पत्रकारिता के आचरण के मानक भाग- क : सिद्धांत तथा आचार नीति
फर्जी पत्रकारिता के विरुद्ध जागरूकता अभियान
पत्रकारिता का मूल
उद्देश्य यह है कि जन रुचि के विषयों पर न्यायसंगत, यथार्थ, निष्पक्ष, सौम्य तथा शालीन विधि से समाचारों, विचारों, टीकाओं तथा जानकारी को
देकर लोगों की सेवा की जाए। इस प्रयोजन के लिए प्रेस से आशा की जाती है कि वह
विश्व भर में मान्यता प्राप्त व्यावसायिकता के कुछ मानकों के अनुरूप आचरण करे। यदि
नीचे लिखे मानकों और उसके बाद संलग्न विशिष्ट दिशा निर्देशों का प्रयोग उचित विवेक
के साथ और हर मामले की अपनी परिस्थितियों के अनुकूल किया जाए तो पत्रकार को अपने
आचरण के स्वनियंत्रण में मदद मिलेगी ।
पत्रकारिता में सटीकता और औचित्य
1) प्रेस गलत, निराधार, अशिष्ट, भ्रामक या विकृत सामग्री का प्रकाशन नहीं करेगा। मूल मुद्दे या विषय के सभी पाक्षे को प्रस्तुत किया जाए। बेजा अफवाहों तथा अटकलों को तथ्यों के रूप में प्रस्तुत न किया जाए।
ii) समाचारपत्रों का यह कर्तव्य है कि वे पब्लिक इंटरफेस वाले वित्तीय संस्थानों की साख को प्रभावित करने वाली अफवाहों के जवाब में सकारात्मक भूमिका अदा करें।
(iii) जहाँ प्रेस का यह
कर्त्तव्य है कि वह अपने नोटिस में आने वाली गलतियों का भंडाफोड़ करे वहीं यह भी
आवश्यक है। कि ऐसी रिपोर्टों के साथ अखंडनीय तथ्य और साक्ष्य हों।
iv) समाचारपत्र को यह ध्यान रखना चाहिए कि उसका कार्य समाचारों को एकत्र करना और उन्हें सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करना होता है ना कि समाचार गढ़ना होता है ।
v) जब कभी कोई समाचार किसी एफआईआर के आधार पर प्रकाशित किया जाए और जो किसी व्यक्ति या निकाय की प्रतिष्ठा के लिये महत्वपूर्ण हो, तब समाचारपत्र / पत्रिकाओं को उसी समाचार में स्पष्ट उल्लेख कर देना चाहिए कि यह समाचार एफआईआर पर ही आधारित है और एफआईआर में दिये गये कथन की सत्यता पर न्यायालय को निर्णय लेना होता है। समाचारपत्र को पीडित व्यक्ति का बयान भी प्रकाशित करना चाहिए।
vi) समाचारपत्र को नेता के बयानों को गलत अर्थ में या गलत नहीं देना चाहिए। संपादकीय में उद्धृत बयानों को सत्य भावना में दर्शाना चाहिए जिसे उनके द्वारा व्यक्त करने का प्रयास किया जा रहा था।
vii) लेखों जिनमें समसामयिक घटनाओं के आधार पर इतिहास का विश्लेषण या व्याख्या की गई हो उन्हें अनीतिकर नहीं कहा जा सकता है।
viii) जब कोई समाचारपत्र किसी व्यक्ति की कहानी प्रकाशित कर रहा हो और उससे संबंधित मामलों पर समाचार श्रृंखलाबद्ध प्रकाशित किये जा रहे हों, तो उसके दोषमुक्त होने का समाचार भी पिछले समाचारों की भांति ही प्रमुखता से प्रकाशित करना चाहिए।
ix) समाचारपत्र ऐसे किसी अध्ययन के आधार पर जिसका कोई मान्य आधार ना हो, प्रकाशित सनसनी खेज समाचार शीर्षकों से होने वाले हानिकारक प्रभावों के लिये उत्तरदायी होता है।
x) अफवाह कुछ क्षेत्र तक ही सीमित रहती है किंतु समाचार लाखों लोगों तक पहुंचता है और इस कारण समाज के प्रति प्रेस की बहुत बड़ी जिम्मेदारी हो जाती है।
xi) मीडिया को सूचना को कम आंकने की प्रवृति को दूर करना चाहिए और समाज में विश्वसनीयता बनानी चाहिए ताकि पाठकों का विश्वास जीता जा सके।
xii) बोलने की स्वतंत्रता किसी समाचारपत्र को किसी संस्था या व्यक्ति के बारे में असत्य तथ्यों को हल्के में लिखने का भी अधिकार नहीं देती है।
xiii) किसी व्यक्ति/व्यक्तियों के खिलाफ गंभीर प्रकृति की ऐतिहासिक रूप से गलत टिप्पणी नहीं की जाएगी।
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