज्ञापन औषधि और चमत्कारित उपचार (आक्षेपणीय विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के उपबंधों का उल्लंघन करते होंउन्हें अस्वीकृत कर दिया जाए।

 

v) समाचारपत्र ऐसी किसी बात वाले विज्ञापन को प्रकाशित न करें जो अवैध या गैरकानूनी हो या सुरुचि अथवा पत्रकारिता की आचारनीति अथवा औचित्य के विरुद्ध हो ।

 

vi) पत्रकारिता की मर्यादा की यह माँग है कि विज्ञापन समाचारपत्र में प्रकाशित संपादकीय सामग्री से स्पष्ट अलग दिखाई दें। विज्ञापन प्रकाशित करते समय समाचारपत्र उनके लिए वसूल की गई राशि निर्धारित करेंगे। इसके पीछे तर्क यह है कि विज्ञापनों के लिए राशि उसी दर से ली जाए जिससे सामान्यतः समाचार पत्र द्वारा ली जाती है क्योंकि सामान्य दर से अधिक भुगतान समाचारपत्र को सहायता माना जाएगा।

 

vii) डमी तथा उठाए गए विज्ञापनों का प्रकाशन जिनके लिए न तो भुगतान किया गया हो और न ही विज्ञापकों द्वारा प्राधिकृत किया गया होपत्रकारिता की आचार नीति का उल्लंघन हैविशेषतः जब समाचारपत्र उन विज्ञापनों के लिए बिल भेजे ।

 

viii) किसी विज्ञापन को जानबूझकर समाचारपत्र की सभी प्रतियों में प्रकाशित न करना पत्रकारिता की आचार नीति के मानकों के प्रति अपराध है और घोर व्यावसायिक कदाचार है।

 

ix) प्रकाशन के लिए प्राप्त किसी विज्ञापन के कानूनी औचित्य अथवा अनौचित्य पर विचार करने के मामले में समाचारपत्र के विज्ञापन विभाग तथा संपादन विभाग के बीच पूर्ण समन्वय तथा संचार होना चाहिए।

 

x) संपादकों को चाहिए कि विज्ञापनों को स्वीकार या अस्वीकार करने में अंतिम निर्णय के अपने अधिकार पर आग्रह करेंविशेषतः उनको जो शालीनता तथा अश्लीलता के बीच वाली सीमा रेखा पर हों अथवा उसे पार कर रहे हों।

 

xi) समाचारपत्र वैवाहिक विज्ञापनों के साथ निम्नलिखित शब्दों में सावधानता सूचना प्रकाशित करें* " पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी विज्ञापन पर क्रिया करने से पहले पूरी तरह उपयुक्त जाँच पड़ताल कर लें। यह समाचारपत्र वर / वधु की स्थितिआयुआय के विवरण के बारे में विज्ञापक द्वारा किए गए दावे या उल्लेख की पुष्टि या समर्थन नहीं करता ।”

 

xii) समाचारपत्र में प्रकाशित सभी बातों के लिए विज्ञापनों सहितसंपादक उत्तरदायी होगा। यदि उत्तरदायित्व न लेना हो तो इसका पहले से स्पष्ट उल्लेख कर दिया जाए।

 

xiii) 'मनोरंजकबातचीत और सांकेतिक (अश्लील) दूर वार्ता (टेलीटॉक) हेतु दिए गए नंबर डायल करने के लिए आम जनता को आमंत्रित करते हुए संपूर्ण देश में समाचार पत्रों द्वारा दिए गए टेली-फ्रैंडशिप (दूरमित्रता) विज्ञापन किशोरों के विचारों को प्रदूषित करके अनैतिक सांस्कृतिक लोकाचार को बढ़ावा दे सकते हैं। प्रेस को ऐसे विज्ञापन अस्वीकार कर देने चाहिए।

 

xiv) गुप्त प्रलोभन के संकेतकअशोभनीय भाषाओं का प्रयोग करते हुए स्वास्थ्य और शारीरिक स्वस्थता सेवाओं के वर्गीकृत विज्ञापन विधि के साथ-साथ नीति का उल्लंघन करते हैं। समाचारपत्र को ही सुनिश्चित करने के लिए कि प्रलोभनकारी विज्ञापन न दिये जाएँऐसे विज्ञापन के परीक्षण के लिए समुचित साधन अपनाने चाहिए।

 

xv) हमारे सामाजिक परिवेश और स्वीकृत परंपरागत मूल्योंजो कि हमारे देश में प्रिय हैंमें गर्भ निरोधक विज्ञापन तथा विज्ञापन के साथ ब्रांड आइटम को संलग्न करना नैतिक नहीं है। एक समाचारपत्र को परम धर्म है कि वह एड्स से बचने के लिए एहतियाती कार्रवाई के बारे में लोगों को शिक्षित करे और विज्ञापनचाहे वे सामाजिक कल्याण संगठन द्वारा जारी किए गए होंको स्वीकार करने में अपेक्षाकृत अधिक दूरदर्शिता दिखाएँ ।

 

xvi) रोज़गार समाचार जिसपर सरकारी नौकरियों के प्रामाणिक समाचार के व्यवस्थापक के रूप में विश्वास किया जाता हैको केवल वास्तविक प्राइवेट निकायों के विज्ञापन स्वीकार करने में अधिक सावधान रहना चाहिए।

 

xvii) शैक्षणिक संस्थानों के विज्ञापन स्वीकार करते हुए समाचारपत्रों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे विज्ञापनों में यह अनिवार्य विवरण दिया जाये कि सम्बद्ध संस्थानों को कानून के संगत अधिनियमनों के तहत मान्यता दी गई है।

 

xviii) आज के समाज के संबंध में तथा मूल्यों के निर्धारण में विज्ञापन अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं और चूँकि अधिकाधिक उदारवादी दृष्टिकोण रखा जा रहा है जोकि सिद्धांत नहीं है, 'लोकानुभूतिमें ऐसे मामलों की स्वीकार्यता में तेजी आ सकती है परंतु किस कीमत पर यह विचारणीय महत्वपूर्ण बिंदु है। यह ध्यान रखना चाहिए कि सम्बद्ध विश्व दौड़ में हमें उन मूल्यों को पीछे नहीं छोड़ना चाहिए जिनके कारण ही भारत को नैतिकता के आधार पर संपूर्ण विश्व में अद्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है।

 

xix) अभी पैदा भी नहीं हुए बच्चे को गोद लेने का विज्ञापन प्रकाशित करना गैर कानूनी ही नहीं बल्कि अनीतिकर भी । समाचारपत्र को प्रकाशन से पूर्व विज्ञापनों की समुचित जांच करनी चाहिए ।

 

XX) विज्ञापन एजेंसी द्वारा अपने मुवक्किल की ओर से कानूनी विवाद से संबद्ध दिये गये विज्ञापन को प्रकाशित करने के लिये समाचारपत्र को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है

 

xxi) स्पष्ट रूप से पहचान किये गये विज्ञापन या संवर्धन के रूप में प्रकाशित सभी सामग्री सर्व साधारण के लाभ के लिये हो ।

 

xxii) समाचारपत्रों और पत्रिकाओं को प्रकाशित किये जाने वाले विज्ञापनों की सामग्री की जांच नीतिगत तथा कानूनी दृष्टि से करनी चाहिए क्योंकि पीआरबी अधिनियम, 1867 की धारा 7 के तहत संपादक ही विज्ञापनों सहित समग्र सामग्री के लिये उत्तरदायी होता है । प्रेस का उद्देश्य केवल धन कमाना नहीं हो सकता और न होना चाहिएक्योंकि उससे कहीं अधिक इसका जनता के प्रति उत्तरदायित्व होता है ।

 

xxiii) इच्छुक परोपकारी दाता से किडनी मांगने के संबंध में प्रकाशन न किया जाए। 

 

xxiv) पत्रकार / संपादकविज्ञापनकर्ता या उस व्यक्ति की पहचान का खुलासा करें जिनके आग्रह पर विज्ञापन प्रकाशित किया गया है।

 

Xxv) समाचारपत्रभारत के माननीय राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नामों और तस्वीरों का उपयोग करकेसमाचार की तरह कोई भी विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर ।

 

xxvi) अखबार / अखबारों में समाचार जैसे विज्ञापन / विज्ञापनिका प्रकाशित करते समयउन्हे बड़े अक्षरों में विज्ञापन / विज्ञापनिका शीर्षक के साथ मुद्रित किया जाए जिसका फॉन्ट साइज पृष्ठ पर आने वाले उपशीर्षकों के बराबर हो ।

 

xxvii) नौकरियों के विज्ञापन केवल फोन नंबरों के साथ बिना किसी भी अन्य विवरण जैसे कि चयन किए जाने की स्थिति में भावी उम्मीदवार द्वारा किए जाने वाले कार्य की प्रकृति और नियोक्ता की पहचान के बिना प्रकाशित करना अनैतिक है और इसे प्रकाशित नहीं किया जाए क्योंकि यह "मानव सौदे" को सरल बना सकता है जिससे कई असंदिग्ध लड़के और लड़कियां शिकार बन जाएंगे।

 

ऐसे विज्ञापनों को प्रकाशित करने के इच्छुक समाचारपत्रों को ऐसे विज्ञापनों में किए जाने वाले काम की प्रकृति को प्रकाशित करना चाहिएताकि अनैतिक कार्यों को बढ़ावा देने से बचा जा सके।

 

* " अस्वीकरण" का प्रकाशन समाचारपत्र को इसके * उत्तरदायित्व से विमुक्त नहीं करेगा।


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