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शुक्रवार, 22 जुलाई 2022

समाचार पत्रों में ज्योतिष संबंधी भविष्यवाणी |समाचार पत्रों में जाति, धर्म या समुदाय का उल्लेख | Astrology predictions in newspapers in Hindi

समाचार पत्रों में  ज्योतिष संबंधी भविष्यवाणी जाति, धर्म या समुदाय का उल्लेख

समाचार पत्रों में  ज्योतिष संबंधी भविष्यवाणी ,समाचार पत्रों में जाति, धर्म या समुदाय का उल्लेख | Astrology predictions in newspapers in Hindi


 

समाचार पत्रों में  ज्योतिष संबंधी भविष्यवाणी

ज्योतिष संबंधी भविष्यवाणी और अंधविश्वास को बढ़ावा देने से पाठकों के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है और इसी कारण अवांछनीय है। सामान्य हित दैनिकों और आवधिकों के संपादक जोकि वैज्ञानिक मानसिकता को बढ़ावा देने और अंधविश्वास तथा भाग्यवादिता का मुकाबला करने में विश्वास रखते हैंको ज्योतिष संबंधी भविष्यवाणियों के प्रकाशन से बचना चाहिए। वह पाठकजिनकी ज्योतिष में रूचि हैइस विषय पर विशिष्ट प्रकाशनों को देख सकते हैं।

 

समाचार पत्रों में जातिधर्म या समुदाय का उल्लेखः

 

i) सामान्यतः किसी व्यक्ति की या वर्गविशेष की जाति पहचान न की जाएखास तौर पर यदि उस संदर्भ में उससे उस जाति के प्रति अनादरपूर्ण भाव का बोध हो या अनादरपूर्ण आचरण अथवा व्यवहार का आरोपण होता हो ।


ii) समाचारपत्रों को 'हरिजनशब्द जिस पर कुछेक द्वारा आपत्ति की गईका प्रयोग नहीं करने की सलाह दी जाती है। और अनुच्छेद 341 के अनुसार अनुसूचित जाति शब्द का प्रयोग करें। *

 

iii) यदि किसी अभियुक्त या पीड़ित की जाति या समुदाय का अपराध अथवा दोष के साथ कोई संबंध न हो और किसी अभियुक्त की पहचान में या किसी कार्यवाही में उसकी कोई भूमिका न हो तो उस अभियुक्त या पीड़ित का वर्णन उसकी जाति या समुदाय से नहीं किया जाएगा।

 

iv) समाचारपत्र ऐसा कोई कथा साहित्य प्रकाशित न करे जिसमें उन धार्मिक चरित्रों को विकृत कर के प्रतिकूल भावना के साथ चित्रित किया गया हो और समाज के बड़े हिस्से की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई होजो उन चरित्रों को सद्गुणों से सम्पन्न तथा महान् मानते है और उनका बहुत आदर करते हैं।

 

v) पैगंबरों ऋषियों अथवा देवताओं के नाम का प्रयोग व्यापारिक उद्देश्य से करना पत्रकारिता की आचार नीति अथवा सुरुचि के विपरीत है।

 

vi) यह सुनिश्चित करना समाचारपत्र का कर्तव्य है कि लेख के सुरभावना तथा भाषा का स्वरूप आपत्तिजनकउत्तेजकदेश की एकता एवं अखंडता तथा संविधान की भावना के विरूद्धराजद्रोहात्मक और भड़काने वाला न हो या सांप्रदायिक विद्वेष पैदा न करे। उसमें देश के विभाजन को प्रोत्साहित करने का प्रयास न किया गया हो।

 

vii) पत्रकारों का एक काम यह भी है कि जनता को समाज के कमज़ोर वर्गों की नियति से अवगत कराएँ वे समाज की ओर से उसके कमज़ोर वर्गों के रक्षक हैं।

 

vii) समाज में बदलते मानकों को ध्यान में रखते हुए.  समाचारपत्रों विशेष महत्व के आयोजन वाले अवसरों परविशेषकर ऐसी सामग्री प्रकाशित करने से बचने के लिए पूरी सावधानी बरतनी चाहिए जिससे आम लोगों की भावनाएं आहत होती हों।

 

ix) साम्प्रदायिक सौहार्द और देश में सामाजिक तानेबाने को बांधे रखने के लियेप्रेस को किसी संगठन का नाम और आतंकवादी गतिविधियों में उसकी संलिप्तता का आरोप प्रकाशित करते समय अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए।

 

X) भड़काऊ और बिना परिप्रेक्ष्य के बयान देने से बचने के लिये तकनीकी गलती का बहाना बनाना अस्वीकार्य है और यह गैर जिम्मेदाराना पत्रकारिता होगी।

 

(xi) संगत समय पर राजनीतिक परिदृश्य को दर्शाने के लिये किसी देवी / देवता का चित्र प्रकाशित करना आपतिजनक नहीं कहा जा सकता है।

 

xii) किसी पुस्तक के आधार पर प्रकाशित कोई समाचार संभवतया धार्मिक संगठनों के सदस्यों की आम धारणा के अनुकूल न हो किंतु केवल इसी एक आधार पर समाचार को गैर कानूनी और अनीतिकर नहीं कहा जा सकता है।

 

xiii) शास्त्र का दायरा कानून से बहुत बड़ा है और किसी कार्य की नीतिपरकता का निर्णय एक सामान्य व्यक्ति के दृष्टिकोण से करने की जरूरत है । अतः समाचारपत्र ऐसी सामग्री प्रकाशित न करे जिनसे देवी / देवताओं की छवि खराब हो या समाज के एक बड़े वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती हो जो उन देवी देवताओं में भारी निष्ठामान्यता रखते हों।

 

xiv) प्रेस से आशा की जाती है कि वह अपनी शक्ति का प्रयोग साम्प्रदायिक सौहार्द को बढ़ाने एवं उसे बनाये रखने में करेगी।

 

XV) सामुदायिक तानाबाना बहुत ही कोमल होता है। समाचारपत्रों और पत्रिकाओं को विभिन्न स्थानों तथा विभिन्न भाषाओं में अनेकार्थी शब्दों का प्रयोग करने के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।

 

xvi) "दलित" शब्द/अभिव्यक्ति का उपयोग किसी समुदाय को भड़काने या अपमानित करने के लिए नहीं किया जाए।


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